नया आयकर अधिनियम 2025 की मुख्य बातें
भारत में कर प्रणाली का सबसे बड़ा बदलाव 2026 के बजट से पहले ही आया है। सरकार ने 22 अगस्त 2025 को नया आयकर अधिनियम अधिसूचित किया, जो 1 अप्रैल 2026 से पूर्ण रूप से लागू हो जाएगा। इस कदम का उद्देश्य 1961 के ऐतिहासिक आयकर अधिनियम को प्रतिस्थापित कर, कर कोड को सॉर्ट, समझने में आसान और डिजिटल बनाना है।
कई प्रमुख बदलावों में स्लैब‑आधारित टैक्स रेट, यूटिलिटी‑बेस्ड डिडक्शन और नई आयकर छूट शामिल हैं। अब व्यक्तिगत आय के 2.5 लाख रुपये तक की सीमा को पूरी तरह से कर‑मुक्त कर दिया गया है, जबकि 5 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 15% की दर लगाई जाएगी। इसका मतलब है कि मध्यम वर्ग के अधिकांश लोग पहले से कम टैक्स देंगे।

छोटे व्यवसाय और टेक‑सेक्टर्स के लिए राहत
छोटे उद्यमियों के लिए दो नई सुविधाएँ प्रस्तुत की गई हैं। पहला, वार्षिक टर्नओवर 25 लाख रुपये तक के व्यवसायों को डिजिटल रिटर्न फाइल करने की बाध्यता को हटा दिया गया है; वे अब ‘सिम्प्लिफाइड फ़ॉर्म’ के माध्यम से रिटर्न जमा कर सकते हैं। दूसरा, एआई‑आधारित टूल्स के जरिए टैक्स क्रेडिट का स्वचालित मिलान किया जाएगा, जिससे मैन्युअल त्रुटियों से बचा जा सकेगा।
टेक‑सेक्टर्स में, स्टार्ट‑अप्स को ‘इनोवेशन डिडक्शन’ मिलेगा, जो अनुसंधान एवं विकास खर्च के 30% तक को कर से घटाएगा। इसके अलावा, फ्रीलांसरों और गिग‑वर्कर्स को अब खुद को रजिस्टर्ड करदाता मानते हुए, 10% की फिक्स्ड टैक्स कटौती के साथ वार्षिक लीज़ी रिटर्न फाइल करने की सुविधा मिलेगी।
नये अधिनियम के तहत डिजिटल पेमेंट्स को भी प्रोत्साहन मिलेगा। 1 लाख रुपये से अधिक के सभी पेमेंट्स को ई‑इनवॉइस के रूप में दर्ज करना अनिवार्य होगा, जिससे कर चोरी पर पकड़ मजबूत होगी। साथ ही, एआई‑ट्रैफ़िक मॉनिटरिंग सिस्टम से रियल‑टाइम में टैक्स एवलिएशन की रोकथाम की जाएगी।
आखिरकार, यह बदलाव केवल कर घटाने तक सीमित नहीं है; यह कर प्रशासन को अधिक पारदर्शी, तेज़ और उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह देखना बाकी है कि वास्तविक कार्यान्वयन में कितनी राहत taxpayers को मिल पाती है और क्या यह डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर वास्तव में सभी को कवर कर पाता है।
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