फुट फ्रैक्चर – सब कुछ जो आपको जानना चाहिए
जब हम फुट फ्रैक्चर, पैर की हड्डी में टूटने को कहा जाता है. Also known as पैर की हड्डी टूटना, it commonly occurs during sports or accidental falls. साथ ही हड्डी, शरीर की संरचनात्मक सपोर्ट प्रणाली भी इस प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभाती है, और डॉक्टर, चिकित्सक जो हड्डी की चोटों का उपचार करता है की सही सलाह बिना उपचार अधूरा रहता है। फुट फ्रैक्चर एक हड्डी की चोट है, और इसका सही प्रबंधन तेज़ी से पुनरुद्धार की कुंजी है।
कैसे होता है फुट फ्रैक्चर?
खेल‑कूद में तेज़ मोड़, अचानक रुकना या उल्टा गिरना अक्सर फुट फ्रैक्चर का कारण बनते हैं। कबड्डी, हॉकी या फुटबॉल जैसे तेज़‑रफ़्तार खेलों में पैर पर बहुत दबाव पड़ता है, इसलिए इस टैग में कई खेल‑सम्बंधित चोटों के बारे में लिखे लेख शामिल हैं। दुर्घटनाओं में सीधे पैर पर गिरना, गिरते घर के भीतर फर्नीचर से टकराना, या कार दुर्घटना के दौरान पैर पर तेज़ प्रभाव भी इस चोट को जन्म दे सकते हैं। यही कारण है कि फुट फ्रैक्चर को अक्सर ‘स्पोर्ट्स इन्जरी’ (sports injury) के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है।
फुट फ्रैक्चर के लक्षण तुरंत नहीं दिखते, लेकिन आम तौर पर दर्द, सूजन, चारों ओर लालिमा और वजन न उठा पाने की क्षमता कम हो जाती है। यदि आप अचानक चलने‑फिरने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं, विशेषकर पैरों में तेज़ दर्द या असहजता, तो यह संकेत हो सकता है कि हड्डी टूट गई है। डॉक्टर अक्सर X‑ray या MRI की सलाह देते हैं ताकि फ्रैक्चर की सटीक जगह और गंभीरता पता चल सके। इस चरण में लक्षणों की पहचान और तुरंत डॉक्टर से मिलना बहुत जरूरी है।
उपचार के दो मुख्य रास्ते होते हैं: पहले, यदि फ्रैक्चर हल्का है तो प्लास्टर या कास्ट से स्थिरता दी जाती है; दूसरे, गंभीर मामलों में सर्जरी करके हड्डियों को प्लेट, स्क्रू या रॉड से जोड़ दिया जाता है। दोनों ही स्थितियों में फिजियोथेरेपी का रोल अहम है क्योंकि यह मसल्स को मजबूत बनाता है और जॉइंट की मूवमेंट को वापस लाता है। डॉक्टर की निगरानी में दर्द प्रबंधन के लिए NSAIDs या stronger painkillers भी दी जा सकती हैं, लेकिन उनका प्रयोग डॉक्टर के निर्देश के बिना नहीं करना चाहिए।
पुनर्वास (rehabilitation) प्रक्रिया अक्सर कई हफ्तों से लेकर महीनों तक चलती है। शुरुआती दो‑तीन हफ़्ते में पैर को पूरी तरह आराम देना चाहिए, फिर धीरे‑धीरे वजन डालते हुए हल्के व्यायाम शुरू किए जाते हैं। फिजियोथेरेपी में अंडर‑वॉटर एरोबिक एक्सरसाइज, स्ट्रेचिंग और बायोमैकेनिकल प्रशिक्षण शामिल होते हैं, जिससे पैर की हड्डी फिर से मजबूत बनती है और मसल्स के सहारे शरीर का संतुलन सुधरता है। अधिकांश युवाओं को तीन से चार माह में सामान्य चाल फिर से मिल जाती है, जबकि एथलीट्स को पूरा साल लग सकता है, खासकर अगर सर्जरी की आवश्यकता रही हो।
फुट फ्रैक्चर को रोकना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना इसका उपचार। सही फुटवियर चुनना, विशेषकर खेल में एन्हांस्ड सॉक्स और सपोर्टिव शूज़, बहुत फायदेमंद होता है। वार्म‑अप और स्ट्रेचिंग रूटीन को अपनी दिनचर्या में शामिल करें, इससे हड्डियों पर अचानक दबाव कम होता है। अगर आप नियमित रूप से भारी वजन उठाते हैं या तेज़ गति वाले खेल खेलते हैं, तो कैल्शियम और विटामिन D की पर्याप्त मात्रा लेनी चाहिए, क्योंकि ये पोषक तत्व हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। नियमित स्नायु और हड्डी की जांच भी समय पर समस्या पकड़ने में मदद करती है।
अब आप फुट फ्रैक्चर के बारे में कारण, लक्षण, उपचार और रोकथाम के सभी मुख्य पहलुओं को समझ गए हैं। नीचे की सूची में हमने ऐसे कई लेख इकट्ठा किए हैं जो इस चोट के विभिन्न पहलुओं—दुर्घटना रिपोर्ट, स्पोर्ट्स इन्जरी केस स्टडी, और विशेषज्ञ डॉक्टरों के टिप्स—को कवर करते हैं। इन लेखों को पढ़कर आप अपने या अपने परिवार के किसी सदस्य के फुट फ्रैक्चर से जुड़ी समस्याओं को बेहतर समझ सकते हैं और उचित कदम उठा सकते हैं। चलिए, अब इन उपयोगी जानकारी वाले लेखों की ओर देखते हैं।
रिशभ पेंट का फुट फ्रैक्चर, ओवल टेस्ट में नारायण जगदेसन को मिला मौका
रिशभ पेंट को चौथे टेस्ट में हुए फुट फ्रैक्चर के कारण पाँचवें और आखिरी टेस्ट से बाहर कर दिया गया है। घाव के बावजूद पेंट ने 54 रन बनाकर साहस दिखाया। नारायण जगदेसन को प्रतिस्थापन के रूप में बुलाया गया, जबकि ध्रुव जुरेल बुककीपर की भूमिका जारी रखेंगे। भारत को अभी भी श्रृंखला बराबर करने का मौका है।
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