ईरान के चुनाव 2025: क्या बदलेंगे राजनीति?

अगर आप इरान के चुनावों को लेकर जिज्ञासु हैं तो सही जगह पर आए हैं. इस लेख में हम बताते हैं कि कौन‑कौन से प्रमुख खिलाड़ी मैदान में उतर रहे हैं, वोटिंग प्रक्रिया कैसी है और परिणाम हमारे देश की राजनीति पर क्या असर डाल सकता है.

मुख्य उम्मीदवार और पार्टियाँ

इस बार दो बड़े गठबंधन सामने आए हैं – हारिते मित्ती का “मुक्ति मोर्चा” और रिफ़तेह बेबिक के “नए इरान फोरम”. मुक्तिपुत्र ने 45‑साल की उम्र वाले युवा नेता को अपना चेहरा बनाया है, जबकि नए इरान फोरम में कई अनुभवी सांसद फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. दोनों दलों का एजेंडा थोड़ा अलग है: एक आर्थिक सुधार और निजीकरण पर ज़ोर देता है, तो दूसरा सामाजिक न्याय और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना चाहता है.

इनके अलावा छोटे‑छोटे स्वतंत्र उम्मीदवार भी मौजूद हैं – कुछ तकनीकी क्षेत्र से आए हैं, कुछ धार्मिक विचारधारा वाले. उनका समर्थन अक्सर सोशल मीडिया या स्थानीय सभाओं में देखा जाता है.

इ्रान के चुनाव का असर

ईरान के राष्ट्रपति और संसद दोनों ही चुनते हैं, इसलिए इस बार की वोटिंग सीधे आर्थिक नीतियों, विदेशी संबंधों और नागरिक अधिकारों को प्रभावित करेगी. अगर मुक्तिपुत्र जीतता है तो निवेशकों को नई उम्मीदें दिख सकती हैं, जबकि यदि नए इरान फोरम सत्ता में आता है तो अंतरराष्ट्रीय समझौतों में बदलाव संभव हो सकता है.

देश के कई युवा वर्ग ने पहले ही ऑनलाइन मतदान अभियान शुरू कर दिया है. वे चाहते हैं कि चुनाव प्रक्रिया साफ़ और पारदर्शी रहे, इसलिए उन्होंने मोबाइल ऐप्स से रीयल‑टाइम परिणाम ट्रैक करने की सुविधा मांगी है.

एक बात ध्यान देने वाली है – इरान में वोटिंग के दौरान कई बार तकनीकी गड़बड़ी या प्रतिबंध होते हैं. चुनाव आयोग ने पिछले साल के अनुभवों को देखते हुए नई इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली लागू कर दी है, लेकिन अभी भी कुछ क्षेत्रों में कनेक्शन की समस्या बनी हुई है.

अगर आप इस चुनाव पर नज़र रख रहे हैं तो सबसे पहले स्थानीय समाचार चैनलों और आधिकारिक वेबसाइट पर अपडेट चेक करें. अक्सर छोटे‑छोटे बदलाव जैसे मतदान केंद्र का बदलना या नई शर्तें जनता को सीधे प्रभावित करती हैं.

अंत में, याद रखें कि इरान के चुनाव सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि पूरे देश की भविष्य योजना का हिस्सा है. आपका वोट चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, उसका असर दीर्घकालिक रहेगा. इसलिए समझदारी से चुनें और इस प्रक्रिया को अपनी आवाज़ बनाएं.

मासूद पेजेश्कियान की जीत में सुधारवाद: क्या ईरानी राष्ट्रपति चुनाव में सही दिशा है?

मासूद पेजेश्कियान ने सईद जलिली को हराकर ईरानी राष्ट्रपति चुनाव जीता है। यह चुनाव ऐतिहासिक रूप से कम मतदान के कारण भी चर्चा में है, जहां केवल 49.8% मतदाताओं ने हिस्सा लिया। इस जीत को पश्चिमी दबाव को कम करने की कोशिश मानी जा रही है, लेकिन असल में इससे कितना बदलाव आएगा यह संदेह में है।

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