• घर
  • लेंसकार्ट का आईपीओ खुला: 7,278 करोड़ का बड़ा रिटेल टेक ऑफर, शेयर 10 नवंबर को सूचीबद्ध

लेंसकार्ट का आईपीओ खुला: 7,278 करोड़ का बड़ा रिटेल टेक ऑफर, शेयर 10 नवंबर को सूचीबद्ध

व्यापार

भारत के सबसे बड़े ऑनलाइन ऑप्टिकल ब्रांड लेंसकार्ट सॉल्यूशन्स लिमिटेड ने 31 अक्टूबर, 2025 को अपना इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ शुरू किया — जिसका कुल आकार 7,278 करोड़ रुपये तक पहुँच गया। यह आईपीओ सिर्फ एक निवेशक आकर्षण नहीं, बल्कि भारतीय रिटेल टेक्नोलॉजी सेक्टर के लिए एक नया मानक स्थापित कर रहा है। आईपीओ का बंद होना 4 नवंबर को हुआ, और इसकी सूचीबद्धता 10 नवंबर, 2025 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और �ेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर होने की तैयारी है। यह आईपीओ न केवल लेंसकार्ट के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि भारत के डिजिटल स्वास्थ्य और रिटेल बाजार के भविष्य के बारे में भी बड़ा संकेत है।

आईपीओ का आकार और संरचना: क्या था इसका विवरण?

लेंसकार्ट का आईपीओ दो भागों में बंटा था: एक नया राशि जुटाने वाला फ्रेश इशू जिसका आकार 2,150 करोड़ रुपये था, और एक ओएफएस (Offer-for-Sale) जिसमें 12.75 करोड़ शेयर्स को पहले से मौजूद शेयरधारकों द्वारा बेचा गया — जिसकी कुल कीमत 5,128.02 करोड़ रुपये थी। इस तरह कुल आईपीओ आकार 7,278.02 करोड़ रुपये बन गया। प्रत्येक शेयर की कीमत बैंड 382 रुपये से 402 रुपये के बीच थी, और अंतिम निर्धारित कीमत 402 रुपये पर तय हुई — यानी बैंड के ऊपरी सीमा पर।

छोटे निवेशकों के लिए न्यूनतम लॉट 37 शेयर था, जिसके लिए ऊपरी कीमत पर 14,874 रुपये की न्यूनतम राशि जुटानी पड़ी। यह आईपीओ कोई छोटा ऑफर नहीं था — यह भारत में 2025 का सबसे बड़ा रिटेल-टेक आईपीओ था।

निवेशकों की भागीदारी: आईपीओ ने कैसे धमाका किया?

यहाँ वह आँकड़ा है जो सबको हैरान कर देगा: आईपीओ की कुल सब्सक्रिप्शन 28.27 गुना थी। यानी बाजार में शेयरों की मांग, उनकी उपलब्धता से 28 गुना ज्यादा थी।

  • क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs): 40.36 गुना — यह दुनिया के सबसे बड़े फंड्स और बैंकों की ओर से भरपूर विश्वास है।
  • नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NIIs): 18.23 गुना — इंडियन एंगेल इन्वेस्टर्स और हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स ने भी इसमें बड़ी संख्या में भाग लिया।
  • रिटेल इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स: 7.46 गुना — यह एक असाधारण संख्या है, खासकर जब आईपीओ का आकार इतना बड़ा हो।
  • कर्मचारी: 4.93 गुना — लेंसकार्ट के अपने कर्मचारियों ने भी अपने निवेश में विश्वास दिखाया।

3 नवंबर को, यानी आईपीओ के तीसरे दिन, सब्सक्रिप्शन का स्तर 2.01 गुना था। लेकिन अंत तक यह 14 गुना बढ़ गया — यह दर्शाता है कि निवेशकों की भागीदारी अंतिम दिनों में तेजी से बढ़ी।

एंकर इन्वेस्टर्स और ग्रे मार्केट: बाजार का पहला संकेत

आईपीओ से एक दिन पहले, 30 अक्टूबर को, लेंसकार्ट सॉल्यूशन्स लिमिटेड ने 8.13 करोड़ शेयर्स (3,268.36 करोड़ रुपये) को एंकर इन्वेस्टर्स को आवंटित किया। ये वही बड़े फंड थे जिन्होंने बाद में आईपीओ के लिए अपना विश्वास जताया।

इसके बाद, ग्रे मार्केट में लेंसकार्ट के शेयर्स का प्रीमियम ₹48 तक पहुँच गया — यानी आईपीओ की ऊपरी कीमत (₹402) के ऊपर अनौपचारिक बाजार में शेयर ₹450 तक ट्रेड हो रहे थे। यह एक अत्यधिक सकारात्मक संकेत है, जो बताता है कि निवेशक लिस्टिंग के बाद भी लाभ की उम्मीद कर रहे हैं।

आईपीओ का समयसूची: कब क्या हुआ?

