ईरानी राष्ट्रपति चुनाव: एक बदलाव का संकेत?
ईरान में हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रपति चुनाव ने विवाद और चर्चाओं को जन्म दिया है। मासूद पेजेश्कियान ने इस चुनाव में सफ़ालता प्राप्त की है और उन्होंने सख्त समर्थक सईद जलिली को हराया है। पेजेश्कियान की जीत को सुधारवाद की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
मासूद पेजेश्कियान के राष्ट्रपति बनने से पूर्व राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी की कड़ी नीतियों से जनता को कुछ राहत मिल सकती है। रईसी ने महिलाओं के ड्रेस कोड पर कड़ा नियंत्रण लगाया था और परमाणु समझौता वार्ताओं में सख्त रुख अपनाया था।
पेजेश्कियान का राजनीतिक सफर और सुधारवाद
हालांकि, पेजेश्कियान को सुधारवादी कहा जा रहा है, लेकिन उनके अतीत पर नजर डालें तो कुछ अलग ही कहानी सामने आती है। इस्लामिक क्रांति के शुरुआती वर्षों में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उन्होंने अस्पतालों में अनिवार्य हिजाब लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इस बिंदु पर एक बड़ा सवाल उठता है कि क्या पेजेश्कियान वास्तव में एक सुधारवादी नेता हैं या केवल एक प्रतीकात्मक चेहरा हैं जिसका उद्देश्य पश्चिमी दबाव को कम करना है।
ईरान की जटिल राजनीतिक परिदृश्य
ईरान की राजनीति बेहद जटिल है जहाँ राष्ट्रपति की भूमिका बहुत सीमित होती है। सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई की सत्ता पर मजबूत पकड़ है और वे राज्य के सभी महत्वपूर्ण मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ऐसे में, पेजेश्कियान की जीत को पश्चिमी देशों के प्रति एक नरम रवैया अपनाने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है। लेकिन इसमें कितना असर होगा, यह कहना मुश्किल है।
जनता का विश्वास भी इस चुनाव में अपारदर्शक दिखा। 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद यह सबसे कम मतदान वाला चुनाव रहा, जिसमें 49.8% ही मतदाताओं ने भाग लिया।
वर्तमान चुनौतियों और संभावनाओं का सामना
पेजेश्कियान के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी ईरान के आंतरिक और बाहरी दबावों को संतुलित करना। पश्चिमी देशों के साथ संबंध बेहतर बनाने के प्रयासों के बावजूद, उन्हें घरेलू मुद्दों पर ध्यान देना होगा। अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, और नागरिक अधिकारों के सवाल उनकी प्राथमिकता में होंगे।
हालांकि, पेजेश्कियान के समर्थक उम्मीद कर रहे हैं कि वे ईरान को एक नई दिशा में ले जाने में सफल होंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें कई कड़े फैसले भी लेने होंगे।
आगामी समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि पेजेश्कियान क्या नए कदम उठाते हैं और उनके सुधारवादी एजेंडा का असली प्रभाव क्या होता है।
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