संपर्क : 7454046894
भारतीय शास्त्रीय संगीत की जानकारी

भारतीय शास्त्रीय संगीत की जानकारी
Saturday, May 27, 2006
सात स्वर, अलंकार और हारमोनियम
भारतीय संगीत आधारित है स्वरों और ताल के अनुशासित प्रयोग पर। सात स्वरों के समुह को सप्तक कहा जाता है। भारतीय संगीत सप्तक के सात स्वर हैं-
सा(षडज), रे(ऋषभ), ग(गंधार), म(मध्यम), प(पंचम), ध(धैवत), नि(निषाद)
अर्थात
सा, रे, ग, म, प ध, नि
सा और प को अचल स्वर माना जाता है। जबकि अन्य स्वरों के और भी रूप हो सकते हैं। जैसे 'रे' को 'कोमल रे' के रूप में गाया जा सकता है जो कि शुद्ध रे से अलग है। इसी तरह 'ग', 'ध' और 'नि' के भी कोमल रूप होते हैं। इसी तरह 'शुद्ध म' को 'तीव्र म' के रूप में अलग तरीके से गाया जाता है।
गायक या वादक गाते या बजाते समय मूलत: जिस स्वर सप्तक का प्रयोग करता है उसे मध्य सप्तक कहते हैं। ठीक वही स्वर सप्तक, जब नीचे से गाया जाये तो उसे मंद्र, और ऊपर से गाया जाये तो तार सप्तक कह्ते हैं। मन्द्र स्वरों के नीचे एक बिन्दी लगा कर उन्हें मन्द्र बताया जाता है। और तार सप्तक के स्वरों को, ऊपर एक बिंदी लगा कर उन्हें तार सप्तक के रूप में दिखाया जाता है। इसी तरह अति मंद्र और अतितार सप्तक में भी स्वरों को गाया-बजाया जा सकता है।
अर्थात- ध़ ऩि सा रे ग म प ध नि सां रें गं...
संगीत के नये विद्यार्थी को सबसे पहले शुद्ध स्वर सप्तक के सातों स्वरों के विभिन्न प्रयोग के द्वारा आवाज़ साधने को कहा जाता है। इन को स्वर अलंकार कहते हैं।
आइये कुछ अलंकार देखें
१) सा रे ग म प ध नि सां (आरोह)
सां नि ध प म ग रे सा (अवरोह)
(यहाँ आखिरी का सा तार सप्तक का है अत: इस सा के ऊपर बिंदी लगाई गयी है)
इस तरह जब स्वरों को नीचे से ऊपर सप्तक में गाया जाता है उसे आरोह कहते हैं। और ऊपर से नीचे गाते वक्त स्वरों को अवरोह में गाया जाना कहते हैं।
और कुछ अलंकार देखिये-
२)सासा रेरे गग मम पप धध निनि सांसां ।
सांसां निनि धध पप मम गग रेरे सासा।
३) सारेग, रेगम, गमप, मपध, पधनि, धनिसां।
सांनिध, निधप, धपम, पमग, मगरे, गरेसा।
४) सारे, रेग, गम, मप, पध, धनि, निसां।
सांनि, निध, धप, पम, मग, गरे, रेसा।
५) सारेगमप, रेगमपध, गमपधनि, मपधनिसां।
सांनिधपम, निधपमग, धपमगरे पमगरेसा।
६)सारेसारेग, रेगरेगम, गमगमप, मपमपध, पधपधनि, धनिधनिसां।
सांनिसांनिध, निधनिधप, धपधपम, पमपमग, मगमगरे, गरेगरेसा।
७)सारेगसारेगसारेसागरेसा, रेगमरेगमरेगरेमगरे, गमपगमपगमगपमग, मपधमपधमपमधपम, पधनिपधनिपधपनिधप, धनिसांधनिसांधनिधसांनिध, निसांरेनिसांरेनिसांनिरेंसांनि, सांरेंगंसांरेंगंसांरेंसांगंरेंसां।
सांरेंगंसांरेंगंसांरेंसांगंरेंसां, निसांरेनिसांरेनिसांनिरेंसांनि,धनिसांधनिसांधनिधसांनिध, पधनिपधनिपधपनिधप, मपधमपधमपमधपम, गमपगमपगमगपमग, रेगमरेगमरेगरेमगरे, सारेगसारेगसारेसागरेसा।
