झारखंड राजनीति में हेमंत सोरेन की वापसी
पूर्व झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड उच्च न्यायालय से जमीन घोटाला मामले में जमानत मिली है। एक लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, उन्हें 50,000 रुपये के बॉन्ड पर रिहा कर दिया गया है। उनकी रिहाई से झारखंड की राजनीति में एक नई ऊर्जा का संचार होने की संभावना है, विशेष तौर पर इस समय जब 2024 विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।
हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा होगा। कई लोग यह मानते हैं कि सोरेन को गलत तरीके से फंसाया गया था और अब उनकी रिहाई इस बात को साबित करने का एक मौका हो सकती है। उनकी गैरमौजूदगी में भी उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने पार्टी को मजबूती के साथ संभाला और पिछली लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की।
चुनावों से पहले की रणनीति
हेमंत सोरेन की रिहाई से यह संभव हो पाएगा कि वे राज्य के विभिन्न हिस्सों का दौरा कर सकें, जनता से सीधे संपर्क में रह सकें और चुनावों के लिए एक मजबूत रणनीति तैयार कर सकें। जब वे जेल में थे, तब भी वे अपने नेताओं के माध्यम से संगठन और राज्य की राजनीति के हर अद्यतन जानकारी लेते रहते थे, लेकिन अब वे सीधे जनता से संवाद कर सकेंगे और उनकी समस्याओं को करीब से समझ सकेंगे।
इस समय जब 2024 के चुनाव नजदीक हैं, सोरेन की पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), को बढ़त दिलाने के लिए उनका सक्रिय होना महत्वपूर्ण हो सकता है। उनकी रिहाई से यह भी संभव होगा कि वे दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत कर सकें और राष्ट्रीय स्तर पर अपने पक्ष को मजबूती से रख सकें।
पार्टी में नया जोश
हेमंत सोरेन की रिहाई से उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं में नया जोश और उत्साह पैदा होगा। कार्यकर्ता और समर्थक यह संदेश देने की कोशिश कर सकते हैं कि उनके नेता को गलत तरीके से फंसाया गया था और अब जब वे बाहर आ गए हैं, तो न्याय की जीत हुई है। यह संदेश विधानसभा चुनावों में वोटरों के बीच पहुंचाना पार्टी के लिए लाभदायक साबित हो सकता है।
झारखंड की राजनीतिक परिस्थिति में यह परिवर्तन कई सवाल खड़े करता है। क्या सोरेन की पार्टी अब अच्छी स्थिति में होगी? क्या वे अपने कार्यों के माध्यम से राज्य की राजनीति को एक नई दिशा देने में सफल हो पाएंगे? इन सवालों के उत्तर आने वाला समय ही दे पाएगा।
| कार्य | संख्या |
|---|---|
| चुनावी तैयारी | 50 दिनों में |
| राज्य दौरा | 70 जिलों में |
हेमंत सोरेन की जोश और नई ऊर्जा के साथ राज्य की राजनीति में वापसी से चुनावों में एक नई बयार आ सकती है। अब यह देखना रोचक होगा कि आगामी दिनों में वे किस प्रकार अपनी पार्टी को सशक्त करते हैं और चुनावों में सशक्त प्रदर्शन करने की दिशा में आगे बढ़ते हैं।
टिप्पणि
Prince Ranjan
28/जून/2024अरे भाई ये सब न्याय का नाम लेकर राजनीति का खेल है। जमानत मिल गई तो अब न्याय हो गया? जब तक कोर्ट ने बरी किया नहीं तब तक ये सब नाटक है। और हाँ, इनकी पत्नी ने पार्टी चलाई तो क्या? उनका नाम बचाने के लिए बनाया गया ब्रांड है। असली लोगों की जिंदगी तो बर्बाद हो रही है और ये लोग चुनाव की रणनीति बना रहे हैं।
Suhas R
28/जून/2024ये सब बातें बकवास है। ये लोग जेल में थे क्यों? क्योंकि उन्होंने लाखों का धोखा दिया था। अब जमानत मिल गई तो लोग उन्हें शहीद बना रहे हैं? ये न्याय की बात नहीं ये सिर्फ एक राजनीतिक ट्रिक है। मैंने देखा है कि ये लोग जेल में बैठे बैठे टीवी पर आ रहे थे और ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे थे। ये बस नाम बनाने के लिए जेल जा रहे हैं।
Pradeep Asthana
28/जून/2024यार ये सब बहुत बड़ी बात है। जब तक हेमंत सोरेन बाहर नहीं आए थे तब तक लोग उनके बारे में भूल गए थे। अब जो भी चीज़ चल रही है उसमें उनका नाम आ रहा है। अब वो जिलों में घूमेंगे तो लोग उन्हें देखने आएंगे। लेकिन एक बात समझो, अगर वो असली नेता होते तो जेल में नहीं जाते। अब जो भी हुआ वो हुआ, अब बस चुनाव में देखना है कि लोग उन्हें वोट देंगे या नहीं।
Shreyash Kaswa
28/जून/2024हेमंत सोरेन की रिहाई एक अच्छा संकेत है। यह दर्शाता है कि भारत का न्याय प्रणाली अभी भी निष्पक्ष है। उनके खिलाफ चल रहे मामले की जांच लंबी रही, लेकिन अंत में न्याय ने उन्हें रिहा कर दिया। यह एक बड़ी बात है। अब उनकी राजनीतिक वापसी से झारखंड के गरीब और आदिवासी समुदायों को फिर से आवाज़ मिलेगी। उनके समर्थकों का जोश देखकर लगता है कि ये चुनाव असली लड़ाई होगी।
Sweety Spicy
28/जून/2024ओह माय गॉड ये सब इतना ड्रामाटिक है कि मुझे लग रहा है कि कोई बॉलीवुड फिल्म बन रही है। जेल से बाहर आए नेता, पत्नी जो पार्टी चला रही है, जिलों का दौरा, राष्ट्रीय स्तर पर पकड़ बनाने की कोशिश... ये तो एक सुपरहिट नाटक है! और फिर भी कोई नहीं पूछता कि उन्होंने जमीन घोटाले में कितने लोगों की जिंदगी बर्बाद की? न्याय की बात? ये तो सिर्फ एक राजनीतिक रिलीज है। लोग याद दिलाना चाहते हैं कि वो अभी भी जिंदा हैं।
Maj Pedersen
28/जून/2024हेमंत सोरेन की रिहाई एक नए अध्याय की शुरुआत है। उनके समर्थकों का जोश और उत्साह देखकर लगता है कि उनका संदेश अभी भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे अपनी राजनीति को जनता के साथ सीधे जोड़ सकें। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने बहुत मेहनत से पार्टी को चलाया, लेकिन अब जब वे वापस आ गए हैं, तो यह समय है कि वे वास्तविक समस्याओं पर ध्यान दें-शिक्षा, स्वास्थ्य, और आदिवासी अधिकार। यह चुनाव सिर्फ एक नेता की वापसी नहीं, बल्कि एक नई जिम्मेदारी की शुरुआत है।