लोकधर्मी थिएटर समूह – क्या है, क्यों खास?
जब हम बात करते हैं भारत की सांस्कृतिक धरोहर की तो गाँव‑गाँव के रंगमंच का ज़िक्र अनिवार्य होता है। लोकधर्मी थिएटर समूह वही लोग होते हैं जो अपनी जड़ें गांवों में रखते हुए आधुनिक मंच कला को अपनाते हैं। उनका मकसद सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक संदेश देना और स्थानीय भाषा‑संस्कृति को जीवित रखना है।
इन समूहों की एक्टिंग अक्सर लोक गीत, नृत्य और पारंपरिक कहानियों से बनी होती है। क्योंकि ये कलाकार आम जनता के बीच रहते हैं, उनका काम सीधे दिल तक पहुंचता है – चाहे वह ग्रामीण पंचायत में हो या शहर के छोटे‑छोटे थिएटर हॉल में।
समूहों की नई ख़बरें और कार्यक्रम
पिछले महीने दिल्ली के एक स्थानीय थिएटर फेस्टिवल में कई लोकधर्मी समूहों ने भाग लिया। उनमें सबसे अधिक चर्चा में रहे “रजाखेड़ा कूश्ती” नामक टीम, जिसने अपने नाटक में पारंपरिक दंगल की भावना को मंच पर लाया और दर्शकों से तालियों का बौछार मिला। उसी फेस्टिवल में ‘ऑस्ट्रेलिया के धमाकेदार जीत’ जैसी अंतरराष्ट्रीय कहानियों को भारतीय शैली में पेश किया गया, जिससे दिखा कि लोकधर्मी समूह कितनी सहजता से वैश्विक थीम को अपनाते हैं।
अगर आप अपने शहर में ऐसे शो देखना चाहते हैं तो फिजिका माईंड की टैग पेज पर रोज़ अपडेट मिलते रहते हैं। यहाँ आपको न केवल आगामी प्रदर्शनों की तिथियाँ, बल्कि टिकट जानकारी और कलाकारों के छोटे‑छोटे इंटरव्यू भी मिलेंगे। इससे आप तय कर सकते हैं कि कौन सा शो आपके टाइमटेबल में फिट बैठता है।
कैसे जुड़ें या सपोर्ट करें?
लोकधर्मी थिएटर समूह अक्सर फंडिंग और प्रॉपर्टी की कमी से जूझते हैं। आप भी छोटे‑छोटे कदम उठाकर इनका समर्थन कर सकते हैं – जैसे उनके शो में उपस्थित होना, सोशल मीडिया पर शेयर करना या स्थानीय NGOs के साथ मिलकर वर्कशॉप आयोजित करना। कई समूह अब ऑनलाइन क्लासेज़ भी दे रहे हैं जहाँ शुरुआती लोग एक्टिंग की बुनियादी बातें सीख सकते हैं।
यदि आप खुद का नाटक लिखना चाहते हैं तो इस क्षेत्र में अनुभव रखने वाले दिग्गजों से सलाह लेना फायदेमंद रहेगा। अक्सर इन समूहों के पास अनुभवी निर्देशक होते हैं जो आपके स्क्रिप्ट को लोकल रंग में ढालने में मदद करेंगे। याद रखें, स्थानीय भाषा और मुद्दे ही दर्शकों का दिल जीतते हैं।
तो अगली बार जब आप अपने शहर की सांस्कृतिक इवेंट्स लिस्ट देखें, तो जरूर एक लोकधर्मी थिएटर समूह का शो चुनें। यह न केवल आपको अच्छा मनोरंजन देगा बल्कि भारतीय ग्रामीण जीवन के रंग भी दिखाएगा। फिजिका माईंड पर टैग पेज को बुकमार्क कर रखें – ताकि आप हर नई खबर से अपडेट रहें और इन कलाकारों की मेहनत को सराह सकें।
कोच्ची स्थित थिएटर समूह के लिए बड़ी उपलब्धि: 'आट्टम' ने 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में मारी बाजी
मलयालम फिल्म 'आट्टम' ने नई दिल्ली में आयोजित 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में तीन प्रमुख पुरस्कार जीते, जिसमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ पटकथा और सर्वश्रेष्ठ संपादन शामिल हैं। इस सफलता से कोच्ची के व्यपिन के नायारमबलम स्थित थिएटर समूह लोकधर्मी में हर्ष की लहर दौड़ गई। लोकधर्मी की स्थापना 1991 में चंद्रदासन द्वारा की गई थी और यह समूह पिछले तीन दशकों से थिएटर के क्षेत्र में प्रयासरत है।
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