• घर
  • सलमान खान का महेश नारायणन के साथ अवधि‑थ्रिलर, 2026 में शुरू होने की दांव-पेंच

सलमान खान का महेश नारायणन के साथ अवधि‑थ्रिलर, 2026 में शुरू होने की दांव-पेंच

मनोरंजन

जब सलमान खान, अभिनेता ने महेश नारायणन, फिल्म निर्देशक के साथ अवधि‑थ्रिलर पर चर्चा की, तो बॉलीवुड में हलचल तेज हो गयी। यह बात मुंबई में हाल ही में हुई कई मीटिंग्स में तय हुई, जहाँ दोनों ने 1970‑1990 के दशक की पृष्ठभूमि में एक एक्शन‑समृद्ध कथा पर विचार किया। दोनों पक्षों ने इस प्रोजेक्ट को 2026 में शुरू करने की संभावना जताई, क्योंकि अभी उनके मौजूदा प्रोजेक्ट्स जैसे सलमान का ‘गलवान’ (निर्देश – अपूर्वा लाकिया) और महेश की ‘पैट्रियट’ को पूरा करना बाकी है।

पृष्ठभूमि और वर्तमान प्रोजेक्ट्स

सलमान खान इस समय लद्दाख में सेट ‘गलवान’ फिल्म की शूटिंग तैयारियों में व्यस्त है, जहाँ वह एक महीने तक की शूटींग शेड्यूल में भाग लेगा। इस फिल्म का लक्ष्य 2020 में हुए गलवान घाटी टकराव की अनकही कहानी को स्क्रीन पर लाना है। दूसरी ओर, महेश नारायणन अपने स्पाई थ्रिलर ‘पैट्रियट’ (जिसमें मोहनलाल, mammootty, नयनतारा मुख्य भूमिका में हैं) का प्रमोशन कर रहे हैं, जिसे उन्होंने हाल ही में इंस्टाग्राम पर साझा किया था। दोनों कलाकारों की इस समय की व्यस्तता उनके संभावित सहयोग को और भी रोमांचक बनाती है।

सलमान खान और महेश नारायणन की मुलाक़ातें

सूत्रों के अनुसार, सलमान खान और महेश नारायणन ने अब तक चार‑पाँच बार मुलाक़ात की है। सबसे नई मुलाक़ात मुंबई के किसी निजी रिसॉर्ट में हुई, जहाँ उन्होंने कहानी के प्राथमिक रूपरेखा, किरदार विकास और समय‑सीमा पर विस्तार से चर्चा की। बैठक में सलमान ने बताया कि वह अपने कॉमर्शियल पुलीवाला इमेज से बाहर निकल कर कुछ नया करना चाहते हैं, और महेश की नई रचनात्मक शैली‑परिप्रेक्ष्य ने उन्हें प्रेरित किया।

संभावित अवधि थ्रिलर की अवधारणा

यह प्रोजेक्ट 1970‑1990 के बीच के भारत को पृष्ठभूमि बनाकर, राजनीतिक अस्थिरता, सामाजिक परिवर्तन और एक्शन‑ड्रिवेन सस्पेंस को मिलाएगा। महेश ने कहा कि वह ‘मालिक’ और ‘टेक ऑफ’ जैसी फ़िल्मों में दिखाए गए वास्तविकता‑आधारित कथा को इस थ्रिलर में भी उतारना चाहते हैं। सलमान ने इस विचार को “काफी दिलचस्प” कहा और बताया कि वह 90 के दशक के दिलचस्प गैंगस्टर‑स्टाइल, साथ ही आधुनिक तकनीकी चतुराई को मिलाकर एक नया किरदार पेश करेंगे।

उद्योग और दर्शकों की प्रतिक्रिया

समाचार माध्यम और सोशल मीडिया पर इस संभावित सहयोग को लेकर उम्दा चर्चा हो रही है। पिंकविला के रिपोर्ट के बाद फैन ट्विट्स में “सलमान × महेश नारायणन = फिल्मी क्रांति” जैसे टैग ट्रेंड कर रहे हैं। कई फिल्म विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह प्रोजेक्ट साकार होता है, तो यह बॉलिवुड‑सलमन को पैन‑इंडिया सिनेमा में नई पहचान देगा, जबकि महेश को मैन‑स्ट्रीमर दर्शकों तक पहुंच मिल पाएगी।

