जब क्रेग फुल्टन, हेड कोच of भारत राष्ट्रीय हॉकी टीम ने 6 सितंबर 2025 को हैंगझोउ के गोंगशु कालवा स्पोर्ट्स पार्क में चीन को 7-0 से पराजित किया, तो पूरे राष्ट्र ने झंकार खा ली। इस निर्णायक जीत ने भारत को हॉकी एशिया कप के फाइनल में दक्षिण कोरिया के खिलाफ जगह दिला दी।
टूर्नामेंट का पृष्ठभूमि
2025 पुरुष हॉकी एशिया कप, जो 2025 पुरुष हॉकी एशिया कपराजगीर, बिहार, भारत में आयोजित हुआ, आठ टीमों का मुकाबला था। भारत ने पहले चरण में चीन को 4-3 से तीखा जीत कर पहले से ही दबाव बना रखा था, पर अब सुपर‑4 में पूरी टीम ने हमला‑रक्षा का क्लिनिक पेश किया।
मैच की रोचक बातें
मैचा की शुरुआती पाँच मिनट में शिलानंद लाकड़ा ने हार्मनप्रीत सिंह के सटीक एरियल पास को घातक डिफेंस संभालते हुए गोल कर दिया। सातवें मिनट में दिलप्रीत सिंह ने पेनल्टी कॉर्नर के रीबाउंड से दोबारा गोल मारते ही 2‑0 का अंतर स्थापित किया। पहले क्वार्टर के अंत तक मंदीप सिंह ने अपने तेज़हाथ शॉट से तीसरा गोल जोड़ा।
दूसरे क्वार्टर में राजकुमार पाल ने डिफेंडर्स को धक्का‑मारकर गोल लाइन पर माराव दिया, जबकि सुखजीत ने बाएँ फ़्लैंक से क्रॉस‑बार के पास से शॉट मारते हुए चौथा स्कोर किया। अंत में अभिषेक नैण ने दो गोलों से मैच को 7‑0 तक ले जाकर टीम के ‘प्लेयर ऑफ़ द टूरनमेंट’ का ताज धारण किया।
कोच की टिप्पणी और टीम का मनोबल
मैच के बाद क्रेग फुल्टन ने डीडी इंडिया के गोरोव कुमार को बताया, “हमारा लक्ष्य सिर्फ पॉइंट्स नहीं, बल्कि पूरे जहाज़ को लगातार चलाते रहना है। हमने इस जीत में जो प्लस पॉइंट्स बनाए हैं, उन्हें दोहराते रहना होगा।” यह वाक्यांश टीम के आत्मविश्वास को और भी मजबूत कर गया।
चीन की प्रतिक्रिया
चीन के गोलकीपर वेइहाओ वांग ने कहा, “हमने कई बचाव किए, पर भारत की तेज़ी हमें हर बार चकमा दे रही थी। उनके तेज़ पास और दाढ़े‑देखे पॉज़िशनिंग को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।” चीन के कोच ने भी कहा कि इस हार से टीम को दुबारा जज्मेंट के लिए ज़रूरत है, क्योंकि एशिया कप का सफ़र अभी खत्म नहीं हुआ।
रायफल और विशेषज्ञों की राय
हॉकी विश्लेषक राजेश कश्यप ने टिप्पणी की, “भारत ने इस टाई‑ब्रेक में सिर्फ फॉरवर्ड लीडरशिप नहीं, बल्कि दाब में डिफ़ेंस की सपोर्ट भी दिखा दी। हार्मनप्रीत सिंह के पेनल्टी कॉर्नर कॉम्बिनेशन ने टीम को लगातार गोल करने की मशीन बना दिया।”
भविष्य का रास्ता
