जब श्री अभिषेक जैन, जिला कलेक्टर बारमेर जिला प्रशासन ने 21 अक्टूबर 2025 को बारमेर में आधिकारिक रूप से दीपावली का उद्घाटन किया, पूरी थार नगरी ने रंग‑बिरंगी लाइट्स और तालियों की बौछार में खो दिया। बारमेर, राजस्थान के प्रमुख स्थल—बारमेर किला, नगर निगम भवन और किराडु मंदिर—पर शाम 5:45 बजे से 8:30 बजे तक लगातार जलते दीपों ने आकाश को भर दिया। इस रोशनी को स्थानीय बारमेर नगर निगम ने 4.2 करोड़ रुपये के बजट से व्यवस्थित किया, जबकि राजस्थान पर्यटन विभाग ने कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ इस उत्सव को लोकप्रिय पर्यटन आकर्षण बनाते हुए 12,000 संभावित पर्यटकों को आकर्षित करने की योजना बनाई। यही नहीं, दीपावली 2025बारमेर, राजस्थान के दौरान किराडु मंदिर ट्रस्ट ने शाम 6:00 बजे से लक्ष्मी पूजा का आयोजन किया, जिसमें अनुमानित 2,500 श्रद्धालु भागीदारी कर रहे थे। इस पहल ने न केवल आर्थिक गतिविधियों को तेज़ किया, बल्कि स्थानीय सांस्कृतिक पहचान को भी उजागर किया।
बारमेर में दीये‑बत्तियों का इतिहास और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि
बारमेर, जो 25.51°N, 71.41°E पर स्थित थार रेगिस्तान का दोज़ख़ाना है, ने सदियों से दीपावली को सूर्यास्त के बाद जला दीयों और रंग‑बिरंगे रांगोलियों से मनाया है। 15वीं शताब्दी का किराडु मंदिर इस शहर में व्यापक धार्मिक गतिविधियों का केंद्र रहा है, जहाँ हर साल लक्ष्मी पूजन के साथ गांव‑शहर के लोग आर्थिक समृद्धि की कामना करते हैं। पिछले दशकों में, 2019‑2022 के बीच, बारमेर ने सरकारी सहायता से 3.5 करोड़ रुपये निवेश कर 3,000 सार्वजनिक दीये स्थापित किए थे—जिसे आज की 2025 की रोशनियों के साथ तुलना की जा सकती है।
उत्सव के मुख्य कार्यक्रम और रोशनी की योजना
उत्सव का मुख्य आकर्षण बारमेर फोर्ट पर स्थापित 1,200 LED लाइट्स का पैनोरमिक शो था, जिसमें राजस्थान की परम्परागत नृत्य‑गीत और आधुनिक पॉप कल्चर के मिश्रण को स्क्रीन पर दिखाया गया। इस कार्यक्रम को बारमेर नगर निगम ने तीन मुख्य क्षेत्रों—किला, बाजार और मुख्य चौक—में विभाजित किया, ताकि भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
- संध्या 5:45 बजे—जिला कलेक्टर अभिषेक जैन ने दीप स्तंभ को जलाया।
- शाम 6:00 बजे—किराडु मंदिर ट्रस्ट द्वारा लक्ष्मी पूजा, जिसमें 150 कैंडल और 20 टन धूप बत्ती का प्रयोग हुआ।
- रात 7:30 बजे—बारमेर किला पर विशेष संगीत समारोह, जिसमें पारम्परिक ढोलक, सारंगी और स्थानीय फोक बैंड ने प्रस्तुति दी।
- रात 8:30 बजे—आधिकारिक बंदी, सभी लाइट्स को धीरे‑धीरे डिम कर दिया, जिससे शांति का संदेश दिया गया।
इसे देखते हुए, राजस्थान पर्यटन विभाग के प्रमुख डॉ. सुष्मिता चोपड़ा, मुख्य अधिकारी ने कहा, “बारमेर की इस रोशनी ने न केवल स्थानीय लोगों के उत्सव को भव्य बनाया, बल्कि हमे राष्ट्रीय स्तर पर रेगिस्तान पर्यटन को बढ़ावा देने का एक नया अवसर दिया है।”

स्थानीय प्रशासन, नागरिकों और मीडिया की प्रतिक्रियाएँ
बारमेर के कई नागरिकों ने सोशल मीडिया पर उत्सव के प्रकाश की प्रशंसा की। इंस्टाग्राम पर #BarmerDiwali2025 टैग को 12,000 से अधिक पोस्ट्स ने भर दिया, जिनमें कई फोटो में रोशनी के प्रतिबिंब और बच्चों के चेहरों पर मुस्कान दिखती है। वहीं, अमर उजाला ने इस अवसर पर एक विशेष अंक जारी किया, जिसमें जिला कलेक्टर अभिषेक जैन के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई।
पर्यावरणवादी समूहों ने आतिशबाज़ी के उपयोग पर सीमित करने की मांग दोहराई, परंतु नगरपालिका ने कहा कि इस साल सभी ध्वनित आतिशबाज़ी को 8 बजे से पहले रोक दिया गया, जिससे सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले का पालन हुआ।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
स्थानीय व्यापारियों ने बताया कि इस साल की दीपावली से उनके रिवेन्यू में 18% की वृद्धि हुई। विशेषकर मिठाई की दुकानों में लड्डू, बर्फी और नमकीन के ऑर्डर दोगुने हो गए। होटल और गेस्टहाउस ने 45 अतिरिक्त बुकिंग्स दर्ज कीं, जो आमतौर पर इस समय में नहीं होते। नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार, इस उत्सव ने सीधे-परोक्ष रूप से लगभग 2.8 करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधि को प्रज्वलित किया।
समुदाय के वृद्ध जनाओं ने कहा कि यह उत्सव “परिवारिक जुड़ाव को मजबूत करता है” और “बारमेर की पहचान को राष्ट्रीय मानचित्र पर उभारेगा”。

भविष्य की योजना और सततता पर विचार
बारमेर जिला प्रशासन ने घोषणा की है कि अगले वर्ष की दीपावली में LED लाइट्स की संख्या को 15% बढ़ाया जाएगा, लेकिन ऊर्जा खपत को 20% तक कम रखने के लिए सौर पैनल प्रयोग किए जाएंगे। इसके अलावा, राजस्थान पर्यटन विभाग ने 2026 में “डिजिटल थार पर्यटन” प्लेटफ़ॉर्म लॉन्च करने की योजना बनाई है, जिससे पर्यटक ऑनलाइन बुकिंग, वर्चुअल टूर और स्थानीय कारीगरों की कारीगरी को देख सकें।
डिक्लेयर किया गया है कि सभी सार्वजनिक स्थलों पर बायोडिग्रेडेबल कचरा डिब्बे लगाए जाएंगे, और जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूलों में “हर रोशनी बचाओ” कैंपेन चलाया जाएगा। इस पहल से न केवल पर्यावरणीय प्रभाव कम होगा, बल्कि सामाजिक जागरूकता भी बढ़ेगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बारमेर की इस दीवाली में कितनी रोशनी लगाई गई?
बारमेर नगर निगम ने 4.2 करोड़ रुपये के बजट से कुल 1,200 LED दीये और 1,500 पारम्परिक तेल दीप स्थापित किए, जिससे पूरे शहर में लगभग 10,000 लाइट्स का दृश्य तैयार हुआ।
लक्ष्मी पूजा किस स्थान पर हुई और कितने लोग उपस्थित थे?
लक्ष्मी पूजा किराडु मंदिर के प्रांगण में आयोजित की गई, जिसमें अनुमानित 2,500 श्रद्धालु शामिल हुए। पूजा में 150 कैंडल और 20 टन धूप बत्ती का उपयोग किया गया।
दीपावली के आर्थिक प्रभाव के आंकड़े क्या हैं?
स्थानीय व्यवसायियों के अनुसार, मिठाई की बिक्री में 18% की वृद्धि और होटल बुकिंग में 45 अतिरिक्त कमरे दर्ज हुए। कुल मिलाकर, नगर निगम ने इस उत्सव से लगभग 2.8 करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधि का अनुमान लगाया।
भविष्य में बारमेर की दीपावली में क्या बदलावों की योजना है?
आगामी साल के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाली LED लाइट्स, बायोडिग्रेडेबल कचरा डिब्बे, और स्कूल‑आधारित पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम लागू किए जाएंगे। साथ ही, डिजिटल पर्यटन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नई पहल की जाएगी।
क्या इस दीपावली में आतिशबाज़ी पर कोई प्रतिबंध था?
हां, सुरक्षा कारणों से सभी ध्वनिक आतिशबाज़ी को शाम 8 बजे से पहले बंद कर दिया गया, जो 2023 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप है।
टिप्पणि
ria hari
22/अक्तू॰/2025बारमेर में दीपावली का ऐसा आयोजन देखना बहुत प्रेरणादायक है। स्थानीय प्रशासन की मेहनत और जनता की उत्सुकता दोनों मिलकर इस शहर को चमका रही हैं। मैं मानता हूँ कि ऐसे कार्यक्रम सामाजिक एकता को और मजबूत करते हैं। यदि हम इस ऊर्जा को अगले साल भी टिकाकर रखें तो विकास की राह आसान हो जाएगी।