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अबुल फजल ने 22 नाड़ियों में सात स्वरों की व्याप्ति बताई जो इस प्रकार

अबुल फजल ने 22 नाड़ियों में सात स्वरों की व्याप्ति बताई जो इस प्रकार है -
1. षड्ञ (सा) मयूर की आवाज से प्रतिस्ठित हुआचतुर्थ नाड़ी से इसका अभ्यूदय।
2. त्रषभ (रे) पपीहा (चातक) की आवाज से सप्तदश से नवम् नाड़ी तक व्याप्ति।
3. गान्धार (ग) बकरे की आवाज से गृहीता नवम् से त्रयोदश नाड़ी तक व्याप्ति।
4. मध्यम (म) सारस की आवाज से गृहीत। त्रयोदश से सप्तदश नाड़ी तक व्याप्ति।
5. पंचम (प) कोयल के सुरीले कंठ से गृहीत सप्तदश नाड़ी से विशं नाड़ी तक व्याप्ति।
6. धैवत (ध) मेढ़क की आवाज से गृहीत। विशं से द्वाविशं नाड़ी तक व्याप्ति।
7. निषाद (नि) हस्ति की आवाज से परिकल्पित द्वाविशं से परवर्ती मंउली की तृतीय पर्यन्त।10
पं. अहोबल ने भी 'संगीत -पारिजात' में भारतीय संगीत की 22 श्रृतियों का मनुष्य के शरीर की 22 धमनियो से सम्बन्धित होने का वर्णन किया है।
राग परिचय
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भरत नाट्यम - तमिलनाडु | 487 | 0 |
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रामपुर सहसवां घराना भी है गायकी का मशहूर घराना | 222 | 0 |
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स्वर मध्यम का शास्त्रीय परिचय | 344 | 0 |
स्वर पञ्चम का शास्त्रीय परिचय | 341 | 0 |
स्वर धैवत का शास्त्रीय परिचय | 427 | 0 |
स्वर निषाद का शास्त्रीय परिचय | 392 | 0 |
स्वर और उनसे सम्बद्ध श्रुतियां | 583 | 0 |
सामवेद व गान्धर्ववेद में स्वर | 409 | 0 |
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