नीरजला व्रत
जब आप नीरजला व्रत, एक पारंपरिक हिंदू उपवास है जो शिव जी की कृपा प्राप्त करने के लिये रखा जाता है. वैकल्पिक नाम नीरजल व्रत है, यह व्रत व्रत, धार्मिक उद्देश्य से किया जाने वाला उपवास और शिव, हिंदू धर्म में विनाश और पुनर्निर्माण के देवता के संगम को दर्शाता है.
नीरजला व्रत का मुख्य उद्देश्य मन को शुद्ध करना और शिव की असीम शक्ति से आशीर्वाद पाना है। यह व्रत अक्सर महाशिवरात्रि के बाद दो दिन तक रखा जाता है, और इसमें काली, कच्ची हरी सब्जियाँ और शुद्ध जल से जल पीना प्रतिबंधित है। इस उपवास में (1) रात भर का उपवास, (2) सुबह पानी नहीं पीना, (3) अनाज, नमक और तेल का सेवन न करना प्रमुख नियम हैं। ऐसा माना जाता है कि इन नियमों का पालन करने से शरीर में शारीरिक शक्ति बढ़ती है और आध्यात्मिक शांति आती है। शिव का आशीर्वाद नीरजला व्रत को सफल बनाता है, और कई लोग इस व्रत को करने के बाद अपना स्वास्थ्य बेहतर महसूस करते हैं। इसलिए नीरजला व्रत, शारीरिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ दोनों का द्वैत प्रदान करता है।
आपके लिए नीरजला व्रत से जुड़ी सभी जानकारी यहाँ इकट्ठा है, और नीचे दिए गए लेखों में आप नियमों, तैयारी और साथ ही इस व्रत से जुड़े रीति‑रिवाजों के विस्तृत विवरण पाएँगे। नीचे की सूची से आप अपनी जरूरत के अनुसार सही मार्गदर्शन चुन सकते हैं।
Ahoi Ashtami 2025: 13 अक्टूबर को भारत में माताओं का विशेष व्रत
13 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली में मनाए गए आहौई अष्टमी में माताओं ने नीरजला व्रत रखा, बच्चों की भलाई हेतु विशेष पूजा और तारे देख कर व्रत तोड़ा।
पढ़ना