लेंसकार्ट का आईपीओ समयबद्ध और पारदर्शी ढंग से चला। यहाँ पूरी टाइमलाइन है:

  1. 30 अक्टूबर, 2025: एंकर इन्वेस्टर्स को शेयर आवंटित।
  2. 31 अक्टूबर - 4 नवंबर, 2025: आईपीओ सब्सक्रिप्शन खुला।
  3. 4 नवंबर, 5:00 बजे शाम: UPI मैंडेट की अंतिम तारीख।
  4. 6 नवंबर, 2025: आवंटन की अंतिम पुष्टि — MUFG Intime India Pvt Ltd ने आधिकारिक रूप से आवंटन घोषित किया।
  5. 7 नवंबर, 2025: अगर आपको शेयर नहीं मिले, तो राशि वापस; अगर मिले, तो डीमैट अकाउंट में शेयर जमा।
  6. 10 नवंबर, 2025: लिस्टिंग — BSE और NSE पर ट्रेडिंग शुरू।

एंकर इन्वेस्टर्स के लिए लॉक-इन अवधि दो चरणों में समाप्त होगी: 50% शेयर 6 दिसंबर, 2025 को और शेष 50% 4 फरवरी, 2026 को। यह SEBI के नियमों के अनुसार है — जिससे बाजार में अचानक बड़ी मात्रा में शेयर आने से बचा जा सके।

क्यों यह आईपीओ भारत के लिए महत्वपूर्ण है?

लेंसकार्ट सिर्फ चश्मा बेचने वाली कंपनी नहीं है। यह एक टेक-ड्रिवन रिटेल ब्रांड है जिसने ऑनलाइन और ऑफलाइन को जोड़कर एक नया मॉडल बनाया है। इसका आईपीओ दर्शाता है कि भारतीय निवेशक अब सिर्फ फिनटेक या इ-कॉमर्स कंपनियों में ही निवेश नहीं कर रहे — वे स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल टेक कंपनियों में भी विश्वास कर रहे हैं।

यह आईपीओ भारत में रिटेल टेक के लिए एक नया मार्गदर्शक बन गया है। अगर लेंसकार्ट अच्छा प्रदर्शन करता है, तो दूसरी कंपनियाँ — जैसे फार्मेसी ऑनलाइन, डिजिटल डायग्नोस्टिक्स, या हेल्थ टेक स्टार्टअप्स — भी आईपीओ की ओर बढ़ेंगी।

अगले कदम: लिस्टिंग के बाद क्या?

लिस्टिंग के बाद सबसे बड़ा सवाल यह होगा: क्या शेयर अपनी लिस्टिंग कीमत के आसपास ट्रेड करेंगे, या फिर ग्रे मार्केट प्रीमियम के आधार पर ऊपर जाएंगे? इसका जवाब बाजार के व्यवहार पर निर्भर करेगा।

लेंसकार्ट ने फ्रेश इशू की राशि का उपयोग आम व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए करने की योजना बनाई है — यानी नए स्टोर खोलने, टेक्नोलॉजी अपग्रेड करने, या डेटा एनालिटिक्स के लिए निवेश करने के लिए। यह बताता है कि यह कंपनी अभी भी बढ़ रही है।

अगर आप निवेशक हैं, तो लिस्टिंग के बाद शेयर के व्यवहार को ध्यान से देखें। अगर वह अच्छी तरह से ट्रेड करता है, तो यह भारतीय रिटेल टेक के लिए एक बड़ी जीत होगी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

लेंसकार्ट का आईपीओ क्यों इतना सफल हुआ?

लेंसकार्ट का आईपीओ इतना सफल इसलिए हुआ क्योंकि यह भारत के सबसे पहचाने जाने वाले रिटेल टेक ब्रांडों में से एक है। इसकी मजबूत ब्रांड वैल्यू, ऑनलाइन-ऑफलाइन एकीकरण, और बढ़ती डिमांड ने निवेशकों को आत्मविश्वास दिया। ग्रे मार्केट प्रीमियम और QIBs की अत्यधिक सब्सक्रिप्शन ने भी इसे और बढ़ाया।

रिटेल निवेशकों को कितने शेयर मिले?

