भारत की अर्थव्यवस्था – नवीनतम समाचार

अगर आप आर्थिक दुनिया में क्या चल रहा है जानना चाहते हैं तो यहाँ सही जगह है। हम रोज़ाना भारत के वित्तीय आंकड़े, बाजार की हलचल और नीति बदलाव को आसान भाषा में समझाते हैं। अब जटिल शब्द नहीं, बस साफ‑साफ बातों से अपडेट रहें।

मुख्य आर्थिक संकेतक

पिछले तिमाही में भारत का जीडीपी वार्षिक 6.7% बढ़ा, जो विदेशी निवेश और घरेलू उपभोग दोनों को दिखाता है। साथ ही महंगाई दर अप्रैल‑मई में 4.8% पर स्थिर हुई, जिससे किफ़ायती वस्तुओं की कीमतें थोड़ी राहत मिली। लेकिन तेल की कीमतों के उतार‑चढ़ाव से कुछ सेक्टर अभी भी अस्थिर हैं।

बैंकों ने इस साल की पहली क्वार्टर में कुल जमा 12% बढ़ाया, जबकि ऋण वृद्धि 9% रही। इसका मतलब है कि लोग बचत तो कर रहे हैं पर साथ ही नई परियोजनाओं के लिए लोन ले रहे हैं। यही कारण है कि रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर में धीरे‑धीरे गति दिखने लगी है।

शेयर मार्केट की बात करें तो सेंसेक्स ने 3,500 अंक को पार कर लिया। यह मुख्यतः आयरन ओर फ़ाइंडिंग कंपनियों और टेक स्टार्ट‑अप्स के शेयरों के बढ़ते हुए मूल्य से हुआ। अगर आप निवेश करने का सोच रहे हैं तो मध्यम जोखिम वाले म्यूचुअल फंड अभी बेहतर विकल्प हो सकते हैं, क्योंकि वे विविधीकरण की वजह से गिरावट को कम करते हैं।

निवेशकों के लिए उपयोगी टिप्स

पहला कदम – अपने पोर्टफ़ोलियो में थोड़ा बांड शामिल करें। सरकारी बॉन्ड अभी 7% तक यील्ड दे रहे हैं और यह सुरक्षित माना जाता है। दूसरा, यदि आप स्टॉक चुनते हैं तो उन कंपनियों को देखें जो निर्यात बढ़ा रही हों; डॉलर के मजबूत होने से उनका मुनाफ़ा बढ़ता है।

तीसरा, बड़े IPO जैसे HDB Financial Services या Nestle India Q3 परिणामों पर नज़र रखें। ऐसे शेयर अक्सर शुरुआती दिनों में अस्थिर होते हैं लेकिन सही समय पर खरीदने से अच्छा रिटर्न मिल सकता है।

चौथा, अपनी बचत का एक हिस्सा गोल्ड या सॉवरेन बॉन्ड में रखिए। इनकी कीमत आम तौर पर महंगाई के साथ बढ़ती है और यह दीर्घकालिक सुरक्षा देता है। पाँचवा, हर महीने की आय को थोड़ा-थोड़ा करके विभिन्न एसेट क्लासेज़ में बाँटे‑बाँटे निवेश करें; इससे जोखिम कम होता है और रिटर्न स्थिर रहता है।

अंत में एक बात याद रखें – आर्थिक डेटा रोज़ बदलता है, इसलिए समय‑समय पर अपने पोर्टफ़ोलियो को रीव्यू करना जरूरी है। फिजिकामाइंड पर हम हर हफ्ते प्रमुख आँकड़े और उनके असर की आसान समझ देते हैं, तो जुड़े रहें और सूचित निर्णय लें।

आरबीआई नीति पर अबीक बारुआ की निराशा: उम्मीदें, वैश्विक प्रभाव और घरेलू कारक

अबीक बारुआ, एचडीएफ़सी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री, ने आरबीआई की नीति के परिणाम पर निराशा व्यक्त की। उनका मानना था कि मौद्रिक नीति समिति के कुछ सदस्यों की अलग राय हो सकती है। बारुआ ने आरबीआई के कठोर रुख को नियंत्रित करने के बजाय अधिक संवेदनशीलता दिखाने की मांग की। उन्होंने वैश्विक आर्थिक संदर्भ में भारत की आर्थिक स्थिति पर इसके संभावित प्रतिकूल प्रभाव पर जोर दिया।

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