राग परिचय
Total views | Views today | |
---|---|---|
कौन दिसा में लेके चला रे बटुहिया | 257 | 1 |
वंदेमातरम् | 412 | 0 |
राग बागेश्री | पंडित जसराज जी | 1,150 | 0 |
ब्रेथलेसऔर अरुनिकिरानी | 426 | 0 |
नुसरत फतेह के द्वारा राग कलावती | 617 | 0 |
द ब्यूटी ऑफ राग बिलासखानी तोड़ी | 648 | 0 |
राग यमन | 649 | 0 |
मोरा सइयां | 455 | 0 |
राग भीमपलासी पर आधारित गीत | 2,683 | 0 |
कर्ण स्वर | 514 | 0 |
Total views | Views today | |
---|---|---|
राग क्या हैं | 688 | 0 |
लोक और शास्त्र के अन्तरालाप की देवी | 152 | 0 |
कर्नाटक संगीत | 343 | 0 |
क्या अलग था गिरिजा देवी की गायकी में | 285 | 0 |
राग भीमपलास और भीमपलास पर आधारित गीत | 423 | 0 |
माइक्रोफोन का कार्य | 751 | 0 |
कर्नाटक गायन शैली के प्रमुख रूप | 302 | 0 |
वेद में एक शब्द है समानिवोआकुति | 224 | 0 |
पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी | 257 | 0 |
ठुमरी का नवनिर्माण | 183 | 0 |
रागदारी: शास्त्रीय संगीत में घरानों का मतलब | 265 | 0 |
सबसे पुराना माना जाता है ग्वालियर घराना | 276 | 0 |
बेहद लोकप्रिय है शास्त्रीय गायकी का किराना घराना | 199 | 0 |
आगरा का भी है अपना शास्त्रीय घराना | 183 | 0 |
लता मंगेशकर का नाम : भारतीय संगीत की आत्मा | 205 | 0 |
मेवाती घराने की पहचान हैं पंडित जसराज | 209 | 0 |
जयपुर- अतरौली घराने की देन हैं एक से बढ़कर एक कलाकार | 216 | 0 |
भारतीय नृत्य कला | 2,029 | 0 |
नाट्य शास्त्रानुसार नृतः, नृत्य, और नाट्य में तीन पक्ष हैं – | 1,067 | 0 |
शास्त्रीय संगीत क्या है | 296 | 0 |
काशी की गिरिजा | 178 | 0 |
भारतीय शास्त्रीय संगीत का आधार: | 243 | 0 |
लोक कला की ध्वजवाहिका | 165 | 0 |
भरत नाट्यम - तमिलनाडु | 487 | 0 |
Total views | Views today | |
---|---|---|
गुरु-शिष्य परम्परा | 1,622 | 0 |
संगीत घराने और उनकी विशेषताएं | 5,715 | 0 |
भारत में संगीत शिक्षण | 1,951 | 0 |
रामपुर सहसवां घराना भी है गायकी का मशहूर घराना | 222 | 0 |
कैराना का किराना घराने से नाता | 514 | 0 |
Total views | Views today | |
---|---|---|
संगीत के स्वर | 1,251 | 0 |
स्वर षड्ज का शास्त्रीय परिचय | 492 | 0 |
स्वर ऋषभ का शास्त्रीय परिचय | 483 | 0 |
स्वर गान्धार का शास्त्रीय परिचय | 409 | 0 |
स्वर मध्यम का शास्त्रीय परिचय | 344 | 0 |
स्वर पञ्चम का शास्त्रीय परिचय | 341 | 0 |
स्वर धैवत का शास्त्रीय परिचय | 427 | 0 |
स्वर निषाद का शास्त्रीय परिचय | 392 | 0 |
स्वर और उनसे सम्बद्ध श्रुतियां | 583 | 0 |
सामवेद व गान्धर्ववेद में स्वर | 409 | 0 |
संगीत रत्नाकर के अनुसार स्वरों के कुल, जाति | 793 | 0 |