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फिस्टुला रोग क्या है , इसको पहचाने के लक्षण इस प्रकार

कई महिलाएं ऐसी होती हैं जो फिस्टुला नामक बीमारी की शिकार तो होती हैं लेकिन उन्हें इस बारे में पता ही नहीं होता है कि वो इस रोग की शिकार हैं। गांव-बस्ती में रहने वाली कई महिलाएं ऐसी हैं जिनके शरीर में साफ रूप से फिस्टुला के लक्षण दिखते हैं लेकिन जानकारी के अभाव में वे कुछ नहीं कर पाती हैं। आज हम आपको फिस्टुला नामक बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं कि ये क्यों महिलाओं के लिए हानिकारक है।
भगंदर यान कि एनल फिस्टुला नामक रोग में गुदा द्वार के आसपास एक छेद बन जाता है। इस छेद से पस निकलता और रोगी काफी तेज दर्द महसूस करता है। समुचित इलाज न होने पर बार-बार पस पड़ने से फिस्टुला एक जटिल स्वास्थ्य समस्या बन जाता है, जो कालांतर में फोड़ा बन जाता है। फिस्टुला रूपी यह समस्या कालांतर में कैंसर और आंतों की टी.बी. का भी कारण बन सकती है। बहरहाल, आधुनिक वीडियो असिस्टेड एनल फिस्टुला ट्रीटमेंट के प्रचलन में आने के कारण फिस्टुला का इलाज पीड़ित व्यक्तियों के लिए कहीं ज्यादा राहतकारी हो गया है
- में क़रीब 20 लाख महिलाएं हैं पीड़ित।
- यह बीमारी बवासीर से काफी हद तक अलग है।
- ये बीमारी गंदगी या वंशानुगत तौर पर होती है।
फिस्टुला रोग के लक्षण
- रोगी की गुदा में तेज दर्द होता है, जो जो बैठने पर बढ़ जाता है।
- गुदा के आसपास खुजली हो सकती है। इसके अलावा सूजन होती है।
- त्वचा लाल हो जाती है और वह फट सकती है। वहां से मवाद या खून रिसता है।
- रोगी को कब्ज रहता है और मल-त्याग के समय उसे दर्द होता है।
अफ्रीका और एशिया में हैं मरीजो की संख्या अधिक
- यह बीमारी गंदगी या सही से ध्यान न रख पाने के बाद होती है। इसे एक अभियान के तहत यूरोप और अमरीका में जड़ से समाप्त कर दिया गया है और अब वहां इसके बारे में शायद ही कोई जानता हो।
- वर्तमान में करीब 20 लाख महिलाएं दुनियाभर में इससे पीड़ित हैं। इनकी तादाद अफ्रीका और एशिया में आधुनिक देखभाल और इलाज उपलब्ध ना होने के कारण सबसे अधिक है।
फिस्टुला की जांच करवाये
फिस्टुला की जांच के लिये डिजिटल एनस टेस्ट (गुदा परीक्षण) किया जाता है, लेकिन कई रोगियों को इसके अलावा अन्य परीक्षणों की जरूरत पड़ सकती है, जैसे फिस्टुलोग्राम और फिस्टुला के मार्ग को देखने के लिये एमआरआई जांच।
फिस्टुला का सही उपचार
सर्जरी इस रोग के उपचार का एकमात्र उपाय है। परंपरागत सर्जरी: फिस्टुला की परंपरागत सर्जरी को फिस्टुलेक्टॅमी कहा जाता है। सर्जन इस सर्जरी के जरिये भीतरी मार्ग से लेकर बाहरी मार्ग तक की संपूर्ण फिस्टुला को निकाल देते हैं। इस सर्जरी में आम तौर पर टांके नहीं लगाये जाते हैं और जख्म को धीरे-धीरे और प्राकृतिक तरीके से भरने दिया जाता है। इस उपचार विधि में दर्द होता है और उपचार के असफल होने की संभावना रहती है।
अंदर के मार्ग और बगल के टांके आम तौर पर हट जाते हैं जिससे दोबारा फिस्टुला हो सकता है। परम्परागत उपचार विधि में मल त्याग में दिक्कत होती है। फिस्टुला की सर्जरी से होने वाले जख्म को भरने में छह सप्ताह से लेकर तीन माह का समय लग जाता है।
नवीनतम उपचार
वीडियो असिस्टेड एनल फिस्टुला ट्रीटमेंट (वीएएएफटी) सुरक्षित और दर्द रहित उपचार है। यह डे-कयर सर्जरी है यानी रोगी सुबह अस्पताल आता है और उसी दिन शाम को चला जाता है। यही नहीं, वीएएएफटी फिस्टुला को दोबारा होने से रोकता है। इस सर्जरी में माइक्रो इंडोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है,जिसे पूरे फिस्टुला के मार्ग में ले जाया जा सकता है और इस दौरान फिस्टुला को देखा जा सकता है।
इस स्थिति में सर्जन को विशेष विद्युतीय करंट के जरिये फिस्टुला को नष्ट करने में मदद मिलती है। सर्जन फिस्टुला के मार्ग को ठीक तरीके से बंद करने के लिये एक विशिष्ट फाइब्रिन ग्लू का इस्तेमाल करते हैं, जिससे कोई जख्म नहीं रहता है और इसलिये अधिक दिनों तक ड्रेसिंग की जरूरत नहीं होती। 'वीएएएफटी' से मल-मूत्र को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों को किसी तरह की क्षति नहीं पहुंचती। इस कारण मल-मूत्र त्यागने की क्रिया सामान्य बनी रहती है, लेकिन पारंपरिक ओपन सर्जरी में मांसपेशियों को नुकसान पहुंचने का खतरा बरकरार रहता है।