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राहुल गांधी की अनुपस्थिति: न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के CJI पद ग्रहण पर पारिवारिक विवाद की अटकलें

राजनीति

राहुल गांधी की अनुपस्थिति और पारिवारिक विवाद की चर्चा

राहुल गांधी के भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के पद ग्रहण समारोह में अनुपस्थित रहने से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। यह घटनाक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका संबंध दशकों पुराने पारिवारिक विवाद से जोड़ा जा रहा है। इस समारोह का आयोजन सोमवार, 11 नवंबर 2024 को हुआ था, जहां राहुल गांधी की अनुपस्थिति ने संजीव खन्ना के परिवार और गांधी परिवार के बीच पुराने विवाद की यादें ताजा कर दी हैं। राहुल की इस अनुपस्थिति के पीछे संभावित पारिवारिक संघर्ष के कारणों को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

इतिहास की पृष्ठभूमि

इस विवाद की जड़ें उस दौर में मिलती हैं, जब इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं। उस समय संजीव खन्ना के चाचा न्यायमूर्ति हंसराज खन्ना ने आपातकाल के समय नागरिक आज़ादी के पक्ष में खड़ा होकर बड़ा फैसला किया था। न्यायमूर्ति हंसराज खन्ना अकेले ऐसे जज थे जिन्होंने यह कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को स्थगित नहीं किया जा सकता। इस विचारधारा के कारण वह तत्कालीन राजनीतिक दृष्टिकोण के खिलाफ खड़े हो गए थे। इसका नतीजा यह हुआ कि न्यायमूर्ति हंसराज खन्ना को सीजेआई बनने के मौके से वंचित कर दिया गया और उनके स्थान पर न्यायमूर्ति मिरज़ा हमीदुल्लाह बेग को मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया।

यह पूरी घटना न्यायमूर्ति हंसराज खन्ना की स्वतंत्रता और स्वतंत्र विचारों के प्रति निष्ठा का एक प्रमाण थी, जिसे राजनीतिक पुनरावृत्ति के रूप में देखा गया। इंदिरा गांधी और उनके सरकार द्वारा उनकी अनेक मौकों पर आलोचना की गई और इसे कई लोगों ने उनकी न्यायिक करियर के विरुद्ध एक योजना के रूप में देखा।

राहुल गांधी का चुनाव प्रचार में सक्रियता

राहुल गांधी का चुनाव प्रचार में सक्रियता

राहुल गांधी के पद ग्रहण समारोह में अनुपस्थित रहने की एक प्रमुख वजह यह भी बताई जा रही है कि वे अपने बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए चुनाव प्रचार में व्यस्त थे। वे केरल के वायनाड में अपनी बहन के लिए प्रचार कर रहे थे, जो कि कांग्रेस की प्रत्याशी हैं। उल्लेखनीय है कि इन उपचुनावों में बीजेपी की प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार नव्या हरिदास को मात देने का चुनौतीपूर्ण कार्य प्रियंका के समक्ष है। चुनाव में वोटिंग 20 नवंबर को होगी, जबकि नतीजों का ऐलान 23 नवंबर को होगा।

राजनीतिक विश्लेषण और प्रतिक्रियाएं

राजनीतिक विश्लेषक इस पूरे घटनाक्रम को राजनीति और पारिवारिक संबंधों के पारस्परिक प्रभावितों के संदर्भ में देख रहे हैं। जबकि कुछ लोगों का मानना है कि राहुल की अनुपस्थिति के पीछे व्यक्तिगत और राजनीतिक कारण हो सकते हैं, तो वहीं कुछ ओर विश्लेषकों का मानना है कि इसे राजनीतिक रणनीति के रूप में देखना चाहिए। कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी सूत्र इस बात को गंभीरता से लेते हैं कि कैसे इस प्रकार की घटनाएं उनके राजनीतिक एजेंडे को प्रभावित कर सकती हैं।

समारोह की इस घटना ने राजनीतिक चर्चाओं में नया रंग भर दिया है, जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक विश्लेषकों के बीच कांग्रेस की अगली रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं। इस पर बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों ने राहुल गांधी की अनुपस्थिति को दर्शाते हुए उनके पारिवारिक राजनीतिक कैरियर को लेकर विभिन्न टिप्पणियां की हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी इस बारे में क्या रुख अपनाते हैं और कैसे स्थिति को संभालते हैं।

इस बीच कांग्रेस के समर्थक राहुल की अनुपस्थिति को प्राथमिकता देते हुए इसे परिपक्व राजनीतिक निर्णय के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जबकि विरोधी दल इसे कांग्रेस पार्टी की कमजोरी के रूप में देख रहे हैं। यह देखा जाना अभी बाकी है कि कैसे यह परिस्थिति आगामी चुनावों में कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शन को प्रभावित करेगी।

टिप्पणि

  • HIMANSHU KANDPAL

    HIMANSHU KANDPAL

    12/नव॰/2024

    ये सब नाटक है। राहुल गांधी को न्याय का क्या लेना-देना? वो तो सिर्फ ट्वीट करने के लिए जन्मे हैं।

  • Arya Darmawan

    Arya Darmawan

    12/नव॰/2024

    इतिहास को भूलना आसान नहीं होता... हंसराज खन्ना जी ने आपातकाल में संविधान की रक्षा की, और आज भी उनकी विरासत जीवित है। राहुल गांधी की अनुपस्थिति एक अवसर थी, लेकिन उनका ध्यान केरल के चुनाव पर था - और वो भी एक बड़ा ध्यान है।

  • Raghav Khanna

    Raghav Khanna

    12/नव॰/2024

    न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए हंसराज खन्ना जी का बलिदान अद्वितीय है। इस तरह के समारोहों में उपस्थिति एक सम्मान का प्रतीक होती है, लेकिन राजनीतिक प्राथमिकताएं भी वैध होती हैं। यह एक जटिल संतुलन है।

  • Rohith Reddy

    Rohith Reddy

    12/नव॰/2024

    ये सब बकवास है भाई... गांधी परिवार ने हंसराज खन्ना को फंसाया था और अब वो उनके नाते को भूल गए। अब राहुल ने न्यायमूर्ति खन्ना के लिए भी जाना नहीं तो ये आरोप लगाने वाले लोग अपने आप को देख लें

  • Vidhinesh Yadav

    Vidhinesh Yadav

    12/नव॰/2024

    क्या हम इसे एक व्यक्तिगत निर्णय के रूप में देख सकते हैं? शायद राहुल को लगा कि उनकी उपस्थिति इस घटना को राजनीतिक बना देगी। कभी-कभी अनुपस्थिति भी सम्मान का एक तरीका होती है।

  • Puru Aadi

    Puru Aadi

    12/नव॰/2024

    प्रियंका के लिए प्रचार जरूरी है और राहुल का वहां होना बहुत सही फैसला है 😊 न्याय का सम्मान तो दिल से होता है, न कि एक निमंत्रण पर। बेहतर है जहां जरूरत है वहां होना।

  • Nripen chandra Singh

    Nripen chandra Singh

    12/नव॰/2024

    क्या वास्तविकता है कि हम एक न्यायाधीश के पद ग्रहण के लिए एक राजनेता की उपस्थिति की अपेक्षा करते हैं या यह सिर्फ एक विरासत के नाम पर एक भावनात्मक बातचीत है जिसका कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं है

  • Rahul Tamboli

    Rahul Tamboli

    12/नव॰/2024

    राहुल गांधी को जाना था या नहीं जाना था - ये तो बस एक ट्रेंड है। लोगों को तो बस ड्रामा चाहिए 😎 असली बात तो ये है कि आज के न्यायपालिका में कितना स्वतंत्र न्याय हो रहा है - ये नहीं पूछ रहे!

  • Jayasree Sinha

    Jayasree Sinha

    12/नव॰/2024

    राहुल गांधी की अनुपस्थिति को लेकर अटकलें लगाना उचित नहीं है। उनकी वर्तमान प्राथमिकता चुनावी प्रचार है, जो एक जिम्मेदार राजनीतिक निर्णय है। ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख भी वैध है, लेकिन वर्तमान कार्यों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

  • Vaibhav Patle

    Vaibhav Patle

    12/नव॰/2024

    हंसराज खन्ना जी का बलिदान कभी नहीं भूला जाना चाहिए। लेकिन राहुल की अनुपस्थिति को लेकर इतना बड़ा बवाल क्यों? आज के भारत में लाखों लोग अपने लक्ष्यों के लिए लड़ रहे हैं - उनकी मेहनत भी सम्मान के योग्य है। 🙌

  • Garima Choudhury

    Garima Choudhury

    12/नव॰/2024

    ये सब एक योजना है... गांधी परिवार ने खन्ना को अपने खिलाफ बना दिया था और अब वो उनके बेटे को न्याय के नाम पर बेवकूफ बना रहे हैं। आप देखेंगे जल्द ही एक बड़ा स्कैंडल आएगा।

  • Hira Singh

    Hira Singh

    12/नव॰/2024

    हर इंसान के अपने प्राथमिकताएं होती हैं। राहुल अपनी बहन के लिए लड़ रहे हैं - ये भी एक राष्ट्रीय सेवा है। न्याय की विरासत का सम्मान तो दिल से होता है, न कि एक समारोह में आकर।

  • Ramya Kumary

    Ramya Kumary

    12/नव॰/2024

    इतिहास के दर्पण में हम अपने वर्तमान के निर्णयों को देखते हैं। हंसराज खन्ना ने संविधान की आत्मा को बचाया, और आज राहुल गांधी एक नए युग के लिए वोटों को बचा रहे हैं - दोनों ही एक ही न्याय के लिए।

  • Sumit Bhattacharya

    Sumit Bhattacharya

    12/नव॰/2024

    राजनीतिक पारिवारिक संबंधों के साथ न्यायपालिका के इतिहास को जोड़ना उचित नहीं है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के लिए सम्मान उनके व्यक्तिगत योगदान से आता है, न कि किसी अन्य परिवार की उपस्थिति से।

  • Snehal Patil

    Snehal Patil

    12/नव॰/2024

    राहुल को जाना ही चाहिए था। वो तो अपने घर के लोगों को भूल गए। ये सब बस बहाना है।

  • Nikita Gorbukhov

    Nikita Gorbukhov

    12/नव॰/2024

    ये सब झूठ है... गांधी परिवार ने हंसराज खन्ना को बर्बाद किया और अब वो उनके बेटे के लिए भी बैठे हैं। ये न्याय का नाम लेकर बस एक राजनीतिक शक्ति का खेल है। 😠

  • RAKESH PANDEY

    RAKESH PANDEY

    12/नव॰/2024

    राहुल गांधी की अनुपस्थिति को लेकर अटकलें लगाने से पहले यह ध्यान देना चाहिए कि राजनीति और न्याय पालिका अलग-अलग प्रणालियाँ हैं। एक व्यक्ति के एक अवसर पर उपस्थित न होने को एक ऐतिहासिक अपराध के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

  • Nitin Soni

    Nitin Soni

    12/नव॰/2024

    हर निर्णय के पीछे एक कहानी होती है। राहुल गांधी ने अपने विश्वास के अनुसार चुनाव प्रचार को प्राथमिकता दी - यह एक बहादुर और जिम्मेदार निर्णय है। इतिहास का सम्मान तो हम सब दिल से रखते हैं।

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