अब भारत को 7 सितंबर को दक्षिण कोरिया के खिलाफ फाइनल में कदम रखना है। जीत मिलने पर टीम सीधे 2026 के पुरुष FIH वर्ल्ड कप में क्वालिफ़ाई हो जाएगी। कोरियन कोच किम जाय‑ह्यॉन ने कहा, “भारत का प्रदर्शन दिखाता है कि एशिया में हॉकी का परिदृश्य बदल रहा है; हमें इस चुनौती के लिए पूरी तैयारी करनी होगी।”
टुरनमेंट के प्रमुख आँकड़े
- भारत ने सुपर‑4 में 3 जीत, कुल गोल अंतर +12
- अभिषेक नैण को ‘प्लेयर ऑफ़ द टूरनमेंट’ का टाइटल मिला
- हैरोन प्रीट सिंह ने 8 पेनल्टी कॉर्नर में से 6 सफल किए
- एशिया कप 2025 के फाइनल में विजेता को 2026 वर्ल्ड कप की सीधे जगह मिलेगी
- स्पॉन्सर: हीरो मोटरकोर (मुख्य शीर्षकदाता)
इतिहास में भारत की यात्रा
हॉकी एशिया कप की शुरुआत 1982 में हुई थी, पर भारत ने 2017 में अपना आखिरी खिताब जीता था। 2025 में भारत ने खुद को फिर से शीर्ष पर लाने की कोशिश में, कोच क्रेग फुल्टन की नई रणनीति और युवा खिलाड़ियों के उत्साह को जोड़ा। इस टूरनमेंट से पहले भारत ने 2022 में एशिया कप से क्वालीफ़िकेशन मिलाया था, लेकिन फाइनल में पहुँच नहीं पाए थे। अब यह जीत उन्हें पिछले वर्षों की निराशा से बाहर निकाल सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
भारत की जीत कैसे उनके विश्व कप क्वालीफ़िकेशन को प्रभावित करेगी?
यदि भारत एशिया कप 2025 का फाइनल जीतता है, तो वे 2026 के FIH पुरुष विश्व कप में सीधे स्थान सुरक्षित करेंगे, जिससे क्वालीफ़िकेशन टूनमेंट में समय और जोखिम दोनों बचेंगे। यह टीम को लंबी तैयारी का अवसर देगा।
क्रेग फुल्टन की कोचिंग शैली में मुख्य बदलाव क्या रहे?
फुल्टन ने पहले रक्षक‑आक्रमण संतुलन पर ज़ोर दिया, फिर पेनल्टी कॉर्नर पर तेज़ गति और एरियल कंट्रोल को प्रमुखता दी। उनकी नई रणनीति में प्रेशर कम करके तेज़ ट्रांज़िशन पर फोकस है, जो इस 7‑0 जीत में साफ़ दिखा।
हैंगझोउ में इस मैच का माहौल कैसा था?
गोंगशु कालवा स्पोर्ट्स पार्क में करीब 10,000 दर्शक मौजूद थे। भारतीय और चीनी दोनों समर्थक झंडे लहराते हुए ताली बजा रहे थे, लेकिन भारतीय गोलों के बाद स्टेडियम में जयकार की गड़गड़ाहट सुनाई दी।
भारत के कौनसे खिलाड़ी फाइनल में सबसे अधिक प्रभावी रहने की संभावना रखते हैं?
हर्मनप्रीत सिंह के पेनल्टी कॉर्नर सेट‑अप, शक्तिशाली फॉरवर्ड अभिषेक नैण की फिनिशिंग, और मध्य‑मैदान में शिलानंद लाकड़ा की ड्राइवलिंकिंग को देखते हुए, इन तीनों को फाइनल में अहम भूमिका निभाने की उम्मीद है।
चीन की महिलाएँ इस एशिया कप में किस स्तर की प्रतिस्पर्धा दिखा रही थीं?
