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राजाखेड़ा की तीज कुश्ती: रोमांचक मुकाबला, फाइनल में बराबरी, 31 हजार रुपये इनाम पर सस्पेंस

खेल

राजाखेड़ा में तीज दंगल: पहलवानों की भिड़ंत और बराबरी की टक्कर

धौलपुर जिले के राजाखेड़ा कस्बे में तीज के मौके पर आयोजित हुई कुश्ती प्रतियोगिता ने हर उम्र के दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। राजस्थान में दंगल सिर्फ खेल नहीं, बल्कि परंपरा और गर्व का अहम हिस्सा है। इस साल के तीज मुकाबले में न सिर्फ आस-पास के गांवों के युवा हिस्सा लेने पहुंचे, बल्कि दूर-दराज से नामी पहलवान भी ताल ठोकने पहुंचे।

सुबह से ही स्थानीय मैदान में भीड़ जुटने लगी थी। गांव के बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं तक अलग रौनक के साथ कुश्ती देखने पहुंचे। हर किसी की नजर फाइनल मुकाबले पर थी, जिसकी इनामी राशि राजाखेड़ा कुश्ती को पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना रही थी। 31 हजार रुपये का इनाम जिसने भी जीतना था, वो न सिर्फ पैसा, बल्कि इज्जत भी ले जाता।

फाइनल मुकाबले में रोमांच और विरासत की पहचान

आखिरी मुकाबला जब शुरू हुआ तो दोनों पहलवानों के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिली। एक तरफ थे लोकल चैंपियन, जिनका गांव भर में बड़ा नाम है, तो दूसरी ओर बाहर से आए प्रोफेशनल पहलवान। दोनों ने अपनी ताकत, फुर्ती और दांव-पेच से दर्शकों को लगातार तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। करीब 40 मिनट चले इस मुकाबले के बाद भी कोई विजेता तय नहीं हो सका, और आखिकार रेफरी ने दोनों को बराबरी का विजेता घोषित कर दिया।

ऐसे नतीजे राजस्थान के दंगलों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा और खेल भावना का संकेत देते हैं। आयोजकों ने यह भी साफ किया कि इनामी राशि फिलहाल दोनों के नाम सुरक्षित रहेगी और अगली बार मुकाबले के लिए वो फिर आमंत्रित होंगे।

गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि तीज के मौके पर कुश्ती की ये परंपरा आज से नहीं, दशकों से चल रही है। हर साल यह आयोजन क्षेत्र के युवाओं में अनुशासन, फिटनेस और भाईचारे का भाव जगाता है। पहलवानों ने भी माना कि ऐसे दंगल सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखते हैं और बच्चों को खेलों के प्रति प्रेरित करते हैं।

राजाखेड़ा की इस तीज कुश्ती ने न सिर्फ खेल बल्कि परंपरा, गांव की एकजुटता और गर्व को एक मंच पर दिखाया। मुकाबला चाहे बराबरी पर छूटा, पर उत्साह में कोई कमी नहीं दिखी। यहां हर मुकाबला गांव के लिए किसी त्योहार से कम नहीं होता।

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