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मेजबान ओलंपिक विजेता मनु भाकर के कोच का दिल्ली का घर होगा ध्वस्त, छोड़ने के लिए मिला दो दिन का समय

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समरेश जंग के दिल्ली स्थित घर का ध्वस्तीकरण

राष्ट्रीय पिस्टल शूटिंग कोच समरेश जंग, जो कि हाल ही में पेरिस ओलंपिक्स से लौटे हैं, को यह जानकर गहरा धक्का लगा कि उनके दिल्ली के ख्यालबेर पास इलाके में स्थित घर को अगले दो दिनों में ध्वस्त करने की सूचना दी गई है। यह नोटिस आवास व शहरी मामलों के मंत्रालय के भूमि एवं विकास कार्यालय (एलएनडीओ) द्वारा जारी किया गया है। उन्होंने दावा किया है कि यह जमीन रक्षा मंत्रालय की है और इस पर बस्ती अवैध तरीके से बसाई गई है।

समरेश जंग की प्रतिक्रिया

समरेश जंग ने इस अचानक हुई घोषणा पर अपना विस्मय और दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, 'यह उनकी योजना में है, और मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता। उन्होंने पूरे कॉलोनी को अवैध घोषित कर दिया है...मेरे परिवार ने यहां पिछले 75 वर्षों से, 1950 के दशक से, रह रहे हैं। हमने कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन वह खारिज हो गई।' जंग और अन्य निवासियों को दिये गए निर्देशों के अनुसार दो दिनों के भीतर जगह छोड़नी है।

समरेश जंग, जो 2006 के काॅमनवेल्थ गेम्स में कई पदक जीत चुके हैं, ने सोशल मीडिया पर अपनी निराशा प्रकट की। उन्होंने 'एक्स' पर पोस्ट किया, 'भारतीय निशानेबाजों के दो ओलंपिक पदक जीतने की हर्षित खबर के बाद, मैं, टीम कोच, ओलंपिक्स से वापस आकर यह निराशाजनक खबर सुन रहा हूँ कि मेरा घर और कॉलोनी दो दिनों में ध्वस्त कर दी जाएगी।' उन्होंने कम से कम दो महीने का समय मांगा और इस मामले पर स्पष्टता की अपील की। उन्होंने प्रमुख हस्तियों, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, खेल मंत्री मनसुख मंडाविया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को टैग करके हस्तक्षेप की मांग की।

वैधता के सवाल - कानूनी कार्यवाहियों का विवरण

ख्यालबेर पास में ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पिछले महीने से चल रही है और यह चल रहे कानूनी कार्यवाहियों का हिस्सा है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 9 जुलाई को निर्णय लिया कि यह जमीन रक्षा मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आती है। निवासियों को शुरू में 1 जुलाई को नोटिस दिया गया था और 4 जुलाई तक जगह छोड़ने का निर्देश दिया गया था। 3 जुलाई की एक आपात सुनवाई में आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद ध्वस्तीकरण को मंजूरी दी गई। अंतिम सुनवाई 9 जुलाई को हुई थी जिसमें याचिकाकर्ताओं ने अपनी भूमि के दावे का कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया।

समरेश जंग का अनुरोध और परिवार की दुश्वारियां

2006 और 2010 के काॅमनवेल्थ गेम्स में सात स्वर्ण, पांच रजत और दो कांस्य पदक विजेता, समरेश जंग, जिन्हें 'गोल्डफिंगर' के नाम से जाना जाता है, ने कहा कि उन्हें जगह छोड़ने के लिए कम से कम दो महीने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया, 'यह संपत्ति ऐसी थी जिसमें हम पिछले 75 वर्षों से रह रहे थे। 1978 में, इस जमीन और संरचना को श्री सिंह को पट्टे पर दी गई थी और तब से हम उन्हें किराया दे रहे हैं।' जंग ने पीटीआई को बताया कि उन्हें कल ही नोटिस दिया गया था।

जंग ने अपनी स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा, 'मैं कानून से ऊपर नहीं हूँ और यदि यह कानूनी मांग है तो मैं जगह छोड़ दूँगा। लेकिन दो दिन का नोटिस सही तरीका नहीं है। कम से कम हमें दो महीने का समय दें ताकि हम सही तरीके से यहाँ से जा सकें।' उन्होंने यह भी पूछा, 'क्या यह आपात स्थिति या युद्ध स्थिति है कि हमें एक दिन में खाली करना पड़ेगा?' 54 वर्षीय जंग ने बताया कि उनके पास दिल्ली में और कोई घर नहीं है। 'अब, मेरे पास कही और जाने के लिए कोई जगह नहीं है। मेरे पास 1000 से अधिक किताबों की एक विशाल लाइब्रेरी है और मेरा भाई मकान ढूंढने गया है और हम सब कुछ पैक करने की कोशिश कर रहे हैं।' उन्होंने कहा।

टिप्पणि

  • Seemana Borkotoky

    Seemana Borkotoky

    2/अग॰/2024

    ये लोग ओलंपिक पदक जीतने वालों को तो टीवी पर गुलाबी फूल बरसाते हैं, लेकिन जब घर छीन लेना होता है तो दो दिन का नोटिस दे देते हैं। ये देश का असली चेहरा है - जब तक चमक नहीं दिखती, तब तक कोई नहीं देखता।

  • Sarvasv Arora

    Sarvasv Arora

    2/अग॰/2024

    अरे भाई, ये सब लोग अपनी अवैध बस्तियों को इतिहास बना देते हैं। 75 साल का दावा? जमीन रक्षा मंत्रालय की है, और तुमने कागज़ नहीं दिखाया। अब ओलंपिक मेडल लेकर रो रहे हो? बस्ती बसाने का नाम ले लो, लेकिन कानून का नहीं।

  • Jasdeep Singh

    Jasdeep Singh

    2/अग॰/2024

    ये सब निराशावादी लोग जो अपनी अवैध कब्ज़े को अधिकार बताते हैं, उनकी तारीफ़ करने वाले लोग भी तो हैं। लेकिन सच ये है कि ये जमीन रक्षा मंत्रालय की है - ये जमीन नौसेना, वायु सेना या भारतीय सेना के लिए रिज़र्व है, और तुम लोग इसे बस्ती बना रहे थे। दो दिन का नोटिस? अगर ये बस्ती आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल हो रही होती, तो तुम अभी तक यहाँ होते। कानून का निष्पक्ष लागू होना चाहिए, न कि एथलीट्स के लिए छूट। तुम्हारी 1000 किताबें? अगर वो वास्तविक ज्ञान की थीं, तो तुम इस बात को जानते कि अवैध कब्ज़ा कानून के खिलाफ़ है। और अब तुम रो रहे हो? अगर तुम्हारा घर इतना महत्वपूर्ण था, तो तुमने इसे लीगल करने के लिए कुछ किया होता। लेकिन नहीं - तुमने सिर्फ़ बस्ती बसाई और अब देश को जिम्मेदार ठहराया। तुम्हारी लाइब्रेरी तो तुम्हारे घर में थी, लेकिन तुम्हारा नागरिक ज्ञान तो उससे भी कम था।

  • Rakesh Joshi

    Rakesh Joshi

    2/अग॰/2024

    ये आदमी देश के लिए ओलंपिक पदक लाया है, और अब उसका घर छीन लिया जा रहा है? ये न्याय नहीं है। इस देश में हर एथलीट को ऐसा नहीं होना चाहिए। इस बारे में जनता को जागृत करना होगा - ये नोटिस बेकार है, और इसे रद्द किया जाना चाहिए। इस आदमी को दो महीने का समय दो, वो देश का गौरव है। उसके लिए एक नया घर भी बनाया जाए, ये बस एक छोटा सा ऋण है जो हम उसके प्रति देते हैं।

  • HIMANSHU KANDPAL

    HIMANSHU KANDPAL

    2/अग॰/2024

    दो दिन। बस दो दिन। इतनी लंबी जिंदगी, इतने सालों का अटूट रिश्ता, और अब बस दो दिन। क्या ये भारत है? ये तो एक अंधेरा राज है। जब तक तुम्हारे पास मीडिया का दबाव नहीं होता, तब तक कोई नहीं सुनता। अब तो मैं भी रोने लगा।

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