चीन की महिला टीम ने भारत को 4‑1 से हराया, जो बताता है कि वे एशिया में अभी भी स्थापित शक्ति हैं। उनके गोलकीपर बिचु ने कई बचाव किए, और फॉरवर्ड सनेलिता व मुमताज़ ने लक्ष्य में बाधा डालने की कोशिश की, पर चीन ने अपना अंतरराष्ट्रीय प्रतिरूप कायम रखा।
टिप्पणि
Preeti Panwar
11/अक्तू॰/2025वाह! भारत की जीत देख कर दिल खुश हो गया 😊
Ankit Intodia
11/अक्तू॰/2025भारत की ये जीत सिर्फ स्कोर नहीं, बल्कि हमारी रणनीति की शक्ति का प्रमाण है। फुल्टन कोच ने जिस तरह दबाव बनाकर खेला, वह देखकर सोचने को मजबूर हो जाता है कि खेल में माइंडसेट कितना अहम है। हर पेनल्टी कॉर्नर पर दाब के साथ गेंद को लैंगिक रूप से आगे बढ़ाना टीम की एकता को दर्शाता है। इस मैच में हमनें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक दृढ़ता का भी प्रदर्शन किया। फाइनल में कोरियाई टीम का सामना करने के लिए अब एक नई ऊर्जा के साथ तैयार हैं।
Deepanshu Aggarwal
11/अक्तू॰/2025बिलकुल, फुल्टन कोच की हाई‑प्रेस रणनीति ने भारत को तेज़ ट्रांज़िशन का फायदा दिया। इस सिस्टम में मध्य‑मैदान से विंग तक की एरियल सपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण थी। अगर आप डिफेंसिव झोन को कम रखकर ऑफ़ेंस में सपोर्ट बढ़ाते हैं, तो ऐसा पैटर्न कई अंतरराष्ट्रीय टीमों ने अपनाया है 😊। इस जीत से टीम की रैंकिंग में भी संभावित उछाल देखना चाहिए।
Sreenivas P Kamath
11/अक्तू॰/2025ओ, ये तो बड़ी आश्चर्यजनक बात है, भारत ने चीन को 7‑0 से हराया। जैसे ही स्कोरबोर्ड पर सात दिखा, मैं सोच रहा था कि क्या हमें ज़्यादा पॉपकॉर्न चाहिए। कोच ने कहा “हमारा लक्ष्य सिर्फ पॉइंट्स नहीं”, पर असल में सबको टिक-टैक-टो खेलना बहुत पसंद है। फाइनल में कोरिया को दिखा देंगे कि हम भी मज़ा लेते हैं।
Chandan kumar
11/अक्तू॰/2025मैच तो ठीक था, पर ठीक‑ठाक। क्या कहानी है, बस एक और जीत।
Swapnil Kapoor
11/अक्तू॰/2025देखो, यहाँ सिर्फ “ठीक‑ठाक” नहीं, बल्कि पूरे टूरनामेंट का तकनीकी विश्लेषण है। सात‑शून्य जाँचते हुए यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय पेनल्टी कॉर्नर की एक्जीक्यूशन रेट 86% है, जो वैश्विक औसत से 20% अधिक है। इसी कारण दक्षिण कोरिया के खिलाफ़ फाइनल में टैक्टिकल एडेप्टेशन आवश्यक होगा। इस जीत को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह टीम की डीप स्ट्रक्चर को बेझिझक दर्शाती है।
kuldeep singh
11/अक्तू॰/2025क्या दास्ताँ है, जब मैदान पर भारतीय गोलरों का जाल बिछा था और चीनी गोलकीपर का चेहरा अंधेरा हो गया! हर शॉट पर दर्शक जैसे शेरों की गर्जना सुन ले रहे थे, और स्टेडियम में बिजली की तरह चमक उठी। इस जीत ने न केवल इतिहास को फिर से लिख दिया, बल्कि दिलों में एक नई ज्वाला भी भड़का दी। मैं तो बस यही कहूँगा कि इस माहौल में शब्दों की भी हिम्मत नहीं रहती। अब फाइनल में कोरिया के लिए क्या तैयार किया गया है, यह देखना और भी रोमांचक होगा।
Shweta Tiwari
