सरकार गठन: क्या है, क्यों जरूरी और कैसे होता है?

चुनाव के बाद जब मतगणना खत्म हो जाती है तो लोग अक्सर पूछते हैं – अब सरकार कब बनेगी? जवाब थोड़ा जटिल लग सकता है पर असल में यह कई आसान कदमों से तय होता है। हम यहाँ बतायेंगे कि चुनाव जीतने वाले दल को सत्ता पाने के लिए किन‑किन चरणों से गुजरना पड़ता है।

चुनाव परिणाम और सबसे बड़ा पार्टी

सबसे पहला काम है यह देखना कि कौन-सा पक्ष या गठबंधन सबसे ज्यादा सीटें जीतता है। अगर एक ही दल को 540 में से 271 से अधिक सीटें मिल जाएँ तो उसे ‘बिलकुल बहुमत’ कहा जाता है और वह सीधे सरकार बना सकता है। लेकिन अक्सर ऐसा नहीं होता, इसलिए दूसरे चरण में ‘अधिकांश बहुमत’ की जरूरत पड़ती है।

जब किसी एक दल के पास पर्याप्त सीटें नहीं होतीं तो उसे दूसरों से सहयोग करना पड़ता है। यही प्रक्रिया को हम गठबंधन कहते हैं। पार्टियों का मिलना‑जुलना, समझौते पर पहुँचना और एक साझा एजेण्डा तय करना इस दौर की मुख्य बातें हैं।

गवर्नर की भूमिका और भरोसा वोट

एक बार जब सबसे बड़ा दल या गठबंधन तैयार हो जाता है, तो वह गवर्नर के पास जॉब का दावा करता है। गवर्नर यह देखता है कि कौन‑सी पार्टी या गठबंधन स्थायी रूप से राज चलाने की क्षमता रखती है। अक्सर वह सबसे बड़े समूह को ‘सहायक’ बनाता है और उन्हें मुख्यमंत्री चुनने का अधिकार देता है।

मुख्यमंत्री बने के बाद नई सरकार को संसद में भरोसा वोट लेना पड़ता है। यह वोट दिखाता है कि बहुमत वाले सदस्य सरकार की नीतियों को समर्थन देंगे या नहीं। अगर विश्वास मत पास हो जाता है तो सरकार आधिकारिक तौर पर चलती है, नहीं तो फिर से गठबंधन बनाने या नए चुनाव की संभावना बनती है।

इन सभी चरणों में मीडिया और जनता का रोल भी बड़ा होता है। खबरें तेज़ी से फैलती हैं, राजनीतिक विश्लेषक अलग‑अलग अनुमान लगाते हैं और सोशल नेटवर्क पर बहस चलती रहती है। यही कारण है कि सरकार गठन के समय माहौल अक्सर तनावपूर्ण लेकिन रोमांचक रहता है।

तो संक्षेप में:

  • सबसे बड़ा पार्टी या गठबंधन पहचानें।
  • गवर्नर को भरोसा दिलाएँ कि आप स्थायी सरकार चलाएंगे।
  • मुख्यमंत्री चुनें और विश्वसनीय टीम बनाएं।
  • विश्वास वोट के बाद ही काम शुरू होता है।

अब जब आप जानते हैं कि सरकार गठन में क्या‑क्या कदम होते हैं, तो चुनाव परिणाम देखना और भी दिलचस्प हो जाएगा। फिजिका माईंड पर ऐसे ही आसान समझाने वाले लेखों के लिए जुड़े रहिए!

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