Interim Dividend – आसान भाषा में पूरी जानकारी

शेयरधारक अक्सर डिविडेंड के बारे में सुनते हैं, लेकिन "इंटरिम डिविडेंड" शब्द थोड़ा अलग लग सकता है। दरअसल, यह वही लाभ का एक हिस्सा है जो कंपनी साल भर में दो या तीन बार दे सकती है, पूरे साल की अंतिम रिपोर्ट के इंतजार किए बिना। इस लेख में हम समझेंगे कि इंटरिम डिविडेंड कब आता है, क्यों दिया जाता है और इसे कैसे गिनते हैं।

इंटरिम डिविडेंड कब मिलता है?

कंपनी अपना वित्तीय साल दो हिस्सों में बाँटती है – पहले छः महीने (पहला हाफ) और बाद के छः महीने (दूसरा हाफ)। अगर कंपनी ने पहले छह महीनों में अच्छा मुनाफा कमाया हो, तो बोर्ड शेयरधारकों को एक छोटा‑छोटा भुगतान कर सकता है। इसे इंटरिम डिविडेंड कहते हैं। आमतौर पर यह राबर या वार्षिक रिपोर्ट के बाद नहीं, बल्कि मध्य वर्ष में घोषित किया जाता है। इसलिए शेयर बाजार में कभी‑कभी इस खबर सुनकर स्टॉक की कीमत थोड़ी ऊपर‑नीचे हो जाती है।

इसे कैसे गिनते हैं?

गणना का तरीका बहुत सरल है। सबसे पहले कंपनी अपने शुद्ध लाभ (profit after tax) देखती है, फिर उसे सभी शेयरधारकों में बराबर बाँट देती है। मान लीजिए कंपनी ने 10 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया और उसके 1 करोड़ शेयर हैं। अगर बोर्ड 20% इंटरिम डिविडेंड देने का फैसला करता है, तो हर शेयर पर 0.2 रुपये मिलेगा। यह राशि सीधे आपके बैंक खाते में नहीं जाती, बल्कि ब्रोकर के पास जमा हो जाती है, जहाँ से आप इसे निकाल सकते हैं या अगले ट्रेडिंग सत्र में पुनः निवेश कर सकते हैं।

ध्यान दें – इंटरिम डिविडेंड हमेशा अंतिम वार्षिक डिविडेंड से अलग होता है। अगर कंपनी पूरे साल का मुनाफा बहुत बढ़िया रहा, तो वह एक बड़ी सालाना डिविडेंड भी दे सकती है। लेकिन यदि मध्य में दिया गया इंटरिम डिविडेंड कम हो गया, तो वार्षिक डिविडेंड कम या नहीं भी हो सकता। इसलिए निवेशकों को दोनों खबरों पर नज़र रखनी चाहिए।

इंटरिम डिविडेंड की घोषणा कंपनी के बोर्ड मीटिंग में होती है और फिर स्टॉक एक्सचेंज पर प्रकाशित की जाती है। इस समय शेयरधारक को अपने ब्रोकर या डीमैट खाता देखना चाहिए कि राशि कब जमा हुई। अगर आप नियमित रूप से लाभ चाहते हैं, तो ऐसी कंपनियों को चुनें जिनका इतिहास मजबूत इंटरिम डिविडेंड का हो – जैसे बैंक, फॉरेक्स और कुछ बड़े कंस्ट्रक्शन फर्म।

एक बात याद रखें: डिविडेंड केवल मुनाफे का एक हिस्सा है, पूरी कमाई नहीं। इसलिए सिर्फ डिविडेंड के आधार पर स्टॉक खरीदना जोखिम भरा हो सकता है। कंपनी की ग्रोथ, प्रोडक्ट और बाजार में उसकी पोजीशन भी देखनी चाहिए। अगर दोनों चीज़ें मिलें – अच्छा मुनाफा और स्थिर इंटरिम डिविडेंड – तो निवेश सुरक्षित रहता है।

संक्षेप में, इंटरिम डिविडेंड एक मध्यवर्ती लाभ भुगतान है जो कंपनी की अस्थायी कमाई को शेयरधारकों के साथ बाँटता है। इसे समझना आसान है, बस यह देखिए कि मुनाफा कितना है और बोर्ड ने कौन सा प्रतिशत तय किया है। सही जानकारी और समय पर कार्रवाई से आप इस छोटे‑छोटे लाभ को अपने पोर्टफोलियो में जोड़ सकते हैं।

Nestle India Q3: नेट प्रॉफिट 5% बढ़ा, Nescafé की धाक और 14.25 रुपये डिविडेंड का ऐलान

Nestle India ने दिसंबर 2024 तिमाही में 5% सालाना मुनाफा बढ़ाकर 688 करोड़ रुपये हासिल किया। कंपनी की ऑपरेशनल आय 3.9% बढ़कर 4,779.73 करोड़ रुपये पहुंची। इस ग्रोथ में Nescafé सहित बेवरेज कैटेगरी फेस रहा। 14.25 रुपये का अंतरिम डिविडेंड भी घोषित हुआ, जिससे शेयर 7% उछले।

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