कान्स की तालियों के बीच उभरा विवाद, धर्मा का सख्त बयान
कान्स फिल्म फेस्टिवल में ‘होमबाउंड’ को 9 मिनट तक खड़े होकर ताली मिली, लेकिन इसी तालियों के बीच भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में एक गंभीर विवाद भी उठ खड़ा हुआ। प्रोजेक्ट से जुड़े सिनेमैटोग्राफर प्रतीक शाह पर कई महिलाओं ने सोशल मीडिया के जरिए यौन दुराचार और अनुचित, मैनिपुलेटिव व्यवहार के आरोप लगाए हैं। मामला सामने आते ही निर्माता धर्मा प्रोडक्शंस ने आधिकारिक बयान जारी कर साफ किया कि कंपनी की पॉलिसी ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की है और उनके आंतरिक POSH मैकेनिज़्म को शूट के दौरान कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई।
यह विवाद तब भड़का जब फिल्ममेकर अभिनव सिंह ने 29 मई को इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर कई महिलाओं के गुमनाम बयानों को साझा किया। उनका दावा है कि कम से कम 20 महिलाओं ने उनसे संपर्क किया और शाह के व्यवहार पर गंभीर आरोप लगाए। लेखक-फिल्ममेकर सृष्टि रिया जैन ने भी इंस्टाग्राम पर पोस्ट्स की एक श्रृंखला साझा की, जिसमें कहा गया कि पिछले चार साल में इस तरह की चर्चाएं अलग-अलग मंचों, खासकर रेडिट थ्रेड्स, पर उठती रही हैं। आरोप सामने आने के बाद शाह ने अपना इंस्टाग्राम अकाउंट डीएक्टिवेट कर दिया। अब तक उनकी ओर से कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

आरोप, पुरानी शिकायतें और इंडस्ट्री की जिम्मेदारी
इंडियन वीमेन सिनेमैटोग्राफर्स’ कलेक्टिव (IWCC) के दायरे में भी शाह का नाम पहले आया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक चार साल पहले एक युवा सिनेमैटोग्राफर ने IWCC से शिकायत की थी कि उनसे एक ‘न्यूड फोटो’ मांगी गई। तब एक वरिष्ठ सदस्य ने जब शाह से बात की, तो उन्होंने कथित तौर पर इसे ‘वन-ऑफ’ बताते हुए माफी मांगी और दोबारा ऐसा न होने की बात कही। मौजूदा आरोप इसी पृष्ठभूमि को और गंभीर बनाते हैं, क्योंकि सोशल मीडिया पर साझा गवाही बताती है कि पैटर्न एक से अधिक बार दोहराया गया—यह कम-से-कम आरोप लगाने वालों का पक्ष है।
ताजा विवाद का असर पेशेवर मोर्चे पर भी दिखा। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि उन्हें सौरव गांगुली की बायोपिक से हटा दिया गया। इसी बीच, ‘होमबाउंड’ के निर्देशक नीरज घायवन ने फिल्म के कान्स चयन के बाद धन्यवाद पोस्ट में शाह का नाम शामिल नहीं किया। इस तरह के कदम, भले ही प्रतीकात्मक लगें, इंडस्ट्री के भीतर बदलते माहौल का संकेत देते हैं—जहां आरोपों पर औपचारिक जांच से पहले भी कामकाजी संबंधों की समीक्षा होने लगी है।
धर्मा प्रोडक्शंस ने अपने बयान में कहा, “धर्मा प्रोडक्शंस में किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी तरह के अनुचित व्यवहार और यौन उत्पीड़न के खिलाफ हमारी ज़ीरो टॉलरेंस नीति है और हम ऐसे मामलों को बेहद गंभीरता से लेते हैं।” कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि शाह ‘फ्रीलांसर’ के रूप में सीमित अवधि के लिए ‘होमबाउंड’ में जुड़े थे और उनका एंगेजमेंट पूरा हो चुका है। शूटिंग के दौरान उनकी आंतरिक POSH (प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हैरासमेंट) कमेटी को कास्ट या क्रू की ओर से शाह के खिलाफ कोई शिकायत नहीं मिली। यह बात पॉलिसी बनाम प्रैक्टिस की उस खाई को दिखाती है, जहां अनौपचारिक आरोप सोशल मीडिया पर रहते हैं और औपचारिक शिकायत सिस्टम तक नहीं पहुंचती।
फिल्ममेकर हंसल मेहता ने खुलकर कहा कि “एब्यूज साइलेंस में पनपता है” और ऐसे मामलों की “तुरंत और गहन जांच” जरूरी है। उनकी बात इंडस्ट्री की जवाबदेही की ओर इशारा करती है—सिर्फ बयान नहीं, सुरक्षित और संवेदनशील वर्कस्पेस बनाने की ठोस कोशिशें। खासकर फिल्म सेट्स पर जहां बड़ी संख्या में फ्रीलांसर, कंसल्टेंट और अस्थायी टीम्स होती हैं, वहां शिकायत दर्ज करने और जांच की प्रक्रिया को सरल और भरोसेमंद बनाना महत्वपूर्ण है।
POSH कानून का ढांचा बताता है कि हर संगठन को आंतरिक शिकायत समिति (ICC) बनानी होती है, जो समयबद्ध तरीके से शिकायतों की प्राथमिक जाँच कर सके। फिल्म इंडस्ट्री की जटिलता—अनेक प्रोडक्शन हाउसेज़, आउटसोर्सिंग और बदलती लोकेशंस—इस सिस्टम को लागू करने में चुनौती बनती है। कई बार कलाकार और तकनीशियन अलग-अलग प्रोड्यूसर्स के साथ अल्पकालिक कॉन्ट्रैक्ट पर होते हैं, जिससे यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि शिकायत किस इकाई को दी जाए और जांच कौन करे। नतीजा—पीड़ित पक्ष सोशल मीडिया या भरोसे के नेटवर्क्स का सहारा लेता है, जबकि औपचारिक तंत्र तक सूचना देर से या कभी-कभी पहुंचती ही नहीं।
यहीं पर प्रोडक्शन हाउसेज़ की सक्रियता महत्वपूर्ण है। सेट शुरू होने से पहले POSH ओरिएंटेशन, स्पष्ट डिस्प्ले किए गए शिकायत चैनल्स, एक स्वतंत्र बाहरी सदस्य के साथ मजबूत ICC, और शूट लोकेशन बदलने पर भी शिकायत दर्ज करने की निरंतर सुविधा—ये कुछ कदम हैं जो भरोसा बढ़ाते हैं। ‘नो रिटेलिएशन’ यानी शिकायतकर्ता पर कोई प्रतिशोध न होने की गारंटी, कॉन्ट्रैक्ट्स में आचार संहिता का उल्लेख, और थर्ड-पार्टी हेल्पलाइन—ये उपाय सेट पर शक्ति संतुलन को कुछ हद तक बराबर करते हैं।
सोशल मीडिया पर आई गुमनाम गवाहियां अपनी जगह एक सिग्नल तो देती हैं, पर औपचारिक जांच के बिना न तो आरोप सिद्ध माने जा सकते हैं और न ही किसी को दोषी ठहराया जा सकता है। यही वजह है कि कई फिल्मी हस्तियां—हंसल मेहता समेत—जांच की अपील कर रही हैं, ताकि विश्वसनीयता के साथ तथ्य सामने आएं। निष्पक्ष और समयबद्ध प्रक्रिया दोनों पक्षों के लिए जरूरी है: आरोप लगाने वालों को सुना जाए, दस्तावेजीकरण हो, और जिनपर आरोप लगे हैं, उन्हें जवाब देने का पूरा मौका मिले।
‘होमबाउंड’ की बात करें तो यह फिल्म इस साल कान्स के ‘अन सर्तें रिगार्ड’ सेक्शन में अकेली भारतीय फीचर के तौर पर पहुंची। ईशान खट्टर, जान्हवी कपूर और विशाल जेठवा इसमें मुख्य भूमिकाओं में हैं। प्रोड्यूसर्स में करण जौहर, आदार पूनावाला, अपूर्व मेहता और सोमन मिश्रा के नाम हैं, जबकि मरीक दे सूज़ा और मेलिटा तॉस्कन दु प्लांटिएर को-प्रोड्यूसर्स हैं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर मिली सराहना बताती है कि फिल्म से अपेक्षाएं कहीं ज्यादा हैं, मगर ऑफ-स्क्रीन विवाद टीम के लिए अलग तरह की चुनौती बना हुआ है।
फिलहाल सबकी निगाहें दो मोर्चों पर टिक गई हैं—क्या कोई औपचारिक शिकायत दर्ज होती है और क्या इंडस्ट्री-स्तर की कोई स्वतंत्र जांच शुरू होती है। धर्मा प्रोडक्शंस का सख्त रुख यह संकेत देता है कि बड़े बैनर्स अब कम-से-कम पॉलिसी और पब्लिक स्टैंड में स्पष्टता दिखाना चाहते हैं। अगले कुछ दिनों में यह दिखेगा कि क्या ये बातें सेट पर ठोस एक्शन और प्रक्रियागत सुधारों में भी बदलती हैं या नहीं।
- 29 मई: इंस्टाग्राम पर अभिनव सिंह ने गुमनाम गवाहियां साझा कीं; 20+ महिलाओं के संपर्क का दावा।
- सृष्टि रिया जैन ने सोशल मीडिया पर विस्तृत पोस्ट्स के जरिए चार साल से चल रही चर्चाओं का जिक्र किया।
- शाह ने इंस्टाग्राम डीएक्टिवेट किया; उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई।
- रिपोर्ट्स: सौरव गांगुली बायोपिक से हटाए जाने की खबरें; ‘होमबाउंड’ के धन्यवाद पोस्ट में नाम का उल्लेख नहीं।
- धर्मा प्रोडक्शंस: ज़ीरो-टॉलरेंस पॉलिसी, POSH कमेटी को कोई शिकायत नहीं मिली; शाह फ्रीलांसर के रूप में सीमित अवधि के लिए जुड़े थे।
इंडस्ट्री के लिए सबक साफ है—वर्कप्लेस सेफ्टी सिर्फ स्टेटमेंट से नहीं, सिस्टम से बनती है। सोशल मीडिया पर उठी आवाजें बेशक शुरुआती अलार्म देती हैं, पर असल भरोसा तब बनता है जब शिकायतें सुरक्षित माहौल में सुनी जाएं, निष्पक्ष जांच हो और फैसले पारदर्शी हों।
एक टिप्पणी लिखें