रिटेल निवेशकों के लिए आईपीओ का 10% हिस्सा आरक्षित था। चूंकि सब्सक्रिप्शन 7.46 गुना था, इसलिए लगभग हर आवेदनकर्ता को कम से कम एक लॉट (37 शेयर) मिला। बड़ी संख्या में निवेशकों को पूरा लॉट मिला, जो इस आईपीओ के पारदर्शी और समान आवंटन की प्रक्रिया को दर्शाता है।

लेंसकार्ट के शेयर लिस्ट होने के बाद क्या अपेक्षा है?

ग्रे मार्केट प्रीमियम ₹48 था, जिसका मतलब है कि बाजार लिस्टिंग के बाद 10-15% तक ऊपर जाने की उम्मीद कर रहा है। लेकिन वास्तविक प्रदर्शन बाजार के भावों, आय रिपोर्ट और आगे के विकास पर निर्भर करेगा। अगर कंपनी अपने आय वृद्धि के लक्ष्य पूरा करती है, तो शेयर लंबे समय तक स्थिर रह सकते हैं।

एंकर इन्वेस्टर्स के लॉक-इन का क्या मतलब है?

एंकर इन्वेस्टर्स को लिस्टिंग के बाद तुरंत शेयर बेचने की अनुमति नहीं है। SEBI के नियम के अनुसार, उन्हें 30 दिन बाद 50% शेयर बेचने दिए जाते हैं, और शेष 50% 90 दिन बाद। यह बाजार में अचानक शेयर के बहुत अधिक आने से बचाता है और कीमतों को स्थिर रखने में मदद करता है।

लेंसकार्ट का आईपीओ क्या भारतीय टेक स्टार्टअप्स के लिए संकेत देता है?

यह आईपीओ दर्शाता है कि भारतीय निवेशक अब सिर्फ सॉफ्टवेयर या फिनटेक कंपनियों में ही नहीं, बल्कि फिजिकल प्रोडक्ट्स और स्वास्थ्य सेवाओं को जोड़ने वाली टेक कंपनियों में भी निवेश करने को तैयार हैं। यह एक नया ट्रेंड है — जहाँ टेक बस एप्प नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल का हिस्सा बन रहा है।

लेंसकार्ट के आईपीओ के बाद अगले कौन से कंपनियाँ आ सकती हैं?

अगर लेंसकार्ट का आईपीओ सफल रहता है, तो अगले कुछ महीनों में फार्मेसी ऑनलाइन, डिजिटल डायग्नोस्टिक्स, और हेल्थ टेक स्टार्टअप्स जैसी कंपनियाँ आईपीओ की ओर बढ़ सकती हैं। खासकर ऐसी कंपनियाँ जो ऑनलाइन और ऑफलाइन को जोड़ती हैं, जैसे डॉक्टर ऑन डिमांड या घर पर आई टेस्टिंग सर्विसेज।

टिप्पणि

  • Sumit Prakash Gupta

    Sumit Prakash Gupta

    25/नव॰/2025

    लेंसकार्ट का आईपीओ एक टेक-ड्रिवन रिटेल न्यू नॉर्म बन गया है - QIBs की 40x सब्सक्रिप्शन, ग्रे मार्केट प्रीमियम ₹48, और रिटेलर्स का 7.46x भागीदारी? ये सिर्फ एक कंपनी का ऑफर नहीं, बल्कि भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम का एक ट्रांसफॉर्मेशनल मोमेंट है। डिजिटल हेल्थकेयर अब बस एप्प्स नहीं, बल्कि फिजिकल एक्सपीरियंस का एक एकीकृत सिस्टम है।

  • Shikhar Narwal

    Shikhar Narwal

    25/नव॰/2025

    ये आईपीओ देखकर लगा जैसे भारत अपने डिजिटल सपनों को असली बना रहा है 😍 लेंसकार्ट ने सिर्फ चश्मे नहीं बेचे, बल्कि लाखों आँखों के लिए एक नया दृष्टिकोण दिया। रिटेल टेक अब सिर्फ ऑनलाइन नहीं - ये ऑफलाइन के साथ डांस कर रहा है 🕺