भविष्य की संभावनाएँ और प्रतिबद्धताएँ

दोनों पक्ष इस बात का आश्वासन दे रहे हैं कि वे अपने‑अपने मौजूदा प्रोजेक्ट्स को पहले पूरा करेंगे। ‘गलवान’ की शूटिंग पूर्ण होने के बाद, सलमान संभवतः 2026 की शुरुआत में महेश के साथ नई फ़िल्म पर काम शुरू करेंगे। इस बीच, महेश की ‘पैट्रियट’ रिलीज़ की तारीख अभी तय नहीं हुई है, पर उनका फोकस अब इस नई अवधि‑थ्रिलर की स्क्रीनप्ले तैयार करने में है। यदि यह सहयोग हो जाता है, तो यह न केवल बॉलिवुड‑सलमन की फ़िल्मोग्राफी में नया अध्याय जोड़ देगा, बल्कि भारतीय सिनेमा के विभिन्न भाषा‑क्षेत्रों के बीच सहयोग को भी मजबूती देगा।

  • मुख्य अभिनेता: सलमान खान
  • निर्देशक: महेश नारायणन
  • विचाराधीन समय‑सीमा: 1970‑1990 के दशक
  • संभावित रिलीज़: 2026
  • वर्तमान प्रतिबद्धता: ‘गलवान’ (अपूर्वा लाकिया), ‘पैट्रियट’
Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

सलमान खान का यह नया प्रोजेक्ट उनके करियर को कैसे बदल सकता है?

एक कॉमर्शियल ब्लॉकबास्टर से हटकर, 1970‑1990 के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में एक थ्रिलर बनाकर सलमान अपने दर्शकों को नया रूप दे सकते हैं। इससे उन्हें पैन‑इंडिया और अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल सर्किट में भी पहचान मिल सकती है।

महेश नारायणन के फ़िल्मिंग स्टाइल को इस प्रोजेक्ट में क्या बदलाव मिलेगा?

महेश अपनी सामाजिक‑रियलिज्म और तंग कथानक के लिए जाने जाते हैं। इस बार वह बड़े एक्शन सेक्शन को अपने स्पष्ट व्याख्यानात्मक शैली के साथ जोड़ेंगे, जिससे प्रकाशन में दोनों के फैन बेस को आकर्षित किया जा सकेगा।

क्या इस फ़िल्म में अन्य भारतीय भाषा के कलाकार भी जुड़े हैं?

वर्तमान में पुष्टि नहीं हुई है, पर महेश नारायणन ने पहले मलेशियन एवं दक्षिण भारतीय कलाकारों को मुख्य भूमिका में रखा है, इसलिए भविष्य में मलयालम या तैमिल सितारे जुड़ने की सम्भावना है।

फिल्म का पहला शूटिंग लोकेशन कहाँ हो सकता है?

सूत्रों ने कहा है कि प्रारम्भिक रीक्टिंग और लोकेशन स्काउटिंग हिमालय के कुछ हिस्सों में हो सकती है, क्योंकि कहानी का अधिकांश भाग 70‑80 के दशक के उत्तर भारतीय पृष्ठभूमि में सेट है।

अगर यह प्रोजेक्ट नहीं बनता तो क्या असर पड़ेगा?

यदि सौदा फ़ेल हो जाता है, तो सलमान अपने मौजूदा वाणिज्यिक प्रोजेक्ट्स पर ही रहेंगे और महेश अपनी स्पाई थ्रिलर ‘पैट्रियट’ को आगे बढ़ाएंगे। दोनों के फैंस फिर भी इस संभावित सहयोग की आशा रखते रहेंगे।

टिप्पणि

  • Venkatesh nayak

    Venkatesh nayak

    3/अक्तू॰/2025

    यह सहयोग भारतीय सिनेमा के एकीकृत दृष्टिकोण का प्रतीक है, जहाँ सलमान खान की व्यावसायिक शक्ति और महेश नारायणन की कलात्मक गहराई का संगम देखना रुचिकर है। इस प्रकार की अवधि‑थ्रिलर परियोजना न केवल दर्शकों को नई कहानी प्रदान करेगी, बल्कि अभिनेता‑निर्देशक के पारस्परिक समझ को भी उन्नत करेगी। 🙂

  • rao saddam

    rao saddam

    3/अक्तू॰/2025

    वाह!!! यह तो कمال है!!! सलमान भाई की पेन‑ड्राइव से लेकर महेश सर की गहन रिसर्च तक, सब एक ही धागे में बंधा दिख रहा है! जयकार!!! आगे की प्रगति का इंतज़ार नहीं कर सकता!!!

