भूटान का क्रिप्टो माइनिंग क्षेत्र में नवाचार
हाल ही में भूटान ने क्रिप्टो माइनिंग क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है, जिसकी शुरुआत जुलाई 2021 में की गई थी। जून 2023 तक भूटान ने लगभग 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर इस क्षेत्र में निवेश किए हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के समीकरण में एक महत्वपूर्ण कड़ी बन सकती है। भूटान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से हाइड्रोपॉवर, पर्यटन और कृषि पर निर्भर है। ऐसे में क्रिप्टो माइनिंग जैसे नए और विविधता से भरे आय स्रोत को अपनाना राष्ट्रीय महत्व का विषय बन गया है।
रेगुलेटरी सैंडबॉक्स फ्रेमवर्क की भूमिका
जनवरी 2019 में रॉयल मॉनेटरी अथॉरिटी (RMA) द्वारा एक रेगुलेटरी सैंडबॉक्स फ्रेमवर्क पेश किया गया, जिसमें क्रिप्टो मुद्रा माइनिंग के लिए आवश्यक शर्तें और विशिष्टताओं को स्पष्ट किया गया। इस फ्रेमवर्क ने क्रिप्टो माइनिंग को नियोजित और संरक्षित ढ़ंग से विकसित करने में सहायता की। यह भूटान को तकनीकी और आर्थिक उन्नति के मार्ग पर आगे ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
क्रिप्टो माइनिंग का पहला चरण
भूटान का क्रिप्टो माइनिंग क्षेत्र दो चरणों में विभाजित किया जा सकता है। पहले चरण में, भूटान ने लगभग 540 मिलियन अमेरिकी डॉलर माइनिंग में निवेश किए, जिसे प्रमुख रूप से कर्ज और बॉन्ड द्वारा वित्त पोषित किया गया। इस दौरान, RMA ने ड्रुक होल्डिंग्स एंड इन्वेस्टमेंट्स (DHI) द्वारा जारी तीन वर्षीय विदेशी मुद्रा बॉन्ड को सब्स्क्राइब किया, जो भूटान की सरकार का वाणिज्यिक शाखा है। यह पहल देश को दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम था।
दूसरे चरण में निजी निवेश और साझेदारी का दौर
दूसरा चरण, जो 2023 के उत्तरार्ध में शुरू हुआ, निजी निवेश और प्रौद्योगिकी के सहयोग के तहत प्रगति कर रहा है। इस दौरान भूटान की DHI ने सिंगापुर की फर्म बिटडीयर के साथ मिलकर भूटान में हरित डिजिटल संपत्ति माइनिंग ऑपरेशन्स को संयुक्त रूप से विकसित करने की योजना बनाई है। इसका लक्ष्य 2026 तक भूटान में 600 मेगावाट माइनिंग फार्म का विस्तार करना है। इस चरण में निजी निवेश और तकनीकी उन्नति को प्राथमिकता दी जा रही है।
लाभ और चुनौतियाँ
क्रिप्टो माइनिंग के इस उभार से भूटान को कई लाभ हुए हैं, जैसे 2023 में 4 अरब आईएनआर का सिविल सेवा वेतन वृद्धि कवर करना, माइनिंग क्रियाकलापों और मुनाफे में वृद्धि, और आउटपुट्स का विस्तार। लेकिन साथ ही, इसने भूटान के मौजूदा रिश्तों, जैसे उसके भारत के साथ व्यापार संतुलन, पर भी गंभीर प्रभाव डाला है। भूटान और भारत के बीच जलविद्युत सहयोग के लाभकारी पहलुओं पर भी इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है।
भविष्य की चुनौतियाँ और चिंताएँ
इसका दूसरा चरण, अपने पूर्ण रूप में, देश की समग्र ऊर्जा खपत से अधिक बिजली का प्रयोग करेगा, जिससे हाइड्रोपॉवर खपत में वृद्धि और भूटान की घटती आय और निर्यात पर प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, पर्यावरणीय जोखिम और क्रिप्टो माइनिंग केंद्रों की प्रमुख अधोसंरचना जैसे जलविद्युत संयंत्रों के निकटता भी चिंताएं बनी हुई हैं।
टिप्पणि
Jasdeep Singh
29/मई/2024ये सब बकवास है। भूटान की हाइड्रो पावर को बेचकर हम भारत को बिजली दे रहे थे, अब वो उसी बिजली से डिजिटल कॉइन माइन कर रहा है? ये कौन सा विकास है? जब हम अपने गांवों में बिजली नहीं आ रही, तो ये लोग अमेरिकी टेक बॉसों के लिए बिजली बेच रहे हैं। ये राष्ट्रीय नीति नहीं, ये राष्ट्रविरोधी बेवकूफी है। इसका असर हमारे ऊर्जा संतुलन पर पड़ेगा, और फिर भारत को भी भुगतान करना पड़ेगा। इसका कोई लॉजिक नहीं है।
