म्यूचुअल फंड फोलियो खोलना: पहली बार भी आसान

अगर आप सोच रहे हैं कि म्यूचुअल फंड में पैसा कैसे लगाएँ, तो सबसे पहले फोलियो बनाना जरूरी है। फोलियो मतलब आपके सारे फंड्स का एक ही खाता जहाँ से आप खरीद‑बेच कर सकते हैं। आजकल ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर कुछ मिनटों में ये काम हो जाता है, बस सही डॉक्यूमेंट्स और थोड़ा समय चाहिए।

फोलियो खोलने के चार आसान कदम

1. KYC पूरा करें – पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ़ (आधार या ड्राइविंग लाइसेंस) और फोटो अपलोड करना होता है। अगर आपका KYC पहले से अपडेटेड है तो आगे बढ़िए।
2. फंड हाउस चुनें – बड़े‑बड़े फंड कंपनियों के पास अलग‑अलग योजनाएँ होती हैं। उनके रिटर्न, रिस्क और फीस देख कर तय करें कि कौन सा आपके लक्ष्य से मेल खाता है।
3. ऑनलाइन अकाउंट बनाएं – वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर ‘ओपन फोलियो’ बटन दबाएँ, फिर नाम, बैंक खाते की जानकारी भरें। अधिकांश प्लेटफ़ॉर्म तुरंत एक फोलियो नंबर जनरेट कर देते हैं।
4. पहला निवेश करें – न्यूनतम राशि 500 ₹ या 1,000 ₹ से शुरू हो सकती है। आप SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) सेट कर सकते हैं ताकि हर महीने ऑटोमैटिक रूप से पैसा कटे और आपके फंड्स बढ़ें।

फोलियो मैनेजमेंट के बेसिक टिप्स

एक बार फोलियो बन गया, तो इसे सही तरह से चलाना ज़रूरी है। सबसे पहले अपने निवेश लक्ष्य को स्पष्ट रखें – क्या आप रिटायरमेंट बचत कर रहे हैं या छोटे‑छोटे लघु‑कालिक लक्ष्य? लक्ष्य के हिसाब से एसेट अलोकेशन चुनें: इक्विटी, डेट या हाइब्रिड फंड्स।

हर 3‑6 महीने में पोर्टफ़ोलियो रिव्यू करें। अगर कोई फंड लगातार नीचे जा रहा है, तो उसका कारण समझें – क्या मार्केट की मौसमी गिरावट है या फ़ंड मैनेजर ने बुरे फैसले लिये? जरूरत पड़े तो रीबैलेंस करके बेहतर फंड्स में शिफ्ट कर सकते हैं।

टैक्स प्लानिंग भी मत भूलिए। इक्विटी फंड के लम्बी अवधि (1 साल से अधिक) की पूंजी लाभ पर 10 % टैक्स लगता है, जबकि डेब्ट फंड पर 20 %। इसलिए लंबी‑अवधि निवेश को प्राथमिकता दें अगर आप टैक्स बचत चाहते हैं।

फीस देखना भी ज़रूरी है – एग्ज़िट लोड, मैनेजमेंट चार्ज और ट्रांज़ैक्शन फीस मिलाकर आपका रिटर्न घट सकता है। कई प्लेटफ़ॉर्म अब ‘नो‑लॉड’ फंड्स ऑफर करते हैं, तो उन पर ध्यान दें।

अगर आप नई तकनीक अपनाना चाहते हैं तो एपीआई इंटीग्रेशन वाले डैशबोर्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये आपके सभी फोलियो को एक जगह दिखाते हैं और रियल‑टाइम वैल्यू अपडेट देते हैं, जिससे निर्णय जल्दी ले पाते हैं।

आख़िर में याद रखिए कि म्यूचुअल फ़ंड एक लम्बी यात्रा है, रोज़‑रोज़ मार्केट की हलचल से डरने की जरूरत नहीं। धीरज रखें, नियमित रूप से निवेश करें और अपने फोलियो को समय‑समय पर जाँचते रहें – यही सफलता का मूल मंत्र है।

सेबी ने बदले डिमैट और म्यूचुअल फंड फोलियो हेतु नामांकन नियम

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने डिमैट खाते और म्यूचुअल फंड फोलियो के लिए नामांकन नियमों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन नए नियमों का मुख्य उद्देश्य खाताधारक की मृत्यु के बाद संपत्ति के सुगम हस्तांतरण को सुनिश्चित करना है। नए नियमों में खाता खोलते समय या खाता सक्रिय होने के 30 दिनों के भीतर नामांकन विवरण प्रदान करना अनिवार्य होगा।

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