11/अक्तू॰/2025भारत ने इस मैच में जो रणनीति दिखाया है वह वास्तव में प्रशंसनीय है। शिलानंद लाकड़ के ड्राइवलिंकिंग की बारीकी और अभिषेक नैन के फिनिशिंग स्वैग को देख कर कोई भी नीरस नहीं रह सकता। हालांकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आगामी फाइनल में कोरियाई टीम भी बहुत तेज़ है, इसलिए तैयारी जारी रखनी होगी। इस जीत को एक माइलस्टोन मानते हुए, हमें अगले चरण में भी उसी जज़्बे को बनाए रखना चाहिए।
Harman Vartej
11/अक्तू॰/2025भारत ने चीन को हराया, फाइनल में कोरिया का सामना होगा। टीम का प्रदर्शन शानदार रहा।
Amar Rams
11/अक्तू॰/2025सुपर‑4 में भारत का परफ़ॉर्मेंस एक एवरीजिंग टेक्निकल सिनेरियो के रूप में उभरा, जहाँ एटैक‑डिफेंस ड्युअलिटी ने प्रमुख भूमिका निभाई। पेनल्टी कॉर्नर का एग्जीक्यूशन मॉड्यूल 0.87 क्यूरेटेड एक्सपेक्टेड वैल्यू तक पहुँचा, जो एशिया के औसत से उल्लेखनीय परे है। कॉम्प्लेक्स ट्रांज़िशन फेज़ में मिडफिल्डर्स की पोसिशनिंग ने फ्लो को स्मूथ बनाए रखा, जिससे फाइनल में कोरियाई स्ट्रैटेजी का काउंटर प्लान तैयार हो सके। इस माइक्रो‑एनालिटिकल दृष्टिकोण से टीम का सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स भी ऊँचा रहा।
Rahul Sarker
11/अक्तू॰/2025यह जीत सिर्फ हॉकी नहीं, यह राष्ट्रीय गर्व का नया अध्याय है। चीन को इतनी बड़ी हार देने वाला हमारा दल वाकई में बेजोड़ है। अब फाइनल में कोरिया को दिखाएँगे कि भारतीय जज्बा कितना अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसे हर भारतीय को गर्व से याद रखना चाहिए।
Sridhar Ilango
11/अक्तू॰/2025भाई साहब, आपके शब्दों में जो उग्रता है वह तो सराहनीय है परन्तु थोडा ठण्डा दिमाग रखना भी जरूरी है। जब आप कहते हैं “हर भारतीय को गर्व से याद रखना चाहिए”, तब आप पूरी टीम की मेहनत को भी याद दिला रहे हैं। लेकिन सोचिए, कोरिया भी कोई मामूली नहीं, उनका टैक्टिकल गेम प्लान बहुत ही सुदृढ़ है। इसलिए हमारी जीत को सिर्फ “राष्ट्र गर्व” की सीमा में सीमित नहीं किया जा सकता, यह एक तकनीकी जीत भी है। मैदान पर जिस तरह से शिलानंद ने पास को सटीकता से दिया, वह एक रचनात्मक कला के बराबर है। हर्मनप्रीत के पेनल्टी कॉर्नर की क़ाबिलियत को देखते हुए, वह एक ‘सेट‑पीस’ जैसा काम कर रहा था। अभिषेक नैण की दोहरी गोलिंग इस बात का प्रमाण है कि फॉरवर्ड लाइन में बिनजटिलता नहीं है। कोच फुल्टन ने जो प्रेशर मैनेजमेंट किया, वह एक ‘हाई‑फ्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन’ के समान था। चीन के गोलकीपर की प्रशंसा भी इस बात को दिखाती है कि विरोधी भी हमारी टैक्टिक से प्रभावित थे। फिर भी, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि फाइनल में कोरिया की पावर प्ले काफी खतरनाक हो सकती है। उनका फॉर्मेशन और साइड‑स्विंग दोनों ही हमारे लिए नई चुनौतियां प्रस्तुत करेंगे। इस कारण हमारे लिए एक ‘एडैप्टिव स्ट्रैटेजिक फ्रेमवर्क’ बनाना आवश्यक है। अंत में, इस जीत को सिर्फ ‘राष्ट्रीय गर्व’ नहीं, बल्कि एक ‘सिस्टमिक अचीवमेंट’ के रूप में देखना चाहिए। इस तरह की सोच से हमें आगे भी सफलता मिलती रहेगी। आशा करता हूँ कि आप भी इस गहरी विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण को अपनाएँगे। फिर मिलते हैं, जब फाइनल का परिणाम आएगा, तब इस पर चर्चा करेंगे।