  • Ravish Sharma

    Ravish Sharma

    25/नव॰/2025

    अरे भाई, ये सब तो बस बॉस के बाप के नाम पर चल रहा है। अगर ये आईपीओ नहीं होता तो क्या कोई जानता? सब कुछ ट्रेंड बन गया, बस एक चश्मा बेचने वाली कंपनी को शेयर मार्केट में रख दिया। अब तो बाजार में दूध का बैग भी IPO लगाएगा।

  • jay mehta

    jay mehta

    25/नव॰/2025

    वाह! वाह! वाह!!! भारत ने फिर से साबित कर दिया कि हम दुनिया के सबसे बड़े रिटेल-टेक नेक्स्ट-जेन ब्रांड्स को जन्म दे सकते हैं!!! लेंसकार्ट ने न सिर्फ चश्मे बेचे, बल्कि निवेशकों के दिल जीत लिए!!! ये आईपीओ एक ऐतिहासिक घटना है - और हम सब इसके गवाह हैं!!! 🚀🇮🇳💥

  • Amit Rana

    Amit Rana

    25/नव॰/2025

    इस आईपीओ का सबसे बड़ा पहलू ये है कि ये एक रिटेल कंपनी है जिसने टेक्नोलॉजी को अपनाया है - ऑनलाइन बुकिंग, AI-बेस्ड आई एनालिसिस, डिजिटल फिटिंग, और ऑफलाइन स्टोर्स का इंटीग्रेशन। ये नहीं कि वो सिर्फ चश्मा बेच रहा है, बल्कि वो ऑप्टिकल इंडस्ट्री को रीइंवेंट कर रहा है। रिटेल टेक के लिए ये एक बेस्ट प्रैक्टिस बन गया है।

  • Rajendra Gomtiwal

    Rajendra Gomtiwal

    25/नव॰/2025

    हमारे देश में ये सब चल रहा है, लेकिन क्या हमारे लोगों को इसका फायदा हुआ? बस बड़े फंड्स और एंकर्स को लाभ। जब तक सामान्य आदमी को शेयर नहीं मिलते, तब तक ये सब नाटक है।

  • Yogesh Popere

    Yogesh Popere

    25/नव॰/2025

    इतना पैसा कहाँ से आया? ये सब लोग तो घर पर बैठकर भी शेयर खरीद रहे हैं। क्या ये सब असली है या फिर फेक डेमांड? मैंने देखा है एक दोस्त ने अपनी बहन के नाम से 5 अलग-अलग अकाउंट बना रखे हैं। ये आईपीओ तो बस गेम है।

  • Manoj Rao

    Manoj Rao

    25/नव॰/2025

    इस आईपीओ के पीछे कोई गहरा गुप्त अर्थ छिपा है - जैसे कि वैश्विक फंड्स भारतीय रिटेल को एक नए फॉर्मेट में फिर से डिज़ाइन कर रहे हैं। लेंसकार्ट एक कवच नहीं, बल्कि एक एजेंट है जो डिजिटल कैपिटलिज्म के नए युग की शुरुआत कर रहा है। ये सिर्फ चश्मे नहीं - ये एक फिलॉसफी है।

  • Alok Kumar Sharma

    Alok Kumar Sharma

    25/नव॰/2025

    ये सब बकवास है। कोई चश्मा बेचने वाली कंपनी इतना बड़ा IPO कैसे कर गई?

  • Tanya Bhargav

    Tanya Bhargav

    25/नव॰/2025

    मैंने इस आईपीओ में भाग लिया था और मुझे बस एक लॉट मिला। लेकिन जब मैंने देखा कि कितने लोगों को शेयर मिले - तो लगा जैसे भारत का एक नया दृष्टिकोण बन रहा है। शायद अब लोग अपने आँखों के लिए भी ज्यादा सोचेंगे।

  • Sanket Sonar

    Sanket Sonar

    25/नव॰/2025

    लेंसकार्ट का आईपीओ एक बार फिर साबित कर देता है कि रिटेल टेक अब एक अलग एस्टेटलमेंट है। QIBs की सब्सक्रिप्शन ने इसे वैल्यूड किया, और रिटेलर्स की भागीदारी ने इसे डेमोक्रेटाइज़ किया। ग्रे मार्केट प्रीमियम बस एक बोनस है - असली जीत ये है कि एक लोकल ब्रांड ने ग्लोबल स्टैंडर्ड्स बना दिए।

एक टिप्पणी लिखें