Rakesh Joshi
29/मई/2024भाई, ये तो बहुत बड़ी बात है! भूटान ने अपने हरित ऊर्जा को स्मार्टली यूज किया है। ये क्रिप्टो माइनिंग सिर्फ पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि एक टेक्नोलॉजी ड्राइवन इकोनॉमी की नींव है। जब हम अपने देश में सोलर और विंड पर बहुत ज्यादा फोकस कर रहे हैं, तो भूटान ने हाइड्रो को डिजिटल इकोनॉमी के साथ जोड़ दिया। ये एक नया मॉडल है। हमें इसे कॉपी करना चाहिए। भारत भी अपने बांधों के पास माइनिंग फार्म लगा सकता है। ये सिर्फ टेक नहीं, ये एक नया राष्ट्रीय अहंकार है। 🇮🇳🔥
HIMANSHU KANDPAL
29/मई/2024मैंने इसे पढ़ा… और रो गया। भूटान के लोगों ने अपनी प्रकृति को बेच दिया। वो जो हमारे बच्चों के लिए शुद्ध वातावरण बचाने का नारा लगाते थे, वो अब बिजली के लिए नदियों को खाली कर रहे हैं। ये क्या देश है? जिसका नारा है ‘गॉड नेशन’ और जो अपने आप को ‘ग्रीन’ कहता है, लेकिन अपनी नदियों को डिजिटल मशीनों के लिए बलि दे रहा है? ये धोखा है। ये नहीं होना चाहिए था।
Arya Darmawan
29/मई/2024अरे भाई, ये बहुत अच्छी बात है! भूटान ने एक बहुत ही स्मार्ट मूव किया है। उनके पास हाइड्रो पावर का एक्स्ट्रा कैपेसिटी है, और वो उसे वेस्ट नहीं होने दे रहे। अब वो इसे टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ रहे हैं। ये एक एक्सपेरिमेंट है, और अगर ये सफल हुआ, तो ये दुनिया के लिए एक नया रेफरेंस पॉइंट बन जाएगा। बिटडीयर के साथ पार्टनरशिप भी बहुत स्मार्ट है-सिंगापुर की टेक कॉम्पनी के साथ, जो एक्सपर्ट है। अगर ये 600 मेगावाट तक पहुंच गया, तो ये भूटान के लिए एक नया ग्रीन गोल्ड रश हो जाएगा। इसे सपोर्ट करो, न कि क्रिटिकाइज करो।
Raghav Khanna
29/मई/2024इस विश्लेषण को ध्यानपूर्वक पढ़ने के बाद, मैं यह निष्कर्ष निकालना चाहता हूँ कि भूटान की राष्ट्रीय नीति अत्यंत विचारशील और दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर आधारित है। रेगुलेटरी सैंडबॉक्स का उपयोग करके उन्होंने एक अत्यधिक अस्थिर क्षेत्र में एक स्थिर ढांचा बनाया है। इसके अलावा, ड्रुक होल्डिंग्स एंड इन्वेस्टमेंट्स द्वारा विदेशी मुद्रा बॉन्ड के माध्यम से वित्तीय स्थिरता की व्यवस्था एक अत्यंत विशिष्ट और प्रारंभिक उपलब्धि है। यह दृष्टिकोण अन्य विकासशील देशों के लिए एक आदर्श उदाहरण हो सकता है।
Rohith Reddy
29/मई/2024ये सब फेक है भाई साहब। कोई भूटानी सरकार इतना बड़ा निवेश नहीं कर सकती। ये सब अमेरिकी कंपनियों का झूठ है। भूटान के पास इतनी बिजली नहीं है। ये बॉन्ड भी फेक है। ये आपको बता रहे हैं कि भूटान ग्रीन है लेकिन असल में वो अमेरिका के लिए बिजली चुरा रहे हैं। भारत को इस बारे में जागना चाहिए। ये सब एक डिजिटल छल है। इसका असली लक्ष्य हमारे ऊर्जा नियंत्रण को तोड़ना है। आपको ये सब बर्बाद करने वाला लगता है।
Vidhinesh Yadav
29/मई/2024क्या कोई जानता है कि इस माइनिंग फार्म के लिए कितने स्थानीय लोगों को रोजगार मिला? और क्या उन्हें ट्रेनिंग दी गई? ये टेक्नोलॉजी बहुत बड़ी है, लेकिन अगर ये सिर्फ विदेशी कंपनियों के लिए है, तो ये सच में समावेशी है? क्या भूटान के युवाओं को इसके लिए स्किल्स दिए जा रहे हैं? या ये सिर्फ एक बाहरी निवेश है जो बाद में चला जाएगा? मुझे लगता है कि इसके बारे में और गहराई से बात करनी चाहिए।
Puru Aadi
29/मई/2024ये तो बहुत बढ़िया है! 🙌 भूटान ने अपनी प्राकृतिक संपदा को टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ दिया। ये वाकई एक नया दृष्टिकोण है। अगर हम भी अपने बांधों के पास ऐसे फार्म लगा दें, तो हम भी एक टेक नेशन बन सकते हैं। ये सिर्फ बिजली नहीं, ये भविष्य की बिजली है। जल्दी से इसे अपनाओ, नहीं तो हम पीछे रह जाएंगे। 💪🌍