CJI पद ग्रहण: आसान शब्दों में पूरा गाइड

आपने सुना होगा ‘CJI’ या Chief Justice of India के बारे में, पर अक्सर प्रक्रिया और मानदण्ड उलझन भरे लगते हैं। चलिए इस टैग पेज को ऐसे समझते हैं जैसे आप किसी दोस्त से बात कर रहे हों – साफ़‑सपाट और बिना जटिल शब्दों के.

CJI पद कैसे चुनें?

सबसे पहले, CJI बनना कोई चुनाव नहीं है जहाँ लोग वोट डालते हैं. यह तय होता है सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठता के आधार पर. जब मौजूदा मुख्य न्यायाधीश सेवानिवृत्त होते हैं या हटाए जाते हैं, तो सबसे बड़े सीनियरिटी वाले जज को आगे बढ़ाया जाता है.

सिनियरिटी का मतलब है – आपके पास कितने सालों का कोर्ट में सेवा इतिहास है. यह नियम 1993 के ‘कॉलेजियम प्रॉसेस’ से आया, जहाँ वरिष्ठ न्यायाधीश आपस में मिलकर अगला CJI तय करते हैं. बाद में राष्ट्रपति इस नाम को आधिकारिक तौर पर मान्य करता है.

ऐसा क्यों? seniority‑based सिस्टम का लक्ष्य राजनीति से कोर्ट को दूर रखना और न्यायिक स्वतंत्रता को सुदृढ़ करना है. इससे हर बार नया ‘पावर‑हाउस’ नहीं बनता, बल्कि अनुभव के आधार पर भरोसेमंद नेता चुनते हैं.

हालिया नियुक्तियां और उनका असर

2024 में CJI पद पर न्यायाधीश अजय पिलानी आए। उन्होंने डिजिटल कोर्ट को तेज़ करने, केस बैकलॉग घटाने के लिए कई कदम उठाए. उनके बाद 2025 में न्यायाधीश रजत गोविंद सिंह ने पद संभाला. उन्होंने सामाजिक मुद्दों जैसे पर्यावरणीय मामलों को प्राथमिकता दी और लोकल अदालतों की पहुंच बढ़ाई.

इन दोनों ने दिखाया कि CJI के पास सिर्फ़ केस सुनने का काम नहीं, बल्कि कोर्ट के अंदरूनी सुधारों का भी अधिकार है. जब नया CJI आता है तो अक्सर ‘जस्टिस डिलीवरी’ को तेज करने वाले नए नियम सामने आते हैं – जैसे ऑनलाइन फाइलिंग या ट्रीब्यूनल सॉल्यूशन प्रक्रिया.

आप अगर जानना चाहते हैं कि अगला CJI कब आएगा, तो बस seniority लिस्ट देखिए. जब मौजूदा CJI की रिटायरमेंट तारीख करीब आती है, तब सबसे बड़े सीनियरिटी वाले जज का नाम सामने आता है. इस प्रक्रिया में कोई राजनैतिक दबाव नहीं – बस कोर्ट के अंदरूनी नियम ही काम करते हैं.

साथ ही, यह समझना जरूरी है कि CJI की भूमिका सिर्फ़ न्याय देना नहीं, बल्कि पूरी अदालत को दिशा देना भी है. उन्होंने कई बार महत्वपूर्ण संविधानिक फैसले सुनाए हैं जो देश की नीति पर गहरा असर डालते हैं – जैसे पर्यावरण संरक्षण या व्यक्तिगत अधिकारों से जुड़ी बातें.

तो अगर आप ‘CJI पद ग्रहण’ टैग पढ़ रहे हैं, तो अब आपके पास स्पष्ट समझ है कि यह प्रक्रिया कैसे चलती है, किन मानदण्डों के आधार पर चयन होता है और हालिया CJI ने क्या बदलाव लाए. इस ज्ञान से आप न सिर्फ़ खबरें बेहतर समझ पाएँगे, बल्कि भविष्य की नियुक्तियों को भी आसानी से ट्रैक कर सकेंगे.

राहुल गांधी की अनुपस्थिति: न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के CJI पद ग्रहण पर पारिवारिक विवाद की अटकलें

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के पद ग्रहण समारोह से दूरी बनाई, जिससे राजनीतिक और पारिवारिक विवाद की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। यह पुराना विवाद न्यायमूर्ति खन्ना के परिवार और गांधी परिवार के बीच दशकों पुराना है, जो इंदिरा गांधी के समय शुरू हुआ था।

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