संपर्क : 7454046894
राग यमन (कल्याण)

इस राग को राग कल्याण के नाम से भी जाना जाता है। इस राग की उत्पत्ति कल्याण थाट से होती है अत: इसे आश्रय राग भी कहा जाता है। जब किसी राग की उत्पत्ति उसी नाम के थाट से हो तो उसे कल्याण राग कहा जाता है। इस राग की विशेषता है कि इसमें तीव्र मध्यम और अन्य स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। ग वादी और नि सम्वादी माना जाता है। इस राग को रात्रि के प्रथम प्रहर या संध्या समय गाया-बजाया जाता है। इसके आरोह और अवरोह दोनों में सातों स्वर प्रयुक्त होते हैं, इसलिये इसकी जाति सम्पूर्ण है।
आरोह- सा रे ग, म॑ प, ध नि सां अथवा ऩि रे ग, म॑ प, ध नि सां ।
अवरोह- सां नि ध प, म॑ ग रे सा ।
पकड़- ऩि रे ग रे, प रे, ऩि रे सा ।
प्रथम पहर निशि गाइये गनि को कर संवाद ।
जाति संपूर्ण तीवर मध्यम यमन आश्रय राग ॥
विशेषतायें
मुग़ल शासन काल के दौरान, मुसलमानों ने इस राग को राग यमन अथवा राग इमन कहना शुरू किया।
इस राग के दो नाम है यमन अथवा कल्याण। यमन और कल्याण भले ही एक राग हों मगर यमन और कल्याण दोनों के नाम को मिला देने से एक और राग की उत्पत्ति होती है जिसे राग यमन-कल्याण कहते हैं जिसमें दोनों मध्यम प्रयोग किये जाते हैं। यमन कल्याण में शुद्ध म केवल अवरोह में दो गंधारों के बीच प्रयोग किया जाता है जैसे- प म॑ ग म ग रे, नि रे सा है। अन्य स्थानों पर आरोह-अवरोह दोनों में तीव्र म प्रयोग किया जाता है, जैसे- ऩि रे ग म॑ प, प म॑ ग म ग रे, नि रे सा।
कल्याण और यमन राग की चलन अधिकतर मन्द्र ऩि से प्रारम्भ करते हैं और जब तीव्र म से तार सप्तक की ओर बढ़ते हैं तो पंचम छोड़ देते हैं। जैसे- ऩि रे ग, म॑ ध नि सां इसलिये इसका आरोह दो प्रकार से लिखा गया है। दोनो प्रकारों में केवल पंचम का अंतर है और कुछ नहीं।
इस राग में ऩि रे और प रे का प्रयोग बार बार किया जाता है।[1]
इस राग को गंभीर प्रकृति का राग माना गया है। इसमें बड़ा और छोटा ख्याल, तराना, ध्रुपद, तथा मसीतख़ानी और रज़ाख़ानी गतें सभी सामान्य रूप से गाई-बजाई जाती है।
इस राग को तीनों सप्तकों में गाया-बजाया जाता है। कई राग सिर्फ़ मन्द्र, मध्य या तार सप्तक में ज़्यादा गाये बजाये जाते हैं, जैसे राग सोहनी तार सप्तक में ज़्यादा खुलता है।
कल्याण राग को आश्रय राग भी कहा जाता है। इसका कारण यह है कि जिस थाट से इसका जन्म माना गया है।
राग परिचय
Total views | Views today | |
---|---|---|
कौन दिसा में लेके चला रे बटुहिया | 257 | 1 |
वंदेमातरम् | 412 | 0 |
राग बागेश्री | पंडित जसराज जी | 1,150 | 0 |
ब्रेथलेसऔर अरुनिकिरानी | 426 | 0 |
नुसरत फतेह के द्वारा राग कलावती | 617 | 0 |
द ब्यूटी ऑफ राग बिलासखानी तोड़ी | 648 | 0 |
राग यमन | 649 | 0 |
मोरा सइयां | 455 | 0 |
राग भीमपलासी पर आधारित गीत | 2,683 | 0 |
कर्ण स्वर | 514 | 0 |
Total views | Views today | |
---|---|---|
स्वर गान्धार का शास्त्रीय परिचय | 409 | 0 |
स्वर मध्यम का शास्त्रीय परिचय | 344 | 0 |
स्वर पञ्चम का शास्त्रीय परिचय | 341 | 0 |
स्वर धैवत का शास्त्रीय परिचय | 427 | 0 |
स्वर निषाद का शास्त्रीय परिचय | 392 | 0 |
स्वर और उनसे सम्बद्ध श्रुतियां | 583 | 0 |
सामवेद व गान्धर्ववेद में स्वर | 409 | 0 |
संगीत रत्नाकर के अनुसार स्वरों के कुल, जाति | 793 | 0 |
संगीत के स्वर | 1,251 | 0 |
स्वर षड्ज का शास्त्रीय परिचय | 492 | 0 |
स्वर ऋषभ का शास्त्रीय परिचय | 483 | 0 |
Total views | Views today | |
---|---|---|
रागदारी: शास्त्रीय संगीत में घरानों का मतलब | 265 | 0 |
सबसे पुराना माना जाता है ग्वालियर घराना | 276 | 0 |
बेहद लोकप्रिय है शास्त्रीय गायकी का किराना घराना | 199 | 0 |
आगरा का भी है अपना शास्त्रीय घराना | 183 | 0 |
लता मंगेशकर का नाम : भारतीय संगीत की आत्मा | 205 | 0 |
मेवाती घराने की पहचान हैं पंडित जसराज | 209 | 0 |
जयपुर- अतरौली घराने की देन हैं एक से बढ़कर एक कलाकार | 216 | 0 |
भारतीय नृत्य कला | 2,029 | 0 |
नाट्य शास्त्रानुसार नृतः, नृत्य, और नाट्य में तीन पक्ष हैं – | 1,067 | 0 |
शास्त्रीय संगीत क्या है | 296 | 0 |
काशी की गिरिजा | 178 | 0 |
भारतीय शास्त्रीय संगीत का आधार: | 243 | 0 |
लोक कला की ध्वजवाहिका | 165 | 0 |
भरत नाट्यम - तमिलनाडु | 487 | 0 |
राग क्या हैं | 688 | 0 |
लोक और शास्त्र के अन्तरालाप की देवी | 152 | 0 |
कर्नाटक संगीत | 343 | 0 |
क्या अलग था गिरिजा देवी की गायकी में | 285 | 0 |
राग भीमपलास और भीमपलास पर आधारित गीत | 423 | 0 |
माइक्रोफोन का कार्य | 751 | 0 |
कर्नाटक गायन शैली के प्रमुख रूप | 302 | 0 |
वेद में एक शब्द है समानिवोआकुति | 224 | 0 |
पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी | 257 | 0 |
ठुमरी का नवनिर्माण | 183 | 0 |
Total views | Views today | |
---|---|---|
संगीत घराने और उनकी विशेषताएं | 5,715 | 0 |
भारत में संगीत शिक्षण | 1,951 | 0 |
रामपुर सहसवां घराना भी है गायकी का मशहूर घराना | 222 | 0 |
कैराना का किराना घराने से नाता | 514 | 0 |
गुरु-शिष्य परम्परा | 1,622 | 0 |