  • Prince Fajardo

    Prince Fajardo

    3/अक्तू॰/2025

    ओह, कितना सस्पेंस! जैसे 90‑के दशक की गैंगस्टर फ़िल्में फिर से रिवाइवल हो रही हों, लेकिन इस बार जोड़ दिया गया है हाई‑टेक गैजेट्स का ट्विस्ट। ऐसा लगता है जैसे ब्लॉक्सबस्टर को न्यूरल‑नेटवर्क से मिला दिया गया हो।

  • Nilanjan Banerjee

    Nilanjan Banerjee

    3/अक्तू॰/2025

    समय‑सीमा की पृष्ठभूमि को जब इस तरह के यथार्थवादी एनीमेशन के साथ मिलाया जाता है, तो यह स्वाभाविक रूप से दर्शकों को इतिहास के उन धुंधले पहलुओं में खींच लेता है। 1970‑1990 के भारतीय सामाजिक‑राजनीतिक परिवर्तन को दर्शाने के लिए महेश सर की शैली उपयुक्त है, और सलमान की स्क्रीन‑प्रेजेंस उसे और भी प्रभावी बनाती है। यह परियोजना एक शानदार सिनेमाई प्रयोग हो सकता है।

  • sri surahno

    sri surahno

    3/अक्तू॰/2025

    यह परियोजना केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि एक छिपे हुए इतिहास का उद्घाटन प्रतीत होती है;
    एक ऐसी कथा जो आधिकारिक इतिहास के साथ मतभेद रखती है, और संभवतः कुछ गुप्त दस्तावेजों पर आधारित है।
    उद्योग के भीतर कुछ लोग इसे रोकने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि यह उन सत्तावादी परिवर्तनों को उजागर करेगा जो कभी सार्वजनिक नहीं किए गए।
    भौगोलिक रूप से, उत्तर भारत के शहरी केंद्रों में सत्ता के दायरे को दिखाने के लिए इस कथा का चयन सार्थक है।
    साथ ही, सलमान खान का पॉलिटिकल इमेज को बदलने का यह कदम एक बड़े सामाजिक प्रयोग का हिस्सा हो सकता है।
    यह दर्शाता है कि बॉलीवुड अब केवल व्यावसायिक लाभ नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना को भी जागरूक करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
    कई सिद्धांत यह भी कहते हैं कि इस फ़िल्म के माध्यम से कुछ राज़ी़न असत्यों को पर्दे के पीछे छुपा कर रखा गया है।
    वास्तव में, यह प्रोजेक्ट उन छिपी हुई कोडिंग को उजागर कर सकता है जो फिल्म में निहित हैं।
    इतिहास के इस खंड में, 1970‑80 के दशक में हुए सशस्त्र उथल-પથલ की सच्ची कहानियां आज तक अंधेरे में धँस गई थीं।
    परन्तु इस फ़िल्म से यह रोशनी में आएगी, यदि निर्माता अपने लक्ष्य को सच्ची प्रतिबद्धता से निभाते हैं।
    आधिकारिक तौर पर ये तथ्य कब तक सुरक्षित रह सकते हैं? केवल इस प्रकार के जुड़े‑जाने वाले प्रोजेक्ट ही इसे उजागर कर सकते हैं।
    यदि यह सफल होता है, तो यह न केवल फिल्मी दुनिया को बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक समझ को भी परिवर्तित करेगा।
    समय के साथ, इस प्रकार के साहित्यिक प्रयोग हमारे सामूहिक स्मृति को पुनर्परिभाषित कर सकते हैं।
    सभी पहलू विचार‑विमर्श के योग्य हैं, और इस कारण से यह योगदान महज एक मनोरंजन नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ हो सकता है।
    अंततः, यह देखना बाकी है कि इस कथा को कितना सच कहा जाएगा और कितनी दूर तक यह झूठ को झलकेगा।

  • Varun Kumar

    Varun Kumar

    3/अक्तू॰/2025

    यह परियोजना राष्ट्रीय अभिमान को जागृत करेगी।

  • Madhu Murthi

    Madhu Murthi

    3/अक्तू॰/2025

    बिलकुल सही, यह फ़िल्म हमारे गौरव को फिर से उजागर करेगी! 🇮🇳🔥

  • Amol Rane

    Amol Rane

    3/अक्तू॰/2025

    इसे आत्म‑अन्वेषण के रूप में देखें; जहाँ किरदारों की आंतरिक जटिलताएँ बाहरी’action’ के साथ तालमेल बिठाती हैं, वही सच्ची कला होती है।

  • Subhashree Das

    Subhashree Das

    3/अक्तू॰/2025

    इसे गहरी मनोवैज्ञानिक विश्लेषण की जरूरत है, क्योंकि केवल बाहरी एक्शन से दर्शकों को जोड़ना पर्याप्त नहीं होगा।

  • jitendra vishwakarma

    jitendra vishwakarma

    3/अक्तू॰/2025

    भाई, लग राही है किच्छ बड़ प्रोजेक्ट बॆ. यिसे देख के पॉप्युलर हो जयेगा।

  • Ira Indeikina

    Ira Indeikina

    3/अक्तू॰/2025

    सही कहा तुमने, इस पर गहरी बात करनी चाहिए और दर्शकों को सोचने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

  • Shashikiran R

    Shashikiran R

    3/अक्तू॰/2025

    सिनेमाई जिम्मेदारी को हल्के में न लेना चाहिए।

एक टिप्पणी लिखें