23 सितंबर की सराहनीय उछाल
23 सितंबर 2025 को भारतीय शेयर बाजार ने एक आश्चर्यजनक लहर देखी। सेन्सक्स 82 000 अंक को पार कर गया, जबकि निफ्टी 25 200 के करीब रहा। इस गति के पीछे कई कारक थे: आयरन ऑर्डर फॉरबिडन्ट में हल्की कमी, रीयल एस्टेट सेक्टर में नई नीतियों का लाभ, और ग्लोबल सूचकांकों में स्थिरता। निवेशकों ने इन संकेतों को सकारात्मक पढ़कर बड़े पैमाने पर खरीदारी की, जिससे बाज़ार में तरलता बढ़ी।
रिज़र्व बैंक ने इस दिन मौद्रिक नीति पर कोई नया एशिंग नहीं किया, परंतु मौजूदा दरों को बरकरार रखने का फैसला बाजार के जोखिम‑आधारित भावना को समर्थन देता दिखा। इसके साथ ही, तेल की कीमतें 10 % गिरने के बाद स्थिर हो गईं, जिससे ऊर्जा‑संबंधी शेयरों में सुधार आया। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफ़आईआई) ने भी भारी खरीदे, जिससे इंडेक्स में स्थिरता आई।
26 सितंबर में तेज़ गिरावट – क्या संकेत?
तीन दिन बाद, 26 सितंबर 2025 को बाजार ने पूरी तरह से उलटा मोड़ लिया। सेन्सक्स लगातार छठे दिन गिरते हुए लगभग 81 500 पर वापस आया, जबकि निफ्टी 24 700 से नीचे गिरा। इस गिरावट के प्रमुख कारणों में वैश्विक बाजारों में अचानक शेयरों के पुनःविचार, अमेरिकी डॉलरी का मजबूती, और भारत में कुछ प्रमुख सेक्टरों (जैसे बैंकिंग और आईटी) में फॉल्ट‑रिपोर्ट्स शामिल थे।
अन्य कारक जो इस गिरावट को तेज़ी से बढ़ाते दिखे: रासायनिक दवाइयों की कीमतों में अचानक इजाफा, आयातित वस्तुओं पर टैरिफ में बदलाव, और मौद्रिक नीति के बारे में लिंकटेड संकेतों की कमी। फोकस समूहों ने बताया कि कई बड़े म्यूचुअल फंड्स ने अपने पोर्टफोलियो को हेज करने के लिए डेरिवेटिव्स का उपयोग किया, जिससे निकट‑भविष्य में बेचने का प्रचलन बढ़ा।
इन दो तिथियों के बीच के अंतर ने बाजार में मौसमी अस्थिरता को उजागर किया है। निवेशकों को अब केवल तकनीकी संकेतों से नहीं, बल्कि नीति‑निर्माताओं के ख़राब संकेतों और वैश्विक आर्थिक विकास के दोराहे पर भी नज़र रखनी चाहिए। भविष्य में संभावित धक्कों से बचने के लिए विविधीकरण, जोखिम‑मापदण्डों की कड़ी जाँच और धैर्यपूर्ण निवेश रणनीति अपनाना आवश्यक है।
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टिप्पणि
Suhas R
26/सित॰/2025ये सब झूठ है। RBI ने जानबूझकर बाजार को फंसाया है। अमेरिका ने भारत के शेयर बाजार को टारगेट किया है। फॉरेन फंड्स के पीछे CIA है। तुम सब जागो।
Pradeep Asthana
26/सित॰/2025अरे भाई, ये तो बस एक बड़ा फेक न्यूज़ है। जो लोग इसमें उतरे, वो तो अपनी पूंजी गंवा रहे हैं। मैंने तो 2023 में ही बता दिया था कि ये बाजार अस्थिर है।
Shreyash Kaswa
26/सित॰/2025भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे मजबूत है। जो लोग इस बाजार को डराने की कोशिश कर रहे हैं, वो देशद्रोही हैं। हमारे निवेशकों को अपने देश पर भरोसा रखना चाहिए।
Sweety Spicy
26/सित॰/2025अरे यार, ये सब बातें तो बस इंडेक्स के नंबरों का खेल है। जब तक आम आदमी की जेब में पैसा नहीं है, तब तक ये सब नंबर तुम्हारे लिए कुछ नहीं हैं। और हाँ, फंड मैनेजर्स तो अपनी कमीशन के लिए इन उछाल-गिरावट को बनाते हैं। बस फिर तुम उनके बाद दौड़ते हो।
Maj Pedersen
26/सित॰/2025ये बाजार की उतार-चढ़ाव तो हर देश में होती है। बस थोड़ा धैर्य रखो, अपने निवेश को देखो, और खुद को बेहतर बनाओ। आप सब अच्छे हो रहे हो, बस थोड़ा रुको और सांस लो।
Ratanbir Kalra
26/सित॰/2025बाजार गिरा तो गिरा गया अच्छा भी तो गिरा क्योंकि जब तक तुम नहीं जानते कि क्या चल रहा है तब तक तुम नहीं जानते कि क्या चल रहा है और जब तुम नहीं जानते कि क्या चल रहा है तब तुम नहीं जानते कि क्या चल रहा है
Seemana Borkotoky
26/सित॰/2025मैंने अपने दादाजी से सुना था, बाजार जैसे नदी का बहाव होता है - कभी शांत, कभी उबालता हुआ। बस नाव बनाओ, डूबने की बजाय तैरो। ये भारत है, हम तो इस तरह के झटकों से बड़े हुए हैं।
Sarvasv Arora
26/सित॰/2025ये सब तो बस एक बड़ा बाजारी धोखा है। जो लोग इसमें पैसा डालते हैं, वो अपनी जिंदगी का गुमशुदा बच्चा बन जाते हैं। बैंक डिपॉजिट में डालो, चाय पीओ, और खुद को शांत रखो।
Jasdeep Singh
26/सित॰/2025इस गिरावट के पीछे एक जटिल अर्थव्यवस्थात्मक अंतर्क्रिया है - फिसलन वाले बैलेंस ऑफ पेमेंट्स, फॉरेन एक्सचेंज रिज़र्व की अस्थिरता, और फंड फ्लो डायनामिक्स में लीकेज। इन डेरिवेटिव्स के हेजिंग एक्शन्स ने लिक्विडिटी टाइगर को जगा दिया, जिसने एक कैस्केडिंग सेल-ऑफ इफेक्ट शुरू कर दिया। इसका असर निवेशकों के बिहेवियरल बायसेज़ पर पड़ा, जिसने फेसबुक-स्टाइल फीडबैक लूप को एक्सप्लॉइट किया। ये नहीं तो ये बाजार अपने आप में एक सिस्टमिक रिस्क का उदाहरण है।