सुप्रीम कोर्ट ने दी अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा कि उनके खिलाफ दर्ज चार्जशीट दाखिल हो गई है और ट्रायल जल्द समाप्त नहीं हो पाएगी, जिससे उनका निजी स्वतंत्रता का अधिकार प्रभावित हो सकता है।
यह महत्वपूर्ण निर्णय सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत और उज्जल भुयान की पीठ द्वारा लिया गया। यह बेंच पहले ही 5 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख चुकी थी। न्यायमूर्ति कांत और भुयान ने एकमत से केजरीवाल को जमानत देने का निर्णय लिया, लेकिन उनके गिरफ्तारी की वैधता पर विवादित मत प्रकट किए।
गिरफ्तारी की वैधता पर बेंच में मतभेद
न्यायमूर्ति कांत ने जहां केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध माना और इसे प्रक्रियात्मक अनियमितताओं से मुक्त बताया, वहीं न्यायमूर्ति भुयान ने सीबीआई की कार्रवाई पर गहरी चिंता व्यक्त की। भुयान ने सवाल उठाया कि 22 महीने बाद इस गिरफ्तारी की आवश्यकता और तत्कालिकता क्या थी। उन्होंने कहा कि जांच न केवल निष्पक्ष होनी चाहिए, बल्कि निष्पक्ष दिखनी भी चाहिए। इसके अलावा, भुयान ने सीबीआई की भूमिका पर भी सवाल उठाया और उसे 'पिंजरे का तोता' के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
केजरीवाल को मिली यह जमानत तब आई जब वह पहले से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत में थे। सीबीआई ने उन्हें जून 26 को गिरफ्तार किया था। केजरीवाल पर लगाई गई शर्तें ईडी मामले की तरह की हैं, जिसमें उन्हें अपने कार्यालय नहीं जाने और फाइलों पर हस्ताक्षर न करने की इजाजत है, जब तक कि यह दिल्ली के उपराज्यपाल की अनुमति से आवश्यक न हो।
शराब नीति घोटाले का मामला
यह मामला दिल्ली की 2021-22 शराब नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है। यह आरोप है कि इस नीति के तहत जुटाए गए धन का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी (आप) के चुनाव प्रचार के लिए किया गया। इस मामले में केजरीवाल के अलावा पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह, साथ ही भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता भी आरोपी हैं, जिन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है।
न्यायिक प्रक्रिया और राजनीतिक परिहस्र
इस मामले ने न्यायिक प्रक्रिया और राजनीतिक परिदृश्य में एक नई बौछार शुरू कर दी है। एक ओर जहां सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देकर राहत दी है, वहीं दूसरी ओर गिरफ्तारी की वैधता पर विवेकपूर्ण मतभेद ने सीबीआई की कार्यपद्धति पर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।
इस प्रकरण ने न केवल कानूनी मोर्चे पर बहस के मुद्दे पैदा किए हैं बल्कि राजनीतिक जलवायु में भी एक नई चर्चा प्रारंभ कर दी है। देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई पर जनता का विश्वास बनाए रखना और इसकी कार्यवाही को निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। केजरीवाल की गिरफ्तारी और जमानत ने इस परिदृश्य को और जटिल बना दिया है, जहां न्यायपालिका और अन्य संस्थाओं की निष्पक्षता का औचित्य एक बार फिर संदेह के घेरे में है।
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