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World Book and Copyright Day 2025: किताबों और लेखकों को समर्पित 'Our Heroes' थीम पर वैश्विक उत्सव

शिक्षा

क्यों खास है World Book and Copyright Day 2025?

हर साल World Book and Copyright Day दुनियाभर में 23 अप्रैल को किताबों, साहित्य और लेखकों के योगदान को सलाम करने के लिए मनाया जाता है। UNESCO ने 1995 में इस दिन की शुरुआत की थी और तब से यह तारीख हर किताबप्रेमी का उत्सव बन चुकी है। यह दिन संयोग से उन तीन महान साहित्यकारों - विलियम शेक्सपियर, मिगुएल द सर्वांतेस, और इंका गार्सिलासो दे ला वेगा - की पुण्यतिथि भी है, जिनका साहित्यिक वारिस आज भी लोगों को प्रभावित करता है। उनकी रचनाओं ने न सिर्फ उनके देश बल्कि पूरी मानवता की सोच को दिशा दी।
2025 में, इस दिन की थीम है ‘Our Heroes’। थीम का मकसद है कि हम किताबों और लेखकों को अपने असली हीरो माने, क्योंकि वे हमें न केवल ज्ञान देते हैं बल्कि सोचने, सवाल करने और बेहतर बनने की प्रेरणा भी देते हैं। हर बार यूनस्को एक अलग थीम चुनता है जिससे किताबों और रचनात्मकता के अलग-अलग पहलुओं को सामने लाया जा सके।

उत्सव, महत्व और समाज पर असर

उत्सव, महत्व और समाज पर असर

UNESCO के लिए यह दिन महज़ किताबों को पढ़ने की आदत का जश्न नहीं, बल्कि एक गहरी सामाजिक जिम्मेदारी है। इसके पीछे मकसद है कि हर तबके को किताबें आसानी से उपलब्ध हों और साथ ही लेखकों के बौद्धिक अधिकार, यानी copyright, का सम्मान हो। जब बच्चे स्कूलों में पढ़ते हैं, जब युवा नई किताबें पढ़ते हैं, तो वे सिर्फ शब्द नहीं सीखते, बल्कि दुनिया को दूसरे नजरिए से देखने की ताकत भी पाते हैं।

2025 में दुनिया भर की लाइब्रेरी, स्कूल, विश्वविद्यालय और सार्वजनिक मंचों पर ढेर सारे इवेंट्स होंगे। कभी-कभार छुट्टी के दिन पड़ने पर इसे वीकेंड पर भी मनाया जाता है ताकि ज्यादा लोग जुड़ सकें। छोटे-बड़े शहरों में

  • पढ़ने की मैराथन
  • बुकी एक्सचेंज
  • लिटरेरी फेस्टिवल्स
  • अलग-अलग भाषाओं में किताब देना
  • पसंदीदा पात्रों का रूप धारण करना
जैसी गतिविधियाँ खूब होती हैं। कई स्कूलों में तो बच्चों को खुद लेखक से मिलवाने, कहानी सुनाने और किताबों को जीवन से जोड़ने के नए-नए तरीके आजमाए जाते हैं।

हर साल UNESCO के डायरेक्टर-जनरल का संदेश आता है। 2024 में किताबों का समर्थन करने पर जोर था, वहीं 2025 में ‘Our Heroes’ थीम के जरिए ऐसे लेखकों और रचनाकारों की चर्चा होगी जिन्होंने समाज के दर्द, संघर्ष और सपनों को शब्दों में ढाला है। यह थीम नई पीढ़ी को यह भी समझाएगी कि विचारों का सशक्त हथियार किताबें हैं।

आज जब शॉर्ट वीडियो और सोशल मीडिया का वक्त है, किताबों के प्रति रूचि बनाए रखना आसान नहीं है। फिर भी, वर्ल्ड बुक एंड कॉपीराइट डे उन सबको ये याद दिलाता है कि अच्छे विचार, कल्पना और शब्द कभी पुराने नहीं होते।

टिप्पणि

  • Prince Ranjan

    Prince Ranjan

    22/अप्रैल/2025

    ये सब बकवास है भाई। किताबें पढ़ने वाले अब नौकरी नहीं पाते। जब तक तुम टिकटॉक पर 15 सेकंड का वीडियो बना नहीं पाओगे तब तक तुम्हारा नाम किसी के कान में नहीं जाएगा। यूनेस्को के इन लोगों को तो अपनी बारिश में भीगने दो। किताबें अब लाइब्रेरी में धूल चढ़ रही हैं।

  • Suhas R

    Suhas R

    22/अप्रैल/2025

    अरे ये सब एक बड़ा कॉन्सपिरेसी है! यूनेस्को के पीछे अमेरिका और इंग्लैंड छिपे हैं। वो चाहते हैं कि हम अंग्रेजी की किताबें पढ़ें और अपनी भाषाओं को भूल जाएं। शेक्सपियर? वो तो एक अंग्रेजी ब्रेनवॉश टूल है। असली हीरो हैं हमारे वैदिक ऋषि जिनकी किताबें किसी ने जला दीं। किताबों की बात कर रहे हो तो रामायण और महाभारत को तो याद करो जो 5000 साल पुराने हैं। इन लोगों को बस अपनी बात चलानी है।

  • Sweety Spicy

    Sweety Spicy

    22/अप्रैल/2025

    ओह माय गॉड। ये थीम 'Our Heroes' तो इतनी ट्रिशल है कि मैं रो पड़ी। लेखक? हीरो? बस एक लेखक के बारे में सोचो जिसने अपने दर्द को शब्दों में बाँध दिया और फिर उसे दुनिया के सामने रख दिया। वो अकेले थे, बेसहारे थे, और फिर भी उन्होंने लिखा। आज के ट्रेंड में जब लोग अपनी आत्मा को बेच रहे हैं तो लेखक अपनी आत्मा को बचा रहे हैं। ये न सिर्फ किताबें हैं बल्कि आत्माओं के टुकड़े हैं। और हाँ, शेक्सपियर की जगह मैं लेखिका कामिनी रॉय को भी शामिल करना चाहूँगी। उसने तो 1930 में लिखा था - 'मैं एक औरत हूँ, मैं लिखती हूँ, और मैं तुम्हारे नियमों को नहीं मानूँगी'। ये हीरो हैं।

  • Pradeep Asthana

    Pradeep Asthana

    22/अप्रैल/2025

    भाई तुम सब बहुत ज्यादा भावुक हो रहे हो। ये दिन तो बस एक बहाना है। लेखकों को नौकरी नहीं मिल रही तो यूनेस्को ने इसे बना दिया। असल में किताबें तो अब बेची नहीं जा रहीं। मैंने अपने बेटे को एक नया बुक सेट दिया था, वो तो उसे बेच दिया और एक नया फोन खरीद लिया। ये दुनिया बदल गई है। लोगों को अब बुक्स की जरूरत नहीं, बल्कि बैंक बैलेंस की है।

  • Shreyash Kaswa

    Shreyash Kaswa

    22/अप्रैल/2025

    किताबें हीरो हैं? अरे भाई, असली हीरो तो वो हैं जो रात को सोए बिना सैकड़ों बच्चों को पढ़ाते हैं। जो गाँव में बिना बिजली के लालटेन के नीचे किताबें पढ़ाते हैं। ये यूनेस्को का थीम अच्छा है, लेकिन असली चीज़ वो है जो आज हमारे गाँवों में हो रहा है। किताबें तो बस एक टूल हैं। हीरो वो हैं जो उन टूल्स को बच्चों के हाथ में देते हैं।

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