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भारत में Mpox का पहला संदिग्ध मामला: केंद्र ने जारी की सलाह

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भारत में Mpox का पहला संदिग्ध मामला और स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्र ने हाल ही में Mpox के पहले संदिग्ध मामले की पुष्टि के बाद राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक महत्वपूर्ण परामर्श जारी किया है। यह परामर्श न केवल इस नए उभरते रोग Mpox के लक्षण और कारणों की जानकारी देता है, बल्कि इसके निवारण के लिए आवश्यक सावधानियों और प्रोटोकॉल को भी उजागर करता है।

परामर्श के अंतर्गत विभिन्न महत्वपूर्ण बिन्दुओं को उद्धृत किया गया है। इनमें निगरानी रणनीतियाँ, लैब परीक्षण सुविधाएं, क्लिनिकल प्रबंधन प्रोटोकॉल, संक्रमण नियंत्रण अभ्यास, और जोखिम संचार रणनीतियाँ शामिल हैं। इन सभी रणनीतियों और सुविधाओं का उद्देश्य है कि Mpox के फैलाव को रोका जाए और संख्याओं में कमी लाई जाए।

निगरानी और लैब परीक्षण की आवश्यकता

स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को विशेष रूप से स्वास्थ्य सुविधाओं के स्तर पर अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। इसमें संदिग्ध और पुष्टि किए गए मामलों के लिए अस्पतालों में अलगाव सुविधाओं की पहचान करना शामिल है। इसके साथ ही, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि आवश्यक लॉजिस्टिक्स और प्रशिक्षित मानव संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

परामर्श में यह भी ज़ोर दिया गया है कि Mpox के बारे में समुदायों को जागरूक किया जाए, ताकि अनावश्यक पैनिक न हो। यह जानकारी भी दी गई है कि Mpox मुख्यतः युवा पुरुषों को प्रभावित करता है, जिनकी औसत आयु 34 वर्ष होती है। यौन संक्रमण इसका सबसे आम माध्यम है, जबकि गैर-यौन संपर्क भी संभव है।

Mpox के लक्षण और संक्रमण के स्रोत

Mpox के आम लक्षणों में रैशेज, खासकर जननांग रैशेज और बुखार शामिल हैं। दिल्ली में एक संदिग्ध मामले की सूचना प्राप्त हुई है, जिसमें एक पुरुष शामिल है जो हाल ही में विदेश से भारत आया था। वर्तमान में उक्त व्यक्ति स्थिर स्थिति में है और उसे एक नामित अस्पताल में अलगाव में रखा गया है। परीक्षण के लिए नमूने भेजे गए हैं और संक्रमण की पुष्टि की जा रही है।

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए इस परामर्श में यह सुनिश्चित किया गया है कि यह मामला स्थापित प्रोटोकॉल्स के अनुसार प्रबंधित किया जा रहा है तथा कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी की जा रही है ताकि संभावित स्रोत और देश पर प्रभाव का आकलन किया जा सके।

वैश्विक स्थिति और रिपोर्ट

1 जनवरी, 2022 से लेकर अब तक, Mpox के मामले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को 121 सदस्य राष्ट्रों से रिपोर्ट किए गए हैं। इसके अंतर्गत कुल 1,02,997 लैब-पुष्ट मामलों और 186 संभावित मामलों सहित 223 मौतें शामिल हैं। जुलाई 2024 में वैश्विक स्तर पर 1,425 मामले और 6 मौतें रिपोर्ट की गई थीं, जिनमें से आधे से ज्यादा अफ्रीकी क्षेत्र (55%), अमेरिकी क्षेत्र (24%) और यूरोपीय क्षेत्र (11%) से थे। दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र (SEAR) में कुल मामलों का 1% हिस्सा रहा।

इस प्रकार से, भारत में Mpox का संदिग्ध मामला सामने आने के बाद, केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदम और परामर्श से यह स्पष्ट होता है कि इस बीमारी के प्रभाव को नियंत्रित करने और इसे फैलने से रोकने के लिए सभी आवश्यक प्रयास किए जा रहे हैं।

टिप्पणि

  • Hira Singh

    Hira Singh

    10/सित॰/2024

    ये तो बहुत अच्छी बात है कि सरकार जल्दी से एक्शन ले रही है। अगर हम सब एक साथ मिलकर सावधान रहें तो ये बीमारी भी रुक जाएगी। बस डरने की जरूरत नहीं, समझदारी से काम लें।

  • Ramya Kumary

    Ramya Kumary

    10/सित॰/2024

    इस बीमारी के बारे में जागरूकता जरूरी है... लेकिन इसे 'यौन बीमारी' का लेबल लगाकर लोगों को शेम करना ठीक नहीं। हर इंसान अपनी जिंदगी के फैसलों के लिए जिम्मेदार होता है, लेकिन उसे दोषी ठहराने की जगह, समझ बनाने की कोशिश करनी चाहिए।

  • Sumit Bhattacharya

    Sumit Bhattacharya

    10/सित॰/2024

    स्वास्थ्य मंत्रालय के परामर्श में निगरानी लैब परीक्षण और क्लिनिकल प्रबंधन के तीनों पहलू स्पष्ट रूप से शामिल हैं जो एक व्यवस्थित जवाब की ओर इशारा करता है

  • Snehal Patil

    Snehal Patil

    10/सित॰/2024

    ये सब बकवास है। लोग अपनी बेकार जिंदगी जी रहे हैं और अब सरकार को इनकी देखभाल करनी पड़ रही है। जो लोग ऐसे बीमार हो रहे हैं वो खुद की जिम्मेदारी लें।

  • Nikita Gorbukhov

    Nikita Gorbukhov

    10/सित॰/2024

    मैंने तो सुना है ये बीमारी अमेरिका ने बनाई है ताकि हमारे युवाओं को नियंत्रित किया जा सके 😏 अब ये भारत में आ गया तो फिर ये भी एक राजनीतिक चाल है न? 🤔

  • RAKESH PANDEY

    RAKESH PANDEY

    10/सित॰/2024

    लैब परीक्षण की क्षमता और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की प्रक्रिया को मजबूत करना आवश्यक है। यदि राज्यों में संसाधनों का असमान वितरण है, तो इस नीति का प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन संभव नहीं होगा।

  • Nitin Soni

    Nitin Soni

    10/सित॰/2024

    हम अभी तक इस बीमारी के बारे में बहुत कम जानते हैं लेकिन जो भी जानकारी मिल रही है, उसे शांति से स्वीकार करें। जल्दबाजी में निष्कर्ष न निकालें। सब कुछ ठीक हो जाएगा।

  • varun chauhan

    varun chauhan

    10/सित॰/2024

    बहुत अच्छा हुआ कि सरकार ने जल्दी से एक्शन लिया। अब बस इतना ध्यान रखें कि लोगों को डर के बजाय जानकारी दी जाए। 😊

  • Prince Ranjan

    Prince Ranjan

    10/सित॰/2024

    ये सब फिर से वो ही बकवास है जो हमेशा होती है। एक बीमारी आती है तो सब जाति धर्म जेंडर के आधार पर लेबल लगाने लगते हैं। जब तक इंसान अपनी आत्मा के बारे में नहीं सोचेगा तब तक ये चक्र चलता रहेगा

  • Suhas R

    Suhas R

    10/सित॰/2024

    ये सब एक बड़ी साजिश है! लोगों को डराने के लिए इसे बढ़ाया जा रहा है। वैक्सीन लगवाने के लिए जाल बिछाया जा रहा है। आपको पता है कि WHO के अधिकारियों के पास कितने फार्मास्यूटिकल कंपनियों के शेयर हैं? ये सब नियंत्रित है।

  • Pradeep Asthana

    Pradeep Asthana

    10/सित॰/2024

    अरे भाई ये बीमारी तो बस गैंग में जाने वालों को होती है। जो लोग बाहर घूमते हैं वो खुद जिम्मेदार हैं। सरकार को इनकी देखभाल क्यों करनी पड़ रही है? इन्हें अपनी जिंदगी बनाने दो।

  • Shreyash Kaswa

    Shreyash Kaswa

    10/सित॰/2024

    हमारी सरकार ने बहुत अच्छा काम किया है। दुनिया में कितने देश हैं जो इतनी जल्दी एक्शन लेते हैं? हम भारतीय हैं, हम इस चुनौती को आसानी से पार कर लेंगे। जय हिंद!

  • Sweety Spicy

    Sweety Spicy

    10/सित॰/2024

    ये सब बहुत रोचक है... लेकिन आपने कभी सोचा है कि जब हम एक बीमारी को 'यौन संक्रमण' कहते हैं, तो हम इसे एक नैतिक अपराध बना देते हैं? यह बीमारी नहीं, बल्कि एक अपराध बन जाती है।

  • Maj Pedersen

    Maj Pedersen

    10/सित॰/2024

    इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार के प्रयासों की तारीफ की जानी चाहिए। लोगों को डराने की बजाय, सही जानकारी देना ही सबसे बड़ा उपाय है।

  • Ratanbir Kalra

    Ratanbir Kalra

    10/सित॰/2024

    क्या हमने कभी सोचा कि जब हम एक बीमारी को रोकने के लिए अलगाव का इस्तेमाल करते हैं तो हम अपने आप को भी अलगाव में डाल रहे हैं? ये सब एक निरंतर विभाजन की विडंबना है

  • Seemana Borkotoky

    Seemana Borkotoky

    10/सित॰/2024

    मैंने अपने दादा से सुना था जब बुखार फैला था तो लोग घरों में बंद रहते थे। आज भी वही हो रहा है... बस नाम बदल गया है। इंसान बदलता नहीं, बस शब्द बदलते हैं।

  • Sarvasv Arora

    Sarvasv Arora

    10/सित॰/2024

    ये सब बस एक बड़ा धोखा है। कोई नया बीमारी नहीं, बस एक नया डर बनाया गया है। जो लोग इसमें शामिल हो रहे हैं वो अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। अब ये भी सरकार का बिजनेस हो गया है।

  • Jasdeep Singh

    Jasdeep Singh

    10/सित॰/2024

    इस बीमारी के फैलाव के पीछे एक वैश्विक नियंत्रण योजना है जिसमें जीन एडिटिंग, वैक्सीन ट्रेड, और डिजिटल ट्रैकिंग शामिल है। WHO और ग्लोबल हेल्थ फाउंडेशन के बीच गुप्त समझौते हैं जिनके बारे में जनता को नहीं बताया जा रहा। ये सब एक बड़ा फ्रेमवर्क है जिसका उद्देश्य जनसंख्या पर नियंत्रण है।

  • Rakesh Joshi

    Rakesh Joshi

    10/सित॰/2024

    हम भारतीय हैं, हम किसी भी चुनौती को पार कर लेंगे। ये बीमारी हमारे लिए एक नया अवसर है कि हम अपने स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत बनाएं। जय हिंद!

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