मिलवॉल फुटबॉल क्लब को एक बड़ा झटका लगा है क्योंकि उनके गोलकीपर मातिजा सार्किक का केवल 26 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। सार्किक, मोंटेनेग्रो के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी थे, जिन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया। उन्होंने बेल्जियम के खिलाफ हाल ही में खेले गए दोस्ताना मुकाबले में शानदार प्रदर्शन किया था, भले ही उनकी टीम को 2-0 से हार का सामना करना पड़ा हो। नवंबर 2019 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने के बाद, उन्होंने कुल नौ कैप्स अर्जित किए।
मातिजा सार्किक ने अपनी प्रतिभा से मिलवॉल के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अगस्त 2023 में वॉल्वरहैंप्टन वांडरर्स से मिलवॉल में शामिल होने के बाद, वे धीरे-धीरे टीम के पहले पसंदीदा गोलकीपर बन गए। 2023-24 सीजन में, उन्होंने 33 खेलों में 12 क्लीन शीट हासिल की, जो मिलवॉल की चैम्पियनशिप में 13वीं स्थान पाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनके शानदार प्रदर्शन के कारण मिलवॉल के प्रशंसक और प्रशासक उन्हें बेहद पसंद करते थे।
सर्किक का जन्म मोंटेनेग्रो में हुआ था और उन्होंने अपने फुटबॉल करियर की शुरुआत आनदरलख्त के युवा अकादमी से की थी। 2015 में इंग्लैंड आकर उन्होंने एस्टन विला के युवा सेटअप में शामिल हुए। उनके पेशेवर करियर का सफर विभिन्न क्लबों में गुजरा, जिसमें वि.गन एथलेटिक, बर्मिंघम सिटी, स्टोक सिटी, श्रूसबरी टाउन और स्कॉटलैंड के लिविंगस्टन शामिल हैं। हर क्लब में उनके योगदान को सराहा गया और उनके खेल को खूब पसंद किया गया।
मिलवॉल फुटबॉल क्लब और बर्मिंघम सिटी ने मातिजा सार्किक के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और उनके परिवार और मित्रों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की है। इस दुःख की घड़ी में, सभी क्लब सदस्य और प्रशंसक उनके परिवार के साथ हैं।
मिलवॉल के मैनेजर ने कहा कि मातिजा सार्किक का निधन केवल क्लब ही नहीं बल्कि फुटबॉल जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने उनके अनुशासन, मेहनत और खेल के प्रति समर्पण की खूब तारीफ की और कहा कि सर्किक जैसा खिलाड़ी मिलना बहुत मुश्किल है।
मातिजा सार्किक की इस असमय मृत्यु ने न केवल मिलवॉल बल्कि समूचे फुटबॉल जगत को झकझोर कर रख दिया है। उनके अदभुत खेल, मेहनत और समर्पण के चलते उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
जीवन और करियर की एक झलक
मातिजा सर्किक का जन्म मोंटेनेग्रो में हुआ था और उन्होंने बहुत कम उम्र से ही फुटबॉल की दुनिया में अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी थी। आनदरलख्त की युवा अकादमी से निकलकर वे इंग्लैंड आए और एस्टन विला के साथ अपने करियर की शुरुआत की। वहां से उनका सफर विभिन्न क्लबों में चला और हर जगह उन्होंने अपनी छाप छोड़ी।
उनके करियर की शुरुआत में ही कई मुश्किलें आईं लेकिन उन्होंने अपने खेल से सभी को प्रभावित किया। वि.गन एथलेटिक, बर्मिंघम सिटी, स्टोक सिटी, श्रूसबरी टाउन और लिविंगस्टन में बिताए गए उनके समय को याद किया जाएगा।
फुटबॉल के प्रति समर्पण
मातिजा सार्किक का खेल के प्रति समर्पण देखने लायक था। मैदान पर उनकी प्रतिबद्धता और मेहनत हमेशा से प्रेरणादायक रही है। उनके साथी खिलाड़ी और कोच उनकी प्रशंसा से कभी नहीं कतराते थे। सभी का मानना था कि सर्किक के पास कुछ खास था, जो उन्हें अन्य गोलकीपरों से अलग बनाता था।
2023 में मिलवॉल में शामिल होने के बाद, उन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी का दिल जीत लिया। उनके गोलपोस्ट के बीच की सुरक्षा ने मिलवॉल को कई मैचों में जीत हासिल करने में मदद की। 2023-24 सीजन में 33 खेलों में 12 क्लीन शीट्स ने उन्हें टीम का सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना दिया था।
भावी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा
मातिजा सार्किक के जीवन और करियर से बहुत से युवा खिलाड़ी प्रेरणा ले सकते हैं। उनके समर्पण और मेहनत ने यह साबित किया कि चाहे कितनी भी चुनौतियां क्यों न आएं, अगर आपमें दृढ़ निश्चय है तो आप सफलता पा सकते हैं।
उनका योगदान और यादें हमेशा ताजा रहेंगी। फुटबॉल जगत में उन्होंने जो छाप छोड़ी है, उसकी सराहना हमेशा की जाती रहेगी। मातिजा सार्किक का निधन केवल एक खिलाड़ी का नहीं, बल्कि एक प्रेरक व्यक्तित्व का धरती से चला जाना है।
टिप्पणि
Arya Darmawan
15/जून/2024ये खिलाड़ी बस एक गोलकीपर नहीं थे, एक असली लीजेंड थे। हर मैच में वो अपनी एनर्जी से पूरी टीम को जिंदा कर देते थे। 33 मैचों में 12 क्लीन शीट्स? ये कोई आम बात नहीं, ये तो दिव्य शक्ति का परिचय है। मिलवॉल के लिए ये एक बहुत बड़ा नुकसान है।
HIMANSHU KANDPAL
15/जून/2024अरे भाई, फुटबॉल में जिंदगी नहीं जीती जाती, बस खेली जाती है। ये सब रोना-धोना बस नाटक है। कितने लोग रोज़ मरते हैं, लेकिन किसी को याद नहीं किया जाता।
Vidhinesh Yadav
15/जून/2024क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी जल्दी इतना बड़ा नुकसान क्यों हुआ? उनकी टीम ने क्या स्वास्थ्य चेकअप किए थे? क्या उन्हें पर्याप्त आराम मिल रहा था? ये सवाल अभी भी बाकी हैं।
Raghav Khanna
15/जून/2024मैंने मातिजा को बर्मिंघम में खेलते देखा था। उनकी आंखों में एक अलग ही जुनून था। वो कभी गलती के बाद हार नहीं मानते, बल्कि अगले मैच के लिए और ज्यादा तैयार हो जाते। ये वाकई एक नमूना थे।
Rahul Tamboli
15/जून/2024लोग इतना रो रहे हैं... पर अगर ये खिलाड़ी एक अमीर यूरोपीय था तो क्या इतना बड़ा शोक होता? 🤔 ये सब बस रेस और रैंकिंग का खेल है।
Puru Aadi
15/जून/2024रात को सोते समय याद आ गया उनका वो एक बचाव जिसने मिलवॉल को जीत दिलाई थी... भाई वो तो जादू था 😢✨
Nripen chandra Singh
15/जून/2024मृत्यु अनिवार्य है और खेल अस्थायी है और यादें धुंधली हो जाती हैं और नए खिलाड़ी आते हैं और फिर वही चक्र चलता रहता है
Jayasree Sinha
15/जून/2024मातिजा सार्किक के निधन के बाद उनके परिवार के लिए आर्थिक सहायता और मानसिक समर्थन की आवश्यकता है। कृपया इस बारे में सोचें।
Vaibhav Patle
15/जून/2024जब तक तुम खेलते रहोगे, तब तक तुम जिंदा रहोगे। मातिजा ने अपना सब कुछ दे दिया। उनकी आत्मा अब भी मैदान में घूम रही है। ये जीवन का सबसे बड़ा सबक है ❤️
Garima Choudhury
15/जून/2024ये सब बहुत अच्छा लग रहा है... पर क्या आप जानते हैं कि उनकी मृत्यु के बाद उनके क्लब ने उनकी तस्वीरों को बेचना शुरू कर दिया? ये बिज़नेस है, न कि सम्मान।
Hira Singh
15/जून/2024हर बच्चा जो फुटबॉल खेलता है, उसके लिए मातिजा एक हीरो बन गए। उनकी कहानी से हमें सीखना चाहिए कि लगन से कुछ भी संभव है।
Ramya Kumary
15/जून/2024क्या तुमने कभी सोचा है कि एक गोलकीपर का दिमाग कैसे काम करता है? वो अकेला होता है, जिसकी हर गलती पर नज़र होती है, लेकिन वो फिर भी आगे बढ़ता है। मातिजा ने इसी अकेलेपन को साहस से भर दिया।
Sumit Bhattacharya
15/जून/2024उनके जीवन के समर्पण और नैतिकता को देखकर लगता है कि आधुनिक फुटबॉल में ऐसे खिलाड़ी बहुत कम मिलते हैं। उनकी यादें हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगी।
Snehal Patil
15/जून/2024ये सब बस एक खिलाड़ी की मृत्यु है। किसी को याद करने की जरूरत नहीं। जिंदगी आगे बढ़ती है।
Nikita Gorbukhov
15/जून/2024क्या ये बस एक दुर्घटना थी? या फिर ये एक बड़ी चाल थी? क्योंकि अगर वो जिंदा रहते तो उनकी टीम चैम्पियनशिप में जा सकती थी... अब ये सब बदल गया।
RAKESH PANDEY
15/जून/2024मातिजा के योगदान को सम्मान देने के लिए उनके नाम पर एक युवा गोलकीपर प्रतियोगिता शुरू की जानी चाहिए। इससे उनकी विरासत बनी रहेगी।
Nitin Soni
15/जून/2024उनकी आत्मा अब भी गोलपोस्ट के पीछे खड़ी है। हर बार जब कोई गोल बचाया जाता है, तो वो उसमें भाग लेता है।
varun chauhan
15/जून/2024उनकी बहादुरी और शांति ने मुझे प्रेरित किया। जब मैं भी नीचे रहता था, तो मैंने उनके खेल को देखकर फिर से खेलना शुरू किया। धन्यवाद मातिजा। ❤️
Prince Ranjan
15/जून/2024ये सब बस एक बड़ा धोखा है। खिलाड़ी को बेच दिया गया, उनकी जिंदगी को बेच दिया गया, अब उनकी मृत्यु को भी बेच रहे हैं। ये फुटबॉल नहीं, ये बाजार है
Arya Darmawan
15/जून/2024तुम जो कह रहे हो, वो सच है। लेकिन जब एक आदमी अपनी जिंदगी दे देता है, तो उसका जीवन भी एक उपहार हो जाता है। उसे भूलना नहीं चाहिए।