तलाक पर आपका संपूर्ण मार्गदर्शक

क्या आप या आपका कोई जानकार तलाक की सोच रहा है? इस पेज पर हम तलाक से जुड़ी खबरें, कोर्ट की प्रक्रियाएँ और रोज़मर्रा की सलाह को सरल शब्दों में पेश करेंगे। यहाँ पढ़कर आपको पता चलेगा कि किस चरण में क्या करना है, कौन‑से दस्तावेज जरूरी हैं और कब मदद लेनी चाहिए।

तलाक के प्रमुख कारण

भारत में तलाक के मुख्य कारण कई बार कानूनी मानदंडों से जुड़े होते हैं। सबसे आम कारण हैं अविवाहित जीवन, शारीरिक या मानसिक दुर्व्यवहार, और अलग‑अलग रहने की इच्छा. कोर्ट अक्सर यह देखता है कि क्या पति‑पत्नी के बीच समझौता संभव है या नहीं। यदि कोई एक पक्ष लगातार संबंध तोड़ता है, तो वह ‘परित्याग’ के तहत तलाक का आधार बन सकता है। कुछ मामलों में धार्मिक कारणों या पारिवारिक दबाव भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

नयी खबरें बताती हैं कि पिछले साल सोशल मीडिया पर चल रही एक अभियान ने कई लोगों को अपने रिश्ते की वास्तविकता समझने में मदद की, जिससे तलाक के दर में हल्का उतार आया। ऐसे सामाजिक बदलाव अक्सर कोर्ट के निर्णयों पर भी असर डालते हैं।

तलाक की कानूनी प्रक्रिया

तलाक शुरू करने से पहले दो चीज़ें तय करनी होती हैं – स्थानीय अदालत या हाईकोर्ट और दस्तावेज़ी तैयारी. पहला कदम है ‘विचार‑सत्र’ (काउंसलिंग), जहाँ दोनों पक्ष को समझौता करने की कोशिश की जाती है। अगर यह सफल नहीं होता, तो दाखिले का फ़ॉर्म भरकर कोर्ट में पेश किया जाता है।

फ़ॉर्म में मूल जानकारी जैसे शादी की तारीख, कारण और बच्चों की संख्या दर्ज करनी होती है। साथ ही जन्म प्रमाणपत्र, पहचान पत्र और आय के दस्तावेज़ भी लगते हैं। एक बार फ़ाइलिंग हो जाने पर कोर्ट दो‑तीन सुनवाईयों में साक्षी व गवाहों को बुला सकता है। इस दौरान दोनों पक्ष अपने‑अपने दावे पेश करते हैं।

यदि सभी चीज़ें ठीक रही और कोई विवाद नहीं रहा, तो कोर्ट ‘डिक्री ऑफ डिवॉर्स’ जारी करता है। यह दस्तावेज़ आधिकारिक तौर पर शादी समाप्त कर देता है और भविष्य में पुनर्विवाह या संपत्ति के मामलों में काम आता है।

कभी‑कभी अदालत समझौता समझौते (सेट्लमेंट एग्रीमेंट) भी बनाती है, जिसमें बच्चों की कस्टडी, वित्तीय समर्थन और संपत्ति का वितरण तय किया जाता है। यह समझौता दोनों पक्षों के लिए सुरक्षा कवच जैसा काम करता है।

तलाक की प्रक्रिया में समय‑समय पर कानूनी सलाहकार या वकील से मदद लेना फायदेमंद रहता है। कई बार छोटे‑छोटे कागज़ी कामों को सही ढंग से न करने के कारण केस लम्बा हो जाता है। एक अनुभवी वकील दस्तावेज़ तैयारियों में तेज़ी और सटीकता ला सकता है।

यदि आप आर्थिक रूप से कमजोर हैं, तो लीगल एडवाइस सेंटर या सरकारी योजना ‘फ्री लिगल एडवाइस’ का सहारा ले सकते हैं। ये संस्थाएँ मुफ्त में कानूनी सलाह और दस्तावेज़ीकरण में मदद देती हैं।

आखिरकार, तलाक एक कठिन फैसला है लेकिन सही जानकारी और समर्थन से इसे आसानी से संभाला जा सकता है। फिजिका माईंड पर आप रोज़मर्रा की अपडेट्स और विशेषज्ञ राय पा सकते हैं जो इस प्रक्रिया को स्पष्ट बनाते हैं। अगर आपके मन में कोई सवाल है, तो नीचे कमेंट सेक्शन में लिखें; हम यथाशीघ्र जवाब देंगे।

हार्दिक पंड्या तलाक: क्रिकेटर ने नताशा स्टेनकोविच से अलगाव की पुष्टि की

भारतीय क्रिकेटर हार्दिक पंड्या और उनकी पत्नी नताशा स्टेनकोविच का विवाह चार साल बाद खत्म हो गया। लॉकडाउन के दौरान 2020 में शादी करने वाले इस जोड़े ने अलग होने का फैसला किया है। Instagram पर पोस्ट के माध्यम से, पंड्या ने कहा कि उन्होंने शादी को सफल बनाने के लिए हर संभव कोशिश की, लेकिन अलग होना ही उनके लिए सही रास्ता था। दोनों अपने बेटे अगस्त्य की को-परेंटिंग जारी रखेंगे।

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