प्रस्तावना
चीन और ताइवान के बीच बढ़ती तनातनी के बीच चीन ने ताइवान के चारों ओर सैन्य अभ्यास तेज कर दिया है। ये अभ्यास ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के शपथ ग्रहण के बाद शुरू किए गए हैं। चीन का यह कदम इस उद्देश्य से उठाया गया है कि वह अपनी सैन्य शक्ति की ताकत का परिक्षण कर सके और ताइवान को स्पष्ट संदेश दे सके।
सैन्य अभ्यास का स्वरूप
चीन के इस सैन्य अभ्यास में उसकी वायु सेना, रॉकेट बल, नौसेना, सेना और तट रक्षक शामिल हैं। इस अभ्यास के लिए ताइवान के मुख्य द्वीप और उसके पास के अन्य द्वीपों के आस-पास पाँच लक्षित क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं। इन अभ्यासों का मकसद केवल ताइवान की तटरेखा और उसके संगठनों को दहशत में लाना ही नहीं, बल्कि यह भी यह भी प्रदर्शित करना है कि चीन ताइवान पर नियंत्रण करने के अपने उद्देश्य को पूरा करने में सक्षम है।
चीन की स्थिति
चीन के अनुसार, यह अभ्यास आवश्यक प्रतिक्रिया है जो वह ताइवान के 'अलगाववादी गतिविधियों' के खिलाफ कर रहा है। चीनी रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि यह अभ्यास यह सुनिश्चित करने के लिए है कि PLA (People's Liberation Army) ताइवान के सामरिक क्षेत्रों को कब्जे में लेने के लिए तैयार है। बीजिंग की लंबे समय से ताइवान को चीन का हिस्सा बनाने की योजना रही है और यह अभ्यास उसी दिशा में एक कदम है।
ताइवान की प्रतिक्रिया
ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने चीन के इस कदम की निंदा की है और ताइवान की स्वतंत्रता व संप्रभुता को बरकरार रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। ताइवान ने अपने जेट विमानों को तैयार रखते हुए उच्च सतर्कता का पालन किया है, साथ ही तटरेखा के समीप एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम भी तैनात किया है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन के इस कदम की व्यापक निंदा हुई है। जापान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने चीन से संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर यह स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई तो इसे संभालना मुश्किल हो जाएगा और इससे बचना चाहिए।
अप्रत्याशित परिणाम का डर
काफी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह संघर्ष बढ़ता है तो इसका असर पूरे एशिया महाद्वीप पर पड़ सकता है। इसे लेकर दुनिया भर में चिंताएं भी जताई जा रही हैं। इस घटनाक्रम पर पूरी दुनिया की नज़रें टिकी हुई हैं और ऐसे में किसी भी प्रकार का छोटा सा भटकाव या जमावड़ा अनियंत्रित स्थिति पैदा कर सकता है।
Xi Jinping की तैयारी
पश्चिमी खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन के नेता शी जिनपिंग ने PLA को 2027 तक ताइवान पर काबू पाने के लिए पूरी तरह तैयार रहने का आदेश दिया है। इसके खिलाफ ताइवान ने भी अपना सुरक्षा और सामरिकि समर्थन मजबूत करने की पूरी तैयारी शुरू कर दी है।
संभावित प्रभाव
संभावित तौर पर यह माना जा रहा है कि इस तनाव का अंतरराष्ट्रीय व्यापार, प्रौद्योगिकी सप्लाई चैन और अन्य क्षेत्रों पर भी असर पड़ सकता है। चीन और ताइवान के रिश्ते हमेशा से ही संवेदनशील रहे हैं, और इस प्रकार की कार्रवाइयों से इसे और गंभीरता मिल सकती है।
निष्कर्ष
स्थिति वर्तमान में गंभीर है और आगे क्या दिशा लेगी, यह कोई भी स्पष्ट रूप से नहीं कह सकता। लेकिन यह जरूरी है कि सभी पक्ष संयम बरतें और संवाद के माध्यम से समाधान खोजें। ताइवान और चीन के संबंध में इन मुद्दों का समाधान शायद ही आसान होगा, लेकिन इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सहयोग अवश्य ही आवश्यक है।
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