पॉलिग्राफ टेस्ट क्या है?
अगर आप कभी टीवी या सोशल मीडिया पर देखे हैं कि कोई व्यक्ति ‘जूठ पकड़ने वाली मशीन’ में बैठा था, तो वही पॉलिग्राफ टेस्ट है. इसे अक्सर lie detector कहा जाता है, लेकिन असल में यह शरीर की कुछ शारीरिक प्रतिक्रियाओं को मापता है – दिल की धड़कन, सांस, त्वचा का प्रतिरोध इत्यादि.
कैसे काम करता है पॉलिग्राफ?
टेस्ट शुरू होने से पहले तकनीशियन कई प्रश्न तैयार करता है. फिर आप पूछे गए सवालों के जवाब देते समय अपने शरीर की रीडिंग को मशीन रिकॉर्ड करती है. अगर कोई सवाल आपका दिल तेज़ कर देता है या पसीना लाता है, तो स्क्रीन पर हाइलाइट दिखता है. विशेषज्ञ इसे देखकर तय करते हैं कि जवाब सही था या नहीं.
ध्यान रखें, पॉलिग्राफ 100% भरोसेमंद नहीं होता. कुछ लोग तनाव में भी सच कह सकते हैं और उल्टा भी हो सकता है. इसलिए कोर्ट में अक्सर इसका सबूत माना नहीं जाता, लेकिन पुलिस जांच या नौकरी के चयन में इसे एक सहायक टूल समझा जाता है.
भारत में पॉलिग्राफ टेस्ट का हालिया चलन
पिछले साल से भारत में कई हाई‑प्रोफाइल केसों में पॉलिग्राफ इस्तेमाल हुआ. समाचार साइट ‘फ़िजिकामाइंड’ ने इन घटनाओं को विस्तार से कवर किया है, जैसे कि कुछ राजनेताओं के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार मामले और सुरक्षा एजेंसियों की जांच. अक्सर मीडिया रिपोर्टें इस बात पर ज़ोर देती हैं कि टेस्ट का परिणाम कैसे केस की दिशा बदल सकता है.
वास्तव में, भारत सरकार ने 2023 में पॉलिग्राफ को कुछ सरकारी नौकरियों के चयन प्रक्रिया में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था. हालांकि कई विशेषज्ञों ने कहा कि इससे गलत फसलें हो सकती हैं क्योंकि तनाव और व्यक्तिगत स्वास्थ्य भी परिणाम पर असर डालते हैं.
अगर आप नौकरी या किसी कानूनी मामले में पॉलिग्राफ से गुजरने वाले हैं, तो कुछ बातें याद रखें: टेस्ट से पहले पर्याप्त नींद लें, कैफ़ीन कम करें और डॉक्टर से अपनी शारीरिक स्थिति की पुष्टि करवा लें. यह तनाव को घटाने में मदद करेगा और परिणाम अधिक सटीक हो सकते हैं.
फ़िजिकामाइंड पर हम पॉलिग्राफ के बारे में ताज़ा खबरें, विशेषज्ञों की राय और केस स्टडीज़ नियमित रूप से अपडेट करते रहते हैं. आप हमारे ‘पॉलिग्राफ टेस्ट’ टैग को फॉलो करके सभी नई जानकारी एक जगह पा सकते हैं.
अंत में यह कहा जा सकता है कि पॉलिग्राफ एक दिलचस्प तकनीक है, लेकिन इसे अकेले भरोसेमंद नहीं माना जाना चाहिए. हमेशा अन्य साक्ष्यों और जांच के साथ मिलाकर ही कोई निष्कर्ष निकालें. अगर आप इस विषय पर गहराई से पढ़ना चाहते हैं तो फ़िजिकामाइंड की संबंधित लेखों को देखें – यहाँ आपको आसान भाषा में सभी पहलू समझाने वाली जानकारी मिलेगी.
कोलकाता रेप-मर्डर केस: आरोपियों और अस्पताल अधिकारियों पर होगा पॉलीग्राफ टेस्ट
सीबीआई को कोलकाता रेप-मर्डर केस में आरोपियों और अस्पताल अधिकारियों पर पॉलीग्राफ टेस्ट करने की अनुमति मिली है। प्रमुख आरोपी संजय रॉय और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर यह टेस्ट किया जाएगा। घटना अगस्त 9 को हुई थी, जिसमें संजय रॉय पर एक 31 वर्षीय डॉक्टर की हत्या और बलात्कार